इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला ने भाजपा सरकार पर बिजली-पानी को लेकर आरोप लगाते हुए कहा कि अनुभवहीन सरकार के कारण ही आज प्रदेश में बिजली-पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। 24 घंटे बिजली देने का दम भरने वाली भाजपा सरकार जहां शहरों में 3 से 4 घंटे बिजली देती है वहीं गांव में मात्र 1 से डेढ घंटा बिजली देकर लोगों के साथ खिलवाड़ कर रही है। 47 डिग्री तापमान के कारण लोगों का जीना दूभर हो रहा है। बिजली और पानी की सप्लाई न करके सरकार आम जनता से खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि पीने के पानी की अगर बात की जाए तो एक शहर जिसकी आबादी डेढ़ से दो लाख हो उसे दस दिनों के लिए 2 हजार क्यूसिक पानी की आवश्यकता पड़ती है लेकिन इस सरकार के अनुभवहीन विधायक, सांसदों के अनुभहीनता के कारण मात्र 400-500 क्यूसिक पानी ही मिल पाता है।इनसो नेता ने कहा कि अभी तो नहरों में पानी आना बहुत दूर है लेकिन वाटर टैंक अभी से सूख चके हैं। आने वाले दिनों में यदि सरकार ने सख्त कदम नहीं उठाए तो पीने के पानी के लिए आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इनेलो शासन काल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उस समय पानी मात्र 16 से 20 दिनों के बीच में नहरों में आता था वहीं दिनों की यह गिनती कांग्रेस सरकार में 25 से 32 दिनों में हो गई और जो अब भाजपा शासनकाल में 42 दिनों तक पहुंच गई।
उन्होंने कहा कि जब नहरों के अंदर पानी आता है तो सरकार के विधायकों व सांसदों को यह भी नहीं पता होता कि नहरी पानी को किसी तरह से एकत्रित करके आम जनता के लिए सप्लाई के लिए प्रयोग किया जाता है। इनसो नेता ने कहा कि सामाजिक ताने बाने में रहने वाली प्रदेश की आम जनता की पहली मूलभूत आवश्यकता रोटी, कपड़ा, बिजली और पानी है लेकिन भाजपा के गौरी चमड़ी के लोग जो एसी घरों/दफ्तरों में रहना पसंद करते हैं और मिनरल वाटर लेकर अपनी प्यास बुझाते हैं, उन लोगों को आम जनता के लिए पानी कितना महत्वपूर्ण यह समझना मुश्किल ही है। आज जहां खेतों में पानी देने की बात तो बहुंत दूर की बात है आम जनमानस को पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है। सरकार की नाकामी को उजागर करते हुए दिग्विजय ने कहा कि आने वाली 5 जून तक पानी की सप्लाई न के बराबर होगी जिससे प्रदेश के हालात और अधिक खराब होने का अंदेशा है। जिसकी जिम्मेदार भाजपा की यह अनुभवहीन सरकार है। दिग्विजय ने मुख्यमंत्री से जल्द से जल्द बिजली-पानी की समस्या का तुरंत उचित हल निकालने की मांग की।