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आज के यथार्थवादी सिनेमा में श्रमिक वर्ग की जगह मध्यवर्ग

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5 Dariya News

मुंबई , 26 Mar 2017

पिता नसीरुद्दीन शाह अभिनीत यथार्थवादी फिल्मों को देखते बड़े हुए अभिनेता विवान शाह का कहना है कि भारतीय सिनेमा की खूबी उसका भावना-प्रधान और नाटकीय होना है, लेकिन आज के सिनेमा में यथार्थवादिता में बदलाव आया है और अब इसमें श्रमिक वर्ग की जगह मध्य वर्ग नजर आता है। विवान ने आईएएनएस से कहा, "मुझे लगता है कि भारतीय सिनेमा में यथार्थवादिता में बदलाव हुआ है और अब इसमें श्रमिक वर्ग की जगह मध्य वर्ग नजर आता है। पहले मेरे पिता, ओम पुरी, अमिताभ बच्चन और फिल्मों के अन्य अभिनेता श्रमिक वर्ग का किरदार निभाते थे, जैसे कि किसान, कुली, कारखानों के कर्मचारी आदि।"

उन्होंने कहा, "अब जिसे हम यथार्थवादी सिनेमा कहते हैं, उसमें भी ऐसे किरदार मुश्किल से ही दिखाई देते हैं।"विवान का कहना है कि आजकल की फिल्मों के किरदार बदल गए हैं और अब इसमें मध्य वर्ग और उच्च वर्ग के किरदार नजर आते हैं।उन्होंने कहा, "वे '9-5' की नौकरियां करते हैं और बेहतर जिंदगी के लिए प्रयास करते नजर आते हैं। मुझे लगता है कि यह सिनेमा का एक दिलचस्प दौर है, जिसमें 'ट्रैप्ड' और 'लाली की शादी में लड्ड दीवाना' जैसी फिल्में एक साथ नजर आती हैं।"विवान अपनी फिल्म 'लाली की शादी में लड्ड दीवाना' को लेकर बेहद उत्साहित हैं।फिल्म सात अप्रैल को रिलीज होगी।

 

Tags: BOLLYWOOD

 

 

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