इनेलो के वरिष्ठ नेता एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चौधरी अभय सिंह चौटाला और प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने दोहराया कि इनेलो प्रदेशवासियों को साथ लेकर 23 फरवरी को हर हाल में एसवाईएल नहर की खुदाई शुरू करेगी। आज यहां पत्रकारों से बातचीत में इनेलो नेताओं ने कहा कि कांग्रेस व भाजपा एसवाईएल पर गम्भीर नहीं है। उन्होंने कहा कि 23 फरवरी को इनेलो कार्यकर्ता व प्रदेशभर के लोग अम्बाला शहर सब्जी मंंडी में इक_े होंगे और वहां से नहर खुदाई के लिए पंजाब-हरियाणा की सीमा की तरफ कूच करेंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एसवाईएल हमारी जीवनरेखा है और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले अनुसार इसका निर्माण करवाना हमारा अधिकार है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने मात्र सूचना के तौर पर उपायुक्त अम्बाला को पत्र भेजा था और उन्हें एसवाईएल की खुदाई के लिए किसी डीसी की इजाजत की जरूरत नहीं है। उन्होंने डीसी अम्बाला द्वारा अनुमति न दिए जाने संबंधी बयानों पर कहा कि इससे सरकार की मंशा पर भी सवालिया निशान लगता है और ट्रैफिक बंदोबस्त करना वैसे भी सरकार व प्रशासन की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश से जुड़े हर छोटे-बड़े मुद्दे पर इनेलो आगामी बजट सत्र में सरकार को घेरेगी। पत्रकार सम्मेलन में पूर्व सीपीएस रामपाल माजरा, राम सिंह बराड़, एनएस मल्हान व प्रवीन आत्रेय भी मौजदू थे।
इनेलो नेताओं ने जाटों द्वारा प्रदेशभर में दिए जा रहे धरनों पर कहा कि सरकार मामले को जानबूझकर लटकाकर प्रदेश के हालात फिर से खराब करने का षड्यंत्र कर रही है। इनेलो नेताओं ने कहा कि इस बार प्रदेशभर में दिए जा रहे धरनों में अकेले जाट नहीं बल्कि 36 बिरादरी के लोग शामिल हो रहे हैं और आंदोलनकारियों की मांग सिर्फ इतनी है कि सरकार ने पिछले साल 22 फरवरी को उनके साथ जो समझौता किया था उस समझौते में स्वीकार की गई मांगें सरकार तुरंत लागू करे। इनेलो नेताओं ने कहा कि एक तरफ सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और जीरो टॉलरेंस की बात कर रही है वहीं दूसरी तरफ न सिर्फ एक कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए मेट्रो का रूट बदला गया और भाजपा व आरएसएस से जुड़े हुए एक व्यक्ति विशेष की कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए ब्लेक लिस्टड कम्पनी से मीटर खरीद करके प्रदेशवासियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और ये आरोप सरकार पर खुद भाजपा के विधायक द्वारा लगाए जा रहे हैं। इनेलो नेताओं ने कहा कि सरकार के मंत्रियों व विधायकों के भ्रष्टाचार के किस्से अब हर किसी की जुबान पर है और इस मामले में कुछ सीडी भी जल्दी सामने आ सकती है।
इनेलो नेताओं ने कहा कि 1966 में अलग राज्य बनने के बाद हरियाणा को उसके हिस्से का पानी देने के लिए एसवाईएल पर काम शुरू हो जाना चाहिए था लेकिन 11 साल तक इस पर कुछ नहीं हुआ और 1977 में चौधरी देवीलाल की सरकार बनने के बाद उन्होंने इस बारे में काम शुरू करवाया और एसवाईएल की भूमि अधिग्रहण के लिए 20 फरवरी, 1978 को नोटिफिकेशन जारी करवाई। इतना ही नहीं चौधरी देवीलाल के मुख्यमंत्री रहते ही 31 मार्च, 1979 को एसवाईएल के निर्माण के लिए पंजाब सरकार को पहली किस्त के तौर पर एक करोड़ रुपए दिए गए। उसके बाद चौधरी देवीलाल की सरकार चली गई और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर फिर एसवाईएल का काम पूरी तरह रुक गया। 