Sunday, 19 May 2024

 

 

खास खबरें 2024 लोकसभा चुनाव ऐतिहासिक : पवन खेड़ा अमृतपाल को बंदी सिंह की श्रेणी में नही रखा जा सकता : सुखबीर सिंह बादल शिरोमणी अकाली दल ने चुनाव आयोग से किसानों को धमकाने के लिए हंसराज हंस के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने लुधियाना में बदलाव के लिए विजन डॉक्यूमेंट 'ड्राइव इट' पेश किया मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कुरुक्षेत्र से 'आप' उम्मीदवार डॉ. सुशील गुप्ता के लिए किया प्रचार महिला सशक्तिकरण तो दूर महिलाओं का सम्मान तक नहीं करते "आप" नेता : जय इंद्र कौर वर्ल्ड क्लॉस की स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए वचनबद्ध : विजय इंदर सिंगला इलेक्शन लोकतंत्र है और यहां हथियारों की नहीं बल्कि विचारों की लड़ाई होनी चाहिए : गुरजीत सिंह औजला अकाली दल के घोषणा पत्र में पंथक और क्षेत्रीय मजबूती का आहवाहन परिवर्तन की सरकार ने किया पंजाब को कर्जदार - गुरजीत औजला डॉ. एस.पी. सिंह ओबेरॉय के प्रयासों से जालंधर जिले के युवक का शव पहुंचा भारत दो साल में हमारी सरकार और मेरे काम को देखें, फिर तय करें कि आपको क्या चाहिए: मीत हेयर सीपीआई एम.एल. (लिबरेशन) ने की गुरजीत औजला के पक्ष में चुनावी रैली सनौर में अकाली दल प्रत्याशी के कार्यालय का उदघाटन खरड़ में निर्माणाधीन श्री राम मंदिर का दौरा करने के लिए माननीय राज्यपाल पंजाब को अनुरोध पत्र परनीत कौर व गांधी पटियाला हलके के लिए कोई प्रोजैक्ट नहीं लाए:एन.के.शर्मा मलोया में 20 मई को योगी आदित्य नाथ की विशाल चुनावी जनसभा-प्रदेशाध्यक्ष जतिंदर पाल मल्होत्रा फिल्म 'करतम भुगतम ' को ऑडियंस का प्यार और बॉक्स ऑफिस पर मिली सफलता लोक सभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग की हिदायतों का पूरा पालन किया जाए: जनरल पर्यवेक्षक जिला निर्वाचन अधिकारी कोमल मित्तल की देखरेख में वोटिंग मशीनों का पूरक रैंडमाइजेशन किया गया फिल्म कुड़ी हरियाणे वल दी / छोरी हरियाणे आली के टीजर में जट्ट और जाटनी के रूप में चमके एमी विर्क और सोनम बाजवा

 

