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सरकारी उम्मीदवार पर सहमति नहीं तो राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे : विपक्ष

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5 Dariya News

नई दिल्ली , 26 May 2017

कांग्रेस सहित देश की कई बड़ी विपक्षी पार्टियां शुक्रवार को एक साझा मंच पर आईं और उन्होंने फैसला किया कि अगर राष्ट्रपति पद के लिए केंद्र सरकार द्वारा नामित उम्मीदवार विपक्ष को मंजूर नहीं हुआ, तो वे अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगी। इस बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हिस्सा न लेने से अटकलों का बाजार गर्म रहा। नरेंद्र मोदी की सरकार के तीन साल पूरे होने के दिन सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक ने कई विपक्षी पार्टियों को केंद्र की नीतियों को लेकर उन्हें कोसने का एक साझा मंच प्रदान किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों, युवाओं, अल्पसंख्यकों व कमजोर तबके के लोगों सहित सभी तबके के लोगों पर अप्रत्याशित बोझ डाल दिया है। बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के नाम पर सर्वसम्मति बनाने के लिए कदम उठाना सत्ताधारी पार्टी का काम है। 

बयान के मुताबिक, "अभी तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ है। अगर केंद्र द्वारा नामित उम्मीदवार पर सहमति नहीं बन पाती है, तो विपक्षी पार्टियां एक ऐसे उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारेगी, जो देश के संवैधानिक मूल्यों को बरकरार रखने वाला होगा। "सोनिया द्वारा संसद भवन में बुलाई गई एक बैठक में हिस्सा लेने के बाद ममता ने संवाददाताओं से कहा, "राष्ट्रपति चुनाव के लिए बैठक में यही फैसला लिया गया कि केंद्र सरकार द्वारा किसी उम्मीदवार का नाम सामने रखे जाने तक हम इंतजार करेंगे और अगर उन्हें लेकर हम सबके बीच सहमति बन गई तो हम उस पर गौर कर सकते हैं। वह धर्मनिरपेक्ष तथा संविधान की मर्यादा बनाए रखने वाला/वाली होना चाहिए। अगर उन्हें लेकर हम सबके बीच सहमति नहीं बन पाई, तो विपक्षी नेता मिलकर एक समिति का गठन करेंगे, जो विपक्षी उम्मीदवार पर फैसला करेगी।"उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष को अपना उम्मीदवार खड़ा करने की नौबत आई, तो विपक्षी नेताओं द्वारा एक छोटी समिति का गठन किया जाएगा।

बैठक में हालांकि नीतीश कुमार की गैरहाजिरी से कई तरह की अटकलें का बाजार गर्म रहा। अटकलों को तब और बल मिल गया, जब यह खबर आई कि प्रधानमंत्री की मेजबानी में शनिवार को मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगनाथ को दिए जाने वाले भोज में नीतीश कुमार भी शरीक होंगे।जनता दल (युनाइटेड) के नेताओं को यह कहते नहीं बन रहा था कि नीतीश कुमार केवल आधिकारिक कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हैं और इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है।वहीं बैठक के बाद ममता ने कहा कि विपक्ष केंद्र सरकार के उम्मीदवार पर तभी सहमति जताएगी, जब वह धर्मनिरपेक्ष तथा संविधान की मर्यादा बरकरार रखने वाला होगा।उन्होंने कहा कि अगर सरकार हमारे साथ मिलकर उम्मीदवार के बारे में चर्चा करती है, तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है।उन्होंने साल 2002 में हुए राष्ट्रपति चुनाव का संदर्भ दिया, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ए.पी.जे.अब्दुल कलाम का नाम सामने रखा और उसपर सर्वसम्मति बन गई थी।मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के दूसरे कार्यकाल के बारे में पूछे जाने पर ममता ने कहा कि बैठक में किसी के नाम की चर्चा नहीं हुई।उन्होंने कहा कि कश्मीर, सहारनपुर में हिंसा तथा नोटबंदी पर सरकार की आलोचना को लेकर सभी पार्टियां एकजुट हैं।

 

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