18 जुलाई को भारत में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। और 21 जुलाई को देश को नए महामहिम मिल जाएंगे। NDA की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार
द्रौपदी मुर्मू की राह थोड़ी आसान लग रही है, बाकि तो समय ही बताएगा। विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार
Yashwant Sinha ने चुनाव प्रचार के दौरान बड़ा ऐलान किया है। सिन्हा ने कहा कि अगर मैं राष्ट्रपति भवन पहुंचा, तो मोदी सरकार का CAA कानून लागू नहीं होने दूंगा।
सिन्हा ने साफ शब्दों में कहा कि देश में संविधान पर आक्रमण किया जा रहा है। संविधान को बाहरी ताकतों से नहीं बल्कि सत्ता में बैठे लोगों से ही खतरा है। इसे रोकने के लिए सबको आगे आना होगा। मैं अंतिम सांस तक CAA-NRC कानून के खिलाफ लड़ूंगा।
CAA को मूर्खतापूर्ण तरीके से लागू किया गया है। सरकार इसी वजह से लागू नहीं कर पा रही है और सिर्फ बहाना दे रही है। असम और पूर्वोत्तर भारत के लिए यह एक अहम मुद्दा है और मुझे उम्मीद है लोग समझ जाएंगे। Uddhav Thackeray द्वारा द्रौपदी मुर्मू को सपोर्ट करने वाला सवाल भी यशवंत सिन्हा से पूछा गया। इसपर उन्होंने जवाब दिया कि उद्धव ठाकरे शिवसेना को बचाने में जुटे हैं। इसलिए उन्होंने द्रौपदी मुर्मू को सपोर्ट किया है।
दो दिन पहले भी यशवंत सिन्हा अपने बयान को लेकर चर्चा में रहे थे। उन्होंने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूब मुफ्ती और फारूख अब्दुल्ला की तारिफों के पुल बांधे थे। सिन्हा ने कहा था कि यदि महबूब मुफ्ती और फारूख अब्दुल्ला साहब देशभक्त नहीं है तो भारत में कोई भी देशभक्त नहीं है। सिन्हा के इस बयान ने देश को चौंका दिया था। ऐसे वक्त पर इस प्रकार के बयान की उम्मीद किसी को भी नहीं थी।
आपकी जानकारी के लिए बता कि CAA संसद से 11 दिसम्बर, 2019 को पारित हुआ। अधिनियम 10 जनवरी 2020 को लागू हो गया। लेकिन अभी तक इसके नियम तय नहीं किए गए। किसी कानून के नियम 6 माह के भीतर प्रकाशित हो जाने चाहिए ताकि उस कानून पर अमल हो सके। लेकिन इस एक्ट में अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।
नियम तय करने के लिए केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2020, फरवरी 2021 और मई 2021 में संसद की सबोर्डिनेट लेजिसलेशन कमेटियों से एक्सटेंशन मांगे। हालांकि, इसी साल मई में गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया कि कोरोना खत्म होने के बाद लागू किया जाएगा। एक बात सबको समझ लेना जरूरी है कि CAA के तहत पाक, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। जो 31 दिसंबर 2014 से पहले आ गए हैं, उन्हें नागरिकता मिलेगी। अब देखना ये है कि इस कानून में आगे क्या क्या होता है?