मेरे लिए 'आराधना' है मिथिला पेंटिंग : बउआ देवी

Listen to this article

Web Admin

Web Admin

5 Dariya News

पटना , 27 Jan 2017

मिथिला पेंटिंग ने एक बार फिर बिहार के मधुबनी जिले को देश के मानचित्र पर स्थापित किया है। इस जिले की कलाकार 75 वर्षीय बउआ देवी को पद्मश्री सम्मान के लिए चुने जाने की घोषणा के बाद स्थानीय कला प्रेमियों में अपार खुशी है। वह इस कला को अपनी 'आराधना' मानती हैं। मिथिला पेंटिंग के गढ़ माने जाने वाले जितवारपुर गांव की निवासी और दिवंगत जगन्नाथ झा की पत्नी बउआ देवी फिलहाल नई दिल्ली में अपने पुत्र के साथ रहती हैं। उन्हें पद्म पुरस्कार के लिए चुने जाने की जानकारी गृह मंत्रालय की ओर से फोन पर दी गई।अप्रैल, 2015 में अपनी जर्मनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेयर स्टीफन शोस्तक को बउआ देवी की पेंटिंग उपहार में दी थी, जिसकी जानकारी इस कलाकार को बहुत बाद में मिली।
पद्मश्री सम्मान के लिए चुने जाने से खुश कलाकार ने आईएएनएस से फोन पर अपनी भाषा मैथिली में कहा, "यदि अहां खुश छी त हमहूं खुश छी। हमरा सम्मान स' बेसी खुशी अहि बातक अछि जे आब ई कला गाम स' निकलि देश-दुनिया में पहुंचि गेल अछि। (अगर आप खुश हैं तो मैं भी खुश हूं। मुझे सम्मान से ज्यादा इस बात की खुशी है कि यह कला गांव से निकलकर देश-दुनिया में पहुंच गई है)।" बउआ 13 वर्ष की उम्र से ही मिथिला पेंटिंग कला से जुड़ गई थीं।
उन्होंने कहा, "अब तो मरने के बाद ही यह कला मेरे शरीर से अलग होगी।" वह पांचवीं कक्षा तक ही पढ़ी हैं। उनकी शादी मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही हो गई थी। शादी के बाद भी उनकी कला साधना अनवरत जारी रही। कहा, "आज भी याद है कि किस तरह मुझे प्रारंभिक वर्षो में प्रति पेंटिंग सिर्फ डेढ़ रुपये मिला करते थे, जिनकी कीमत अभी लाखों में है।" उन्होंने बताया कि मिथिला पेंटिंग बनाने की प्रेरणा उन्हें अपनी मां चंद्रकला देवी से मिली। विवाह में कोहबर, जनेऊ संस्कार, मंडप और पूजा के मौके पर दीवारों पर की जाने वाली पेंटिंग को देखकर उनके मन में भी पेंटिंग करने की जिज्ञासा जगी। इसी दौरान जब वह पांचवीं कक्षा में पढ़ ही रही थीं, तो उनकी शादी हो गई। ससुराल आने के बाद से वह मिथिला पेंटिंग से निरंतर जुड़ी हुई हैं। बउआ देवी मधुबनी पेंटिंग की उन कलाकारों में एक हैं, जिन्होंने मधुबनी पेंटिंग की परंपरागत शैली 'दीवार पर चित्रकारी' को कागज पर उतारकर दुनिया के सामने पेश किया है। उनकी 'नागकन्या श्रृंखला' की 11 पेंटिंग दुनियाभर में चर्चित हुई हैं।वह कहती हैं, "अब इस कला का विस्तार गांव-घर से देश-दुनिया तक हो गई है। मैं खुद 11 बार जापान गई हूं और वहां महीनों रहकर कई कार्यक्रमों में मिथिला पेंटिंग कर चुकी हूं।
इसके अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, लंदन में भी मेरी पेंटिंग मौजूद हैं। देश के विभिन्न राज्यों से मेरी पेंटिंग की मांग की जाती है, जिससे मुझे खुशी होती है।"आज के फाइन आर्ट और मिथिला पेंटिंग की तुलना करने पर बउआ कहती हैं, "हमलोग कोई फाइन आर्ट नहीं कर रहे हैं जो घालमेल कर दें। मेरी मिथिला पेंटिंग अलग है, उसे अलग ही रहने दें। अलग रहेगी, तभी इसकी पहचान भी रहेगी।"वह वर्ष 1986 में राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी हैं। उनका पूरा परिवार इस कला से जुड़ा हुआ है। वह अपने दो बेटों- अमरेश कुमार झा व विमलेश कुमार झा और चार बेटियां- रामरीता देवी, सविता देवी, कविता और नविता झा को भी मिथिला पेंटिंग की विधा में दक्ष बना चुकी हैं।आज के कलाकारों को संदेश देते हुए वह कहती हैं, कलाकारों को मेहनत के साथ अपना कार्य जारी रखना चाहिए। मिथिला पेंटिंग बिहार के मधुबनी और दरभंगा जिलों के अलावा नेपाल के कुछ इलाकों की प्रमुख लोककला है। पहले इसे घर की महिलाएं दीवारों पर प्राकृतिक रंगों (फूल-पत्तियों के रस) से बनाती थीं। आधुनिक युग में तरह-तरह के रंग बाजार में मौजूद होने के बावजूद बउआ देवी अपनी पेंटिंग में प्राकृतिक रंगों को ही तरजीह देती हैं।



 

Tags: KHAS KHABAR

 

 

related news

 

 

 

Photo Gallery

 

 

Video Gallery

 

 

5 Dariya News RNI Code: PUNMUL/2011/49000
© 2011-2024 | 5 Dariya News | All Rights Reserved
Powered by: CDS PVT LTD