1987 में चौधरी देवीलाल के फिर मुख्यमंत्री बनने पर एसवाईएल का काम जोरों से शुरू हुआ लेकिन आतंकवाद के दौरान एसवाईएल से जुड़े इंजीनियरों और मजदूरों की बड़े स्तर पर हत्या होने के बाद जब काम फिर रुक गया तो चौधरी देवीलाल ने 20 फरवरी, 1991 को देश के उपप्रधानमंत्री रहते हुए इस नहर के अधूरे निर्माण को पूरा करवाने की जिम्मेदारी सेना की इंजीनियरिंग इकाई बीआरओ को दिलवाने के आदेश जारी करवाए। पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल ने हरियाणा विधानसभा के दिसम्बर 1991 के स्तर पर खुद सदन में माना कि एसवाईएल पर सबसे ज्यादा निर्माण कार्य चौधरी देवीलाल की सरकार के दौरान हुआ है। प्रदेश व केंद्र में फिर कांग्रेस की सरकार बनने पर नहर निर्माण का काम फिर से रुक गया। इनेलो नेताओं ने कहा कि 1999 में फिर से प्रदेश में चौधरी देवीलाल की नीतियों पर चलने वाली चौधरी ओमप्रकाश चौटाला की सरकार बनी और उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मामले पर जल्दी सुनवाई की याचिका दायर करवा इस मामले में जोरदार पैरवी की और आखिरकार 15 जनवरी, 2002 को सर्वोच्च न्यायालय का फैसला हरियाणा के पक्ष में आया और पंजाब को नहर बनाने के निर्देश दिए गए।
पंजाब में तब तक कैप्टन अमरेंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में आ गई और उन्होंने नहर खुदाई करने की बजाय सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी। इनेलो सरकार की जोरदार पैरवी के चलते पंजाब सरकार की पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो गई तो उसके बाद पंजाब की कांग्रेस सरकार ने पंजाब विधानसभा में नदी जल समझौते रद्द करने वाला एक बिल पारित करते हुए मामले को फिर लटकाने का काम किया। इसी बीच इनेलो की सरकार चली गई और हरियाणा व केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद दस सालों तक कांग्रेस ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया और न ही प्रधानमंत्री से मिलकर नहर बनाने के लिए कोई प्रयास किए। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से नहर का निर्माण करने को कहा था और इस मामले में किसी भी अदालत का कोई स्थगन आदेश नहीं था। अब पिछले अढाई सालों से केंद्र व प्रदेश में भाजपा की सरकार है और सर्वोच्च न्यायालय पंजाब विधानसभा द्वारा पारित विवादित नदी जल समझौते रद्द करने वाले बिल को भी असंवैधानिक बता चुका है। इसके बावजूद भाजपा सरकार नहर निर्माण में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है।
दूसरी तरफ पंजाब में कांग्रेस व भाजपा के नेता बार-बार यही दोहरा रहे हैं कि हरियाणा को एक बूंद भी पानी का नहीं देंगे। इनेलो नेताओं ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा सरकार लम्बे-लम्बे दावे कर रही है लेकिन न सिर्फ उनके मंत्रियों, विधायकों पर भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लग रहे हैं बल्कि सरकार भी आरोपों के घेरे में है।जाट आरक्षण मुद्दे पर पूछे गए सवालों के जवाब पर इनेलो नेताओं ने कहा कि सरकार ने आंदोलनकारियों के साथ पिछले साल 22 फरवरी को जिन सात बातों पर समझौता किया था सरकार उन्हें लागू करने की बजाय जानबूझकर प्रदेश के हालात को फिर से खराब करने का षड्यंत्र कर रही है। इनेलो नेताओं ने कहा कि अगर प्रदेश में फिर से हालात खराब हुए तो उसके लिए पूरी तरह से भाजपा सरकार जिम्मेदार होगी। इनेलो नेताओं ने कहा कि जिस मुख्यमंत्री की अपने मंत्रिमण्डल के सदस्यों पर पकड़ नहीं है और वे आपस में पूरी तरह से बंटे हुए हैं, वे प्रदेश का भला क्या करेंगे? इनेलो नेताओं ने कहा कि पिछली बार जब भाजपा व कांग्रेस ने प्रदेश के हालात खराब किए थे तो उस समय इनेलो ने प्रदेशभर में सदभावना बैठकें आयोजित कर प्रदेश के आपसी भाईचारे को मजबूत करने और फिर से सदभावना स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई थी।