मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह ने आज रामपुर में अन्तरराष्ट्रीय लवी मेले के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस मेले कर एक लम्बा इतिहास है। देश की आजादी से पूर्व रामपुर का लवी मेला व्यापारिक मेले के रूप में प्रसिद्ध था और भारत व तिब्बत के बीच रामपुर व्यापार का पुराना मार्ग था। उन्होंने कहा कि पहले से ही यह एक महत्वपूर्ण उत्सव था, जब इसे व्यापारिक गतिविधियों के लिए मान्यता मिली थी और आज भी इसे महत्वपूर्ण व्यापारिक मेले के रूप में मनाया जाता है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की समृद्ध प्राचीन संस्कृति व रीति-रिवाजों के संरक्षण पर बल देते हुए कहा कि प्रदेशभर में मनाए जाने वाले ये मेले आपसी भाईचारा बढ़ाने तथा हिमाचल प्रदेश की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी का दायित्व बनता है कि नई पीढ़ी को प्रदेश की प्राचीन संस्कृति व रीति-रिवाजों के बारे में सचेत करें। हमने अपने जीवन में कितना भी विकास किया हो परन्तु हमें अपनी संस्कृति व भाषा को कभी भी नहीं भूलना चाहिए बल्कि हमें इस पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं की भूमि है और इनका हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे मेलों को सफल बनाने के लिए भरसक प्रयत्न करने चाहिए क्योंकि ये आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें नई पीढ़ी को प्राचीन परम्पराओं व रीति-रिवाजों से रू-ब-रू करवाना चाहिए। वीरभद्र सिंह ने कहा कि मेला मैदान का भविष्य में और विस्तार किया जाएगा ताकि यहां आने वाले व्यापारियों को सुविधा मिल सके। उन्होंने लोगों व प्रशासन को मेले के सफल आयोजन के लिए बधाई दी। मुख्यमंत्री ने मेले के दौरान लगाई गई विकासात्मक प्रदर्शनी के आयोजकों को पुरस्कार वितरित किए। स्वास्थ्य विभाग ने प्रथम स्थान जबकि बागवानी विभाग ने दूसरा व पशुपालन तथा आईटीबीपी ने संयुक्त रूप से तीसरा स्थान हासिल किया। उन्होंने स्कूली बच्चों के अतिरिक्त अन्य व्यक्तिगत पुरस्कार भी वितरित किए। इससे पूर्व उपायुक्त रोहन ठाकुर ने मुख्यमंत्री व अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया तथा उन्हें सम्मानित किया। इस अवसर पर स्कूली बच्चों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।मुख्य संसदीय सचिव श्री नन्द लाल व अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।