Sunday, 19 May 2024

 

 

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रमेश पोखरियाल निशंक ने सूचना पुस्तिका ‘कोविड-19 के समय सुरक्षित ऑनलाइन लर्निंग‘ को डिजिटल तरीके से लॉन्‍च किया

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नई दिल्ली , 05 Jun 2020

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आज नई दिल्ली में सूचना पुस्तिका ‘कोविड-19 के समय सुरक्षित ऑनलाइन लर्निंग‘ को डिजिटल तरीके से लॉन्‍च किया, जिससे कि सुरक्षित रहते हुए ऑनलाइन शिक्षा को लेकर छात्रों एवं शिक्षकों के बीच जागरूकता का प्रसार हो सके। राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) एवं यूनेस्को के नई दिल्ली कार्यालय ने यह पुस्तिका तैयार की। यह पुस्तिका मूलभूत रूप से क्या करें और क्या न करें के माध्यम से बच्चों, युवाओं को ऑनलाइन तरीके से सुरक्षित रखने में मददगार होगी, जिससे माता-पिता और शिक्षक अपने बच्चों को सुरक्षित तरीके से इंटरनेट का उपयोग करना सिखाएंगे।पुस्तिका का अनावरण करने के बाद श्री रमेश पोखरियाल ने कहा, ‘चूंकि कोरोना-19 की स्थिति के समय ऑनलाइन एवं दूरस्थ शिक्षा में भारी बढोत्‍तरी देखी गई है, बहुत से बच्चे एवं शिक्षक ऑनलाइन प्लेटफार्म का उपयोग करके एक-दूसरे से जुड़े रहने के द्वारा सीख रहे हैं। भारत सरकार का मानव संसाधन विकास मंत्रालय और एनसीईआरटी बच्चों और शिक्षकों के लिए एक सुरक्षित ऑनलाइन वातावरणएवं उन्हें सुरक्षित तरीके से घर पर ऑनलाइन रहना सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम साइबर बदमाशी से पीड़ित सभी लोगों से रिपोर्ट करने और सहायता मांगने का आग्रह करते हैं। मुझे यह जान कर प्रसन्नता हुई है कि एनसीईआरटी और यूनेस्को ने संयुक्त रूप से इस पुस्तिका का विकास किया है, जो हमारे छात्रों एवं शिक्षकों में जागरूकता फैलाने तथा साइबर बदमाशी के मामलो में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करना सुगम बनायेगा।’ कोविड-19 महामारी के और अधिक प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए रोकथाम संबंधी उपाय के रूप में, देश भर में 20 मार्च, 2020 से स्कूलों, विश्वविद्यालयों, प्रशिक्षण केंद्रों एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया। इससे शिक्षा में अभूपूर्व व्यवधान पड़ा और 90 प्रतिशत से अधिक स्कूली आबादी प्रभावित हुई। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और राज्य शिक्षा विभागों ने विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए सतत् प्रयास किए हैं। किशोरों को विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्मों का यह अनुभव प्राप्त होने से साइबर बदमाशी के प्रति उनकी अतिसंवेदनशीलता बढ़ी है।भारत में, 5-11 वर्ष की आयु के लगभग 71 मिलियन बच्चे अपने परिवार के सदस्यों के डिवाइस पर इंटरनेट एक्सेस करते हैं जो कि देश के 500 मिलियन के सक्रिय इंटरनेट यूजर बेस का लगभग 14 प्रतिशत हैं। भारत में दो तिहाई इंटरनेट यूजर 12 से 29 वर्ष की आयु समूह के (इंटरनेट एवं एएमपी, मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा साझा किया गया डाटा) हैं। डाटा एवं संख्याओं ने रेखांकित किया है कि लॉकडाउन के बाद इंटरनेट ने बच्चे एवं युवाओं के लिए आनलाइन भेदभाव सहित साइबर बदमाशी के जोखिम को बढ़ा दिया है। इन समस्याओं के समाधान के प्रयोजन से राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) एवं यूनेस्को के नई दिल्ली कार्यालय ने यह पुस्तिका तैयार की।निदेशक एवं यूनेस्को नई दिल्ली के प्रतिनिधि श्री इरिक फाल्ट ने कहा, ‘ यूनेस्को सभी बच्चों के लिए सुरक्षित, समावेशी एवं स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाला शैक्षणिक वातावरण सुनिश्चित कराने के लिए प्रतिबद्ध है। यह अनिवार्य है कि अगर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुविधा प्रदान करनी है,तो वेबसाइट, डिजिटल प्लेटफार्म, सोशल मीडिया प्लेटफार्म साइबर बदमाशी से मुक्त रहें। सूचना पुस्तिका ‘कोविड-19 के समय सुरक्षित ऑनलाइन लर्निंग‘ साइबर बदमाशी के नकारात्मक दुष्परिणामों और उनसे बचने तथा उन्हें खत्म करने के तरीकों को रेखांकित करती है। यूनेस्को और एनसीईआरटी यह पुस्तिका तैयार कर प्रसन्न हैं और उम्मीद करते हैं कि यह एक सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण सृजित करने में एक बहुमूल्य माध्यम के रूप में कार्य करेगी।’राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक प्रो. ऋषिकेश सेनापति ने कहा, ‘शैक्षणिक प्रणाली में हमारा निवेश निष्प्रभावी रहेगा, जबतक कि हम ऑनलाइन सुरक्षा एवं साइबर बदमाशी की रोकथाम के मुद्वों का समाधान नहीं कर लेते। असुरक्षित शैक्षणिक वातावरण हमारे शिक्षार्थियों के लिए शिक्षा की गुणवत्ता को कमतर कर सकता है, क्योंकि यह प्रतिकूल तरीके से शैक्षणिक उपलब्धि और भविष्य की शिक्षा तथा छात्रों के रोजगार की संभावनाओं को प्रभावित करता है। चिंता, भय और असुरक्षा का वातावरण शिक्षा के लिए असंगत है और एनसीईआरटी युवाओं के स्वास्थ्य एवं कल्याण तथा साइबर बदमाशी से रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।’

 

Tags: Ramesh Pokhriyal Nishank

 

 

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