कृषि और बागवानी क्षेत्रों के कायाकल्प और किसानों की आय में आशातीत वृद्धि के प्रयासों में वर्तमान राज्य सरकार ने सिंचाई सुविधा प्रदान करने, उत्पादन लागत घटाने, प्राकृतिक खेती व फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने और कृषि के यंत्रीकरण के लिए कई नई योजनाएं शुरू की हैं।इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आने शुरू हो चुके हैं और कृषि गतिविधियों को और गति देने के लिए राज्य सरकार केंद्र प्रायोजित योजनाओं को भी प्रभावी ढंग से लागू कर रही है। प्रदेश सरकार अपनी योजनाओं के साथ-साथ केंद्रीय योजनाओं को प्रभावी तरीके से कार्यान्वित कर रही है ताकि किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाया जा सके।भारत सरकार की किसान कृषि विकास योजना किसानों की आय बढ़ाने, भंडारण और बाजार की सुविधा प्रदान करने और स्थानीय किसानों की जरूरतों के अनुसार योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए लागू की जा रही है। योजना के अंतर्गत, राज्य ने कृषि गतिविधियों के विकास और विस्तार को सुनिश्चित बनाने के लिए पहली बार जिला कृषि योजनाएं तैयार की हैं। इसके अलावा, राज्य कृषि योजना भी बनाई गई है ताकि योजनाबद्ध तरीके से कृषि का समग्र विकास किया जा सके। बागवानी, पशुपालन और मत्स्य विभागों को भी इस योजना से जोड़ा गया है। इस योजना के अंतर्गत 2018-19 के दौरान 22.12 करोड़ रुपये खर्च किए गए जबकि इस वित्त वर्ष के दौरान 26.78 करोड़ खर्च किए जाएंगे। केंद्र ने प्रदेश के कृषि विभाग की तीन परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की है, जिन पर 11.78 करोड़ खर्च किए जाएंगे। पिछले तीन वर्षांे में इस योजना पर 22.12 करोड़ रुपये खर्च किए गए।प्रदेश में धान, मक्की, गेहूं, दालों और पोषक अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से वित्तिीय सहायता प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत इस वर्ष 13.36 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। पिछले डेढ़ वर्षां में इसके अंतर्गत 12.86 करोड़ रुपये खर्च किए गए। धान के लिए कांगड़ा व मंडी जिले, गेहूं के लिए शिमला को छोड़कर बाकी सभी ग्यारह जिले, मक्की के लिए शिमला, किन्नौर व लाहौल-स्पीति को छोड़कर शेष नौ जिले तथा माश, चना, मटर, मसूर व मूंग की दलहनी फसलों के लिए सभी जिलों को शामिल किया गया है। किन्नौर व लाहौल-स्पीति जिलों को छोड़कर पोषण अनाजों के लिए दस जिलों को शामिल किया गया है। राष्ट्रीय कृषि विस्तार और प्रौद्योगिकी मिशन भी राज्य में कार्यान्वित किया जा रहा है जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों के माध्यम से प्रसार तंत्र और प्रौद्योगिकी प्रसार करना है। कृषि प्रसार, बीज और रोपण सामग्री, कृषि यांत्रिकी और पौध संरक्षण इसके मुख्य घटक हैं।
कृषि की नवीनतम तकनीकों के प्रसार के लिए राज्य के सभी जिलों में ‘आतमा’ कार्यक्रम शुरू किया गया है। खंड स्तर पर किसान समूह, स्वयं सहायता समूह, और किसान संगठन गठित किए गए हैं। खंड स्तर कृषक सलाहकार समिति का गठन भी किया जाता है। किसानों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और उत्पादन में वृद्धि के उद्देश्य से राज्य सरकार अग्रणी किसानों को सम्मानित भी करती है। इस वर्ष इस कार्यक्रम पर 14.44 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जबकि पिछले वर्ष 14.15 करोड़ खर्च किए गए।बारानी क्षेत्रों के विकास, मूल्य संवर्द्धन और जलवायु प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय सतत् खेती मिशन कार्यान्वित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने इसके अंतर्गत 10 करोड़ रुपये का एक प्रस्ताव केंद्र सरकर को भेजा है। योजना के अंतर्गत पिछले डेढ़ साल के दौरान 8.62 खर्च किए गए और 2205 हेक्टेयर क्षेत्रों को कृषि विकास के अंतर्गत लाया गया।कृषि विभाग भारत सरकार की मृदा परीक्षण योजना के तहत किसानों को मुफ्त मिट्टी परीक्षण सुविधा प्रदान कर रहा है ताकि वे विशेषज्ञों की सिफारिशों के अनुसार अपनी फसलों का उत्पादन बढ़ा सकें। इस उद्देश्य के लिए, राज्य भर में ने स्वचलित और 11 अचल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं जबकि 47 मिनी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इस सेवा को सर्विस गारंटी अधिनियम के अंतर्गत लाया गया है ताकि किसानों को निर्धारित समयावधि में रिपोर्ट मिल सके।प्रदेश में अब तक, 10,50,930 मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं, जिनमें से 7,56,958 पिछले डेढ़ साल के दौरान दिए गए।प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना के अंतर्गत हर खेत तक सिंचाई सुविधा पहुंचाने, और खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले अठारह महीनों के दौरान 2034 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई सुविधा प्रदान की गई और योजना के अंतर्गत 16.30 करोड़ खर्च किए गए।राज्य सरकार किसान की समस्याओं के निवारण के लिए क्षेत्रीय रेडियो और टेलीविजन केंद्रों के माध्यम से विशेष कार्यक्रम भी प्रसारित कर रही है और उन्हें कृषि क्षेत्र में नवीनतम प्रगति के बारे में जागरूक करती है।प्रधान मंत्री आवास बीमा योजना को भी लागू किया जा रहा है, ताकि किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीट व रोगों से प्रमुख फसलों को हुई क्षति के एवज में बीमा आवरण किया जा सके। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार ने खरीफ मौसम में सोलन, बिलासपुर शिमला, सिरमौर, कांगड़ा, कुल्लू व मंडी के चुने हुए खंडों में टमाटर, सोलन, बिलासपुर व सिरमौर जिला की अदरक, शिमला, किन्नौर, लाहौल-स्पीति, मंडी, कुल्लू और चंबा में मटर, चंबा, कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लू, लाहौल और स्पीति, मंडी, शिमला, सिरमौर और ऊना में आलू, कुल्लू और शिमला में गोभी और लाहुल-स्पीति में चुने हुए खंडों में फूलगोभी की फसल को योजना में शामिल किया है। रबी सीजन के लिए मंडी और सोलन जिलों की टमाटर की फसल, कांगड़ा जिले के आलू, सिरमौर और कुल्लू जिलों के लहसुन, धरमपुर (सोलन) की शिमला मिर्च को फसल बीमा योजना के तहत शामिल किया गया है। राज्य सरकार ने पिछले डेढ़ साल के दौरान राज्य के 90.150 किसानों को 19.41 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की है।