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राजद के 'बिहार बंद' का मिलाजुला असर, जदयू ने 'हठधर्मिता' करार दिया

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पटना (बिहार) , 21 Dec 2017

बिहार सरकार द्वारा नई रेत खनन नीति वापस लिए जाने के बावजूद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) द्वारा इस नीति के विरोध में बुलाए गए एक दिवसीय बिहार बंद का गुरुवार को मिलाजुला प्रभाव देखा गया। इस दौरान हालांकि वाहनों की आवाजाही पर व्यापक असर रहा, जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामाना करना पड़ा। वहीं, सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) ने इस बंद को राजनीतिक हठधर्मिता बताते हुए कहा कि इस बंद का कोई औचत्य नहीं था। बंद के दौरान कई स्थानों पर बंद समर्थकों ने सड़कों पर आगजनी कर रास्तों को अवरुद्ध कर दिया है और कई स्थानों पर ट्रेनें भी रोकी गईं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बंद समर्थक सुबह से ही सड़कों पर उतर आए हैं। बंद के कारण पटना के अधिकांश निजी स्कूलों को पहले ही बंद रखा गया है। राजद के बिहार बंद का असर सुबह से ही पटना जिले में देखने को मिला। मनेर के विधायक भाई वीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में राजद कार्यकर्ताओं ने मनेर में विरोध प्रदर्शन किया। पटना के बस स्टैंड के पास भी राजद कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर टायर जलाकर इस नई नीति का विरोध किया। 

दोपहर के बाद पटना की सड़कों पर राजद के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव, राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे भी सड़क पर उतरे। तेजस्वी ने इस बंद को गरीबों व मजदूरों का बंद बताते हुए कहा, "राज्य सरकार गरीब विरोधी है। राजद किसान, मजदूर, नौजवानों और महिलाओं के साथ अन्याय के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगा। इसके बाद तेजस्वी यादव सहित कई नेताओं को पुलिस द्वारा हिरासत में ले लिया गया, जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया। नवादा, बांका, दरभंगा, औरंगाबाद और मधुबनी में भी लोग सड़कों पर उतरे और सड़क जाम कर प्रदर्शन किया। दरभंगा, बांका और पटना में रेलों का परिचालन भी बाधित किया गया। राजद की बंदी को लेकर राज्यभर में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। 350वें प्रकाशोत्सव के समापन समारोह 'शुकराना समारोह' को लेकर बाहर से आए सिख समुदाय के लोगों को कोई परेशानी नहीं हो, इसके लिए प्रशासन द्वारा खास ख्याल रखा जा रहा है। इस दौरान बिहार के मंत्री विनोद नारायण झा ने कहा कि राजद की बंदी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आज भी राजद की स्थिति में बदलाव नहीं हुआ है। 

आज राजद की बंदी ने 17 साल पहले के बिहार की याद दिला दी। इधर, जद (यू) ने इस बंद को राजनीति में हठधर्मिता का उदाहरण बताते हुए कहा कि लालू प्रसाद को बिहार की प्रतिष्ठा की कोई चिंता नहीं है। जद (यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार ने यहां गुरुवार को कहा, "रेत नीति के प्रश्न पर राज्य सरकार के सचिव ने बिंदुवार स्पष्ट कर दिया। रेत खनन नीति की वापसी के बाद बंदी का कोई औचित्य नहीं, यह हठधर्मिता का उदाहरण है।"उन्होंने दावा किया कि वैशाली जिले के महनार की रहने वाली एक महिला जो इलाज के लिए पटना आ रही थी, वह गंगा सेतु जाम रहने के कारण पटना नहीं पहुंच पाई, जिस कारण उसकी एंबुलेंस में ही मौत हो गई। उन्होंने कहा कि कई एंबुलेंस जहां-तहां रोक दी गई है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, "लालूजी कैसी राजनीतिक संस्कृति है आपकी? बीमारी से बैचैन, परेशान एक महिला जो इलाज के लिए पटना आ रही थी, आज आपके समर्थकों के कारण उसको अपनी जान गंवानी पड़ी।" उन्होंने कहा कि यही है राजद की राजनीति का चेहरा, जो यह साबित करता है कि लालू के समर्थकों में मानवीय संवेदना नहीं है।उल्लेखनीय है कि 2017 में नई खनन नीति बनाए जाने के बाद से ही उसका विरोध हो रहा है। इस बीच राजद ने इस मुद्दे पर बिहार बंद की घोषणा कर दी। बंद से ठीक एक दिन पहले बिहार सरकार ने नई नीति को वापस लेते हुए कहा कि राज्य में पुराने नियम के अनुसार ही रेत का खनन होगा। 

 

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