राज्य की सहकारी चीनी मीलों को आत्मनिर्भर बनाने और ऊर्जा के नवीकरणीय स्त्रोतों को बढ़ावा देने के लिए पेराई के उपरांत बचते गन्ने के अवशेष प्रैस मड से ग्रीन एनर्जी की पैदावार के लिए निजी सार्वजनिक हिस्सेदारी (पी.पी.पी.) के अंतर्गत सहकारी चीनी मीलों को बायो सी.एन.जी. प्रोजेक्ट स्थापित किये जा रहे हैं। यह बात सहकारिता मंत्री स. सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने आज यहाँ चण्डीगढ़ स्थित मार्कफैड दफ़्तर में भोगपुर सहकारी चीनी मिल में गन्ने के प्रैस मड से ऐसा प्रोजेक्ट लगाने हेतु लेटर ऑफ अवार्ड जारी करने के समय कही।स. रंधावा ने बताया कि को-जनरेशन, बायो उत्पादन के अलावा अतिरिक्त कमाई वाले प्रोजेक्टों की लड़ी में राज्य में लगने वाला यह दूसरा प्रोजेक्ट होगा। इससे पहले बटाला सहकारी चीनी मिल में यह प्रोजेक्ट लगाया जा रहा है। मैसर्ज आई.एस.डी. इन्फ्रास्ट्रक्चर एल.एल.पी., दिल्ली द्वारा भोगपुर में 30 करोड़ की लागत से लगाए जा रहे इस प्रोजेक्ट के लगने से चीनी मिल को सालाना कम-से-कम 75 लाख रुपए की कमाई होगी जिसमें मिल की क्षमता में वृद्धि के अनुपात अनुसार विस्तार होता रहेगा। सहकारिता मंत्री ने आज इस कंपनी के ग्रुप सी.एम.डी. हरजीत सिंह चड्ढा और नुमायंदों दलजोत सिंह चड्ढा और गुरवंच सिंह चड्ढा को लेटर ऑफ अवार्ड सौंपा।इससे पहले बटाला में मैसर्ज मात्रा एनर्जी प्राईवेट लिमिटेड मेरठ की तरफ से बायो सी.एन.जी. प्रोजेक्ट लगाया जा रहा है और मिल को सालाना कम-से-कम 50 लाख रुपए की कमाई होगी। इन प्रोजेक्टों की क्षमता के अनुसार रोज़ाना 100 टन प्रैस मड्ड की प्रोसैसिंग की जा सकेगी।सहकारिता मंत्री ने आगे बताया कि इन प्रोजेक्टों के लगने से सहकारी चीनी मीलों में न केवल गन्ने के अवशेष के निपटारे के लिए आतीं मुश्किलों से राहत मिलेगी बल्कि इससे मीलों को अतिरिक्त आय के साथ-साथ ग्रीन एनर्जी की पैदावार में विस्तार होगा। गन्ने की प्रैस मड के अलावा कृषि के अवशेष जैसे कि पोल्ट्री फार्मों और सब्ज़ी और फलों के अवशेष और गोबर आदि का प्रयोग करके बायो सी.एन.जी. (ग्रीन एनर्जी) गैस का उत्पादन किया जायेगा।
इससे न केवल वातावरण साफ़ रखने में मदद मिलेगी बल्कि इस इलाके में और ज्यादा रोज़गार के अवसर के अलावा किसानों और कृषि के सहयोगी धंधे कर रहे किसानों की आमदन में विस्तार होगा। बायो सी.एन.जी. के उत्पादन के उपरांत बचे अवशेष का जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जायेगा। इस प्रोजेक्ट को भोगपुर सहकारी चीनी मिल के अलावा नकोदर और नवांशहर चीनी मीलों से भी गन्ने का अवशेष मुहैया करवाया जायेगा।शूगरफैड के चेयरमैन स. अमरीक सिंह आलीवाल ने आगे बताया कि सहकारी चीनी मिल भोगपुर में पीढ़ाई सीजन के उपरांत बगास, पराली और अन्य बायो मास का प्रयोग करके आफ सीजन के दौरान बिजली का उत्पादन करने हेतु योजना पर काम किया जा रहा है जिससे चीनी मिल की आय भी बढ़ेगी और पराली जलाने से होते प्रदूषण से निजात मिलेगी। इसके अलावा किसानों की आय में भी विस्तार होगा।वित्त कमिशनर सहकारिता के. सिवा प्रसाद ने बताया कि पिछले सालों के दौरान देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीनी उद्योग में आयी मंदी के बावजूद राज्य की सहकारी चीनी मिलों को मौजूदा समय की ज़रूरत के अनुसार शुगर कम्पलैक्सों जिनमें चीनी के उत्पादन के अलावा इथानोल, को जेनरेशन, बायो सी.ऐन.जी. और रिफायंड शुगर का उत्पादन करने के प्रोजेक्टों में तबदील करने के लिए योजना लागू की जा रही है। इसी लड़ी के अंतर्गत गुरदासपुर और बटाला में नये शुगर प्लांटों और डिस्टिलरी की स्थापना की जा रही है।शूगरफैड के एम.डी. श्री पुनीत गोयल ने बताया कि गन्ना काश्तकारों को नयी और अधिक पैदावार वाली किस्मों के शुद्ध बीजों की उपलब्धता के अलावा गन्ने की काश्त सम्बन्धी आधुनिक तकनीकों के बारे जानकारी और प्रशिक्षण देने के लिए कलानौर में गुरू नानक देव गन्ना विकास और अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है। इस केंद्र का मुख्य मंतव्य गन्ने के प्रति एकड़ पैदावार में विस्तार करके गन्ना काश्तकारों की आय बढ़ाने का रखा गया है।भोगपुर सहकारी चीनी मिल के चेयरमैन स. परमवीर सिंह ने मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री और शूगरफैड का धन्यवाद करते हुये कहा कि इन उद्यमों के परिणामस्वरूप चीनी मिलें आत्म निर्भर होगी और गन्ना काश्तकारों को सीधा फ़ायदा होगा।इस मौके पर मार्कफैड के एम.डी. श्री वरुण रूज़म, मिल्कफैड के एम.डी. श्री कमलदीप सिंह संघा, पंजाब राज सहकारी बैंक के एम.डी. हरगुणजीत कौर, पंजाब राज कृषि विकास बैंक के एम.डी. श्री राजीव गुप्ता, शूगरफैड के चीफ़ इंजीनियर कंवलजीत सिंह, भोगपुर सहकारी चीनी मिल के समूह बोर्ड आफ डायरैकटरज़ और जनरल मैनेजर अरुण कुमार अरोड़ा भी उपस्थित थे।