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कैप्टन अमरिंदर सिंह की मेज़बानी अधीन एन.डी.ए. बैंच की 58 वर्ष के बाद हुई मिलन के दौरान यादों का दौर चला

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5 Dariya News

चण्डीगढ़ , 25 Dec 2017

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रविार  रात को अपने नेशनल डिफेंस अकैडमी (एन.डी.ए.) के अपने बैंच साथियों की मेज़बानी करके उनको रात का खाना दिया और इस मिलनी दौरान लगभग 58 साल पुराने संबंधों को पुर्न: सुरजीत किया।अपने 57वें बैंच साथियों से संबंधों की लंबे समय की दूरी को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री ने एन.डी.ए. खडक़वसला के अपने साथियों के साथ अपनी पुरानी यादों और अनुभवों को याद किया और अनेक वर्षो पहले रक्षा सेवाओं के प्रशिक्षण दौरान के दिनों की यादें सांझी की।इन पुराने साथियों की आपसी जि़ंदगी संबंधी विचारविमर्श करने के लिए इस मिलन ने एक विशेष अवसर मुहैया करवाया क्योंकि यह फ़ौजी इस लंबे समय दौरान विभिन्न हिस्सों में तैनात थे जो इस समय दौरान एक दूसरे को ढूढ़ते रहे परन्तु अब जा कर मिले।यह फ़ौजी अफ़सर प्रशिक्षण के बाद भारतीय फ़ौज के विभिन्न विंगों में चले गए थे। यह नौजवान लडक़े उस समय अपनी मातृभूमि की सेवा के लिए वचनबद्ध थे। रक्षा सेवाओं और अपने देश के लिए उनका प्यार हिलोरे मारता था। गत रात्रि हुई इस कुछ घंटों की मीटिंग दौरान भी यह यादें खुल कर सामने आईं और उनका जोश अभी भी हिलारे मारता था।अपने बचपन से ही हथियारों की तरफ आकर्षित और अपने आप को फ़ौज की वर्दी में देखने का स्वप्न लेने वाले मुख्यमंत्री ने कहा कि फ़ौज में भर्ती होने और देश की सेवा करने का ही सिफऱ् उन्होंने स्वप्न लिया था और इस के बारे ही अपने जीवन की तस्वीर सृजन करी थी। इस तरह लगता था कि इस बैंच का प्रत्येक साथी इसी तरह की भावनाओं को उजागर करना चाहता था और यह भावनाओं उनके फ़ौजी जीवन की यादों पर छपी हुई थीं। लगभग छह दशक एक दूसरे से अलग रहे इन 58 फौजियों ने कड़े प्रशिक्षण के दिनों संबधीे स्पष्ट तौर पर बातें की जिस के बाद ही फ़ौज की यह वर्दी पहन सके थे।

जतून की हरी वर्दी की चयन करने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जुलाई 1959 के उन पलों को याद किया जब वह एन.डी.ए. में जौर्ज (अब डेल्टा) स्कवैरडन में शामिल हुए थे जो कि खडक़वासला झील के किनारों पर स्थित थी। उनके बैंच के कई साथियों ने कैप्टन अमरिंदर के फ़ौज प्रति प्यार का जि़क्र किया और यह यादें उनकी यादाश्त में काफी दूर तक समाई हुई थीं। कैप्टन अमरिंदर सिंह के बैंच के साथियों ने उसके बढिय़ा कैडेट होने की बात को भी याद किया जिन्होंने एन.डी.ए. में घुड़सवारी और पोलो टीम की कप्तानी की थी। कैप्टन अमरिन्दर सिंह को 1963 में भारतीय फ़ौज में कमिशन मिला था और वह सिख रेजीमेंट की दूसरी बटालियन में तैनात हुए थे। यह वही बटालियन थी जिस में उन से पहले उनके पिता और दादा जी ने सेवा निभाई थी।फ़ौजी से राजनीतिज्ञ बने इस बैंच के इस साथी के लिए यह मिलन (रीयूनियन) एक खुशियों भरा पल था। पिछले 40 वर्षो बाद यह मिलन उनके लिए एक सपने की तरह था। उन्होंने आगामी वर्षो के दौरान भी इस तरह के मिलन को जारी रखने की उम्मीद जाहिर की। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के दिन की इन यादों को वह पूरा जीवन कभी नहीं भूल सकते और उनके लिए एक नये अनुभव की तरह है।इस अवसर पर कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने लैफ्टिनैंट जनरल कमल डावर, पूर्व प्रमुख डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी द्वारा लिखी ‘ट्रिस्ट विद परफिडी ’ नाम की किताब भी जारी की।इस अवसर पर  उपस्थित अन्य में लैफ्टिनैंट जनरल जी. एस. सहोता, लैफ्टिनैंट जनरल बी.एम. कपूर, लैफ्टिनैंट जनरल नटराजन, लैफ्टिनैंट जनरल कमल डावर, एयर चीफ़ मार्शल सिसोदिया, मेजर जनरल एम. एस. परमार, लैफ्टिनैंट जनरल प्रकाश सूरी, लैफ्टिनैंट जनरल नारायण चैटर्जी, कोमोडोर नाथ और मेजर जनरल गुरजीत सिंह रंधावा शामिल थे।

 

Tags: Amarinder Singh

 

 

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