दक्षिण दिल्ली नगर निगम द्वारा ग्रीन पार्क श्मशान भूमि में प्रथम हरित दाह संस्कार भट्ठी प्रणाली का आज लोकार्पण किया गया।हरित दाह संस्कार भट्ठी प्रणाली के उपयोग से लकड़ियों की बचत होने के परिणामस्वरूप हर दाह संस्कार में २ से ३ पेड़ों को हत्या से बचाया जा सकता है। दक्षिण दिल्ली नगर निगम के सहायक आयुक्त मनीष मीणाआई टी स व विश्व हिंदू परिषद दिल्ली के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने ग्रीन पार्क में प्रथम हरित दाह संस्कार भट्ठी प्रणाली का आज लोकार्पण किया। लोकार्पण अवसर पर आह्वान किया गया कि हरित दाह संस्कार भट्ठी प्रणाली का पूरे देश में विस्तार किया जाना चाहिए ताकि पर्यावरण का संरक्षण भी हो सके। लोकार्पण अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री प्रशांत हरतालकर, निगम पार्षद राधिका अब्रोल, निगम चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी एल आर वर्मा, जिला चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व विशेष मुख्य सचिव सुनील गुलाटी, शमशान के प्रमुख सेवक एल सी गुप्ता जी एवं श्री राहुल जी परियोजना समन्वयक मौजूद रहे।उल्लेखनीय है कि भारत और नेपाल में आदि काल से ही दाह संस्कार क्रिया की जाती रही है और दाह संस्कार के परिणामस्वरूप पेड़ काटे जाते रहे हैं। वर्तमान में भारत में प्रति व्यक्ति 28 पेड़, चीन में 102 पेड व संयुक्त राज्य अमेरिका में 716 पेड़ हैं।एक व्यकि के दाह संस्कार के लिए लगभग 2 पेड़ों (400 किलोग्राम से 600 किलोग्राम लकड़ी) की आवश्यकता होती है।
भारत में प्रतिवर्ष लगभग 110 लाख मनुष्यों की मृत्यु होती है। जिनमें से 70% का "दाह संस्कार" किया जाता है। इनकी दाह संस्कार क्रिया में लगभग 260 करोड़ किलोग्राम लकड़ी या 3 करोड़ पेड़ों की लकड़ी की आवश्यकता होती है। लकड़ी जलाने से लाखों टन कार्बन डाइऑक्साइड गैस और राख भी उत्पन्न होती है।अध्ययनों से सामने आया है कि एक व्यकि के दाह संस्कार के लिए लगभग 400 किलोग्राम से 600 किलोग्राम लकड़ी और 300-400 गोबर के उपलों की आवश्यकता होती है।एक समर्पित पर्यावरणविद डॉ रामजी जयमल पिछले 18 वर्षों से हरियाणा व पंजाब के सीमावर्ती जिला क्षेत्रों में स्व-वित्तपोषित हरित दाह संस्कार भट्ठी के लिए ग्रामीणों को प्रेरित करने में काफी सफल रहे हैं। हरित दाह संस्कार भट्ठी में प्रथम दाह संस्कार के लिए केवल 60-80 किलोग्राम और भट्ठी गर्म होने के उपरांत प्रत्येक दाह संस्कार में केवल 30-40 किलोग्राम लकड़ी या उपलों का उपयोग होता जिसका लक्ष्य है शरीर की चर्बी को 760-800 डिग्री सेंटीग्रेड पर दाह संस्कार प्रक्रिया को संभालने के लिए पर्याप्त गर्म करना। उसके बाद ईंधन नहीं लगता चर्बी ही हरित दाह संस्कार करती है ।हरित दाह संस्कार भट्ठी से एक दिन में 4 दाह संस्कार हो जाते हैं।संयुक्त राज्य अमेरिका के जैन क्लान फाउंडेशन ने पांच हरित दाह संस्कार भट्ठी के लिए वित्त स्थानीय आपसी और भारतीय जन सेवा संसथान नामक संस्था के माध्यम से उपलब्ध करवाया है।पर्यावरणविद् डॉ रामजी जयमल इस परियोजना के कार्यान्वयन को आगे बढा रहे हैं ताकि पेड़ बच सकें ।