विदेश मंत्रालय, भारत सरकार की भारत की विदेश नीति के तहत नाईपर, एस.ए.एस. नगर (फार्मेसी श्रेणी के तहत राष्ट्रीय महत्व का संस्थान और एन.आई.आर.एफ. रैंक 1 संस्थान) को रसायन और उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार आइटेक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए चुना गया है । विकासशील देशों में भारत के बाहरी विकास सहायता कार्यक्रमों ने पिछले कुछ वर्षों में अपने दायरे और कवरेज में उल्लेखनीय वृद्धि की है। इनमें लाइन्स ऑफ क्रेडिट, अनुदान सहायता, तकनीकी परामर्श, आपदा राहत, मानवीय सहायता, शैक्षणिक छात्रवृत्तियां और अल्पकालिक नागरिक और सैन्य प्रशिक्षण पाठ्यक्रम समेत क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। विकास साझेदारी प्रशासन (डीपीए) की स्थापना जनवरी 2012 में विदेश मंत्रालय में की गई थी। डीपीए का उद्देश्य संकल्पना, प्रक्षेपण, कार्यान्वयन और कमीशन के चरणों के माध्यम से भारत की विकास सहायता के विभिन्न तत्वों के वितरण को सुव्यवस्थित और बेहतर बनाना है। डीपीए में तीन डिवीजन शामिल हैं और उनमें से डीपीए-द्वितीय डिवीजन भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (आईटेक), अफ्रीका कार्यक्रम के विशेष राष्ट्रमंडल सहायता (स्कैप) और कोलंबो प्लान योजनाओं की तकनीकी सहयोग योजना (टी.सी.एस.) समेत सभी क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए नोडल डिवीजन है। भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटेक) कार्यक्रम 15 सितंबर 1964 को भारतीय सरकार की सहायता के द्विपक्षीय कार्यक्रम के रूप में भारतीय मंत्रिमंडल के फैसले से स्थापित किया गया था।नाईपर, एस.ए.एस. नगर पिछले 20 सालों से इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करवा रहा है। संस्थान ने एडवांस्ड एनालिटिकल टेक्निक्स पर दो सप्ताह के गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम का 22 अक्टूबर से 1 नवंबर, 2018 तक आयोजन किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 15 देशों के कुल 23 प्रतिभागियों (अफगानिस्तान, अल्जीरिया, बोत्सवाना, क्यूबा, इक्वाडोर, इथियोपिया, गाम्बिया, लाइबेरिया, मॉरीशस, मलावी, फिलिस्तीन, पापुआ न्यू गिनी, श्रीलंका, सीरिया और तंजानिया) ने भाग लिया ।
इस दौरान फार्मास्युटिकल जगत, अकादमिक और नियामक एजेंसियों के प्राख्यात व्यक्तियों ने व्याख्यान दिए और विचार-विमर्श में भाग लिया। विभिन्न विश्लेषणात्मक उपकरणों पर लगभग 6 सत्र आयोजित किए गए। आईटेक कार्यक्रम के तहत नेशनल एग्रीफूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (एन.ए.बी.आई.) और डीएसएम, टोंसा, रूपनगर और बीटा ड्रग्स लिमिटेड के 02 औद्योगिक दौरे भी आयोजित किये गए।प्रोफेसर संजय जाचक ने उपस्थित प्रतिभागियों का कार्यक्रम के समापन सत्र में सबका स्वागत किया। समन्वयक प्रोफेसर संजय जाचक ने पाठ्यक्रम की एक विस्तृत रिपोर्ट दी और प्रतिभागियों से उनके सहयोगियों के लिए प्रशिक्षकों बनने का आग्रह किया क्योंकि उन्होंने इस पाठ्यक्रम में भाग लिया है । कुछ प्रतिभागियों ने पाठ्यक्रम के बारे में अपने विचार व्यक्त किए।समारोह के अतिथि अतिथि श्री सुशांत शर्मा, सहायक ड्रग कंट्रोलर (इंडिया) ने कहा कि फार्मेसी पेशेवर का होने के नाते, यह हर फार्मासिस्ट का सपना है कि वह किसी ने किसी रूप से नाईपर से जुड़े । उन्होंने कहा कि आईटेक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से यह मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि भारत में विनियमन इतना बढ़ रहा है कि भारत को विनियमन मानकों में परिपक्वता स्तर 4 प्राप्त करने के लिए दो बार डब्ल्यू.एच.ओ. द्वारा मान्यता प्राप्त है। उन्होंने आगे बताया कि पाठ्यक्रम से पहले कुछ प्रतिभागियों का मानना था कि भारत ऐसी गुणवत्ता वाली दवा नहीं बना रहा है लेकिन इस कोर्स में भाग लेने और कुछ फार्मा इकाइयों का दौरा करने के बाद, उन्होंने पूरी तरह से भारतीय दवा निर्माण क्षमता के बारे में अपनी धारणा को बदल दिया है।समारोह के मुख्य अतिथि, डॉ एस.जे.एस. फ्लोरा, निदेशक, नाईपर ने विदेश मंत्रालय को अद्भुत पाठ्यक्रम को प्रायोजित करने और कार्यक्रम के समन्वयक प्रोफेसर संजय जाचक को बधाई दी। उन्होंने आगे कहा कि यह न केवल ज्ञान का आदान-प्रदान है जो इस तरह के पाठ्यक्रम की पेशकश करता है बल्कि देशों के बीच संस्कृति का आदान-प्रदान भी करता है।कार्यक्रम का समापन के दौरान गणमान्य व्यक्तियों द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये गए। अंत में प्रो. संजय जाचक ने उपस्थित समस्त लोगों का धन्यवाद व्यक्त किया ।