लखनऊ के सआदतगंज इलाके में मदरसे से पुलिस और प्रशासन की टीम ने छापा मारकर शुक्रवार रात 51 छात्राओं को मुक्त करवाया। पीड़ित छात्राओं ने खदीजतुल कुबरा लिलबनात मदरसे के संचालक-प्रबंधक यासीनगंज निवासी कारी तैयब जिया पर यौन शोषण और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है। पुलिस ने संचालक पर मारपीट, धमकी देने, जालसाजी करने के अलावा पॉस्को एक्ट और सात सीएलए एक्ट में मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है। सआदतगंज पुलिस ने शनिवार को आरोपी संचालक तैयब जिया को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।मदरसे से छुड़ाई गईं लड़कियों के बयान लेने के लिए शनिवार को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) नारी बंदी निकेतन पहुंची। टीम को तब बुलाना पड़ा, जब पुलिस के सामने कई लड़कियां खुलकर बयान नहीं दे पा रही थीं। जानकारी के मुताबिक, सआदतगंज के यासीनगंज में कैंपबेल रोड मदरसा खदीजतुल कुबरा लिलबनात है। मदरसे के संस्थापक इंदिरानगर निवासी सैयद मोहम्मद जिलानी अशरफ ने बताया कि छात्राओं ने कागज के टुकड़े पर अपनी व्यथा लिखी और उसे मदरसे की छत से फेंका। कागज पाकर मोहल्ले वालों ने अशरफ को मामले की जानकारी दी।कागज पर छात्राओं ने लिखा था कि तैयब जिया और उसके चार साथी उनका यौन शोषण करते थे। विरोध करने पर उन्हें असलहे दिखाकर जान से मारने की धमकी देते थे।
इस पर मोहम्मद जिलानी सआदतगंज कोतवाली पहुंचे और अर्जी दी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद वह सीओ बाजारखाला के पास पहुंचे। सीओ के निर्देश पर सआदतगंज पुलिस हरकत में आई और मुकदमा दर्ज किया। जब मामले की जानकारी एसएसपी दीपक कुमार व डीएम कौशलराज शर्मा को हुई तो शुक्रवार रात पुलिस व प्रशासन की टीम ने महिला पुलिसकर्मियों के साथ मदरसे में छापा मारकर बंधक बनाई गईं 51 छात्राओं को मुक्त करवाया।एडीएम (पश्चिमी) संतोष कुमार वैश्य ने बताया, "मदरसे में 125 छात्राएं पढ़ती हैं, लेकिन मौजूदा समय में 51 छात्राएं ही थीं। बयान दर्ज करने के बाद छात्राओं को राजकीय बाल गृह भेज दिया गया है।"एसएसपी दीपक कुमार ने बताया, "पुलिस और प्रशासन की टीम ने छापा मारकर 51 छात्राओं को मुक्त कराया है और मदरसे के प्रबंधक आरोपी तैयब जिया को गिरफ्तार किया है। पीड़ित लड़कियों को फिलहाल नारी निकेतन में रखा गया है। मदरसे की जांच की जा रही है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।" पुलिस शनिवार को फिर मदरसा पहुंची। यहां पर वह अन्य लड़कियों से भी बात कर रही है। साथ ही पुलिस ने ऑफिस में रखे कई सामानों की सूची अपने कब्जे में ले ली है। पुलिस ने आरोपित संचालक के खिलाफ कार्रवाई तो की, लेकिन पीड़ित छात्राओं का वह पत्र भी सार्वजनिक कर दिया, जिसमें उन्होंने अपनी व्यथा लिखी थी।एसएसपी के पीआरओ ने वह पत्र मीडिया को भी सौंप दिया, जिसमें पीड़िताओं के नाम लिखे हैं। जबकि सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट निर्देश है कि यौन शोषण के मामलों में किसी भी पीड़िता की पहचान सार्वजनिक न की जाए। पुलिस की इस कार्यशैली पर छात्राओं के परिवारीजनों में काफी आक्रोश है।