दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह एक मार्च, 2017 तक कोरोनरी स्टेंट का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमएसपी) तथा अधिकतम मूल्य तय करे। कोरोनरी स्टेंट का इस्तेमाल संकरी या कमजोर हो चुकी धमनी का इलाज करने में किया जाता है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.रोहिणी तथा न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा की एक खंडपीठ द्वारा पारित यह आदेश औषधि विभाग की उस अधिसूचना के एक दिन के बाद आया है, जिसमें उसने औषधि कीमत नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ) 2013 के तहत कोरोनरी स्टेंट को अनुसूची 1 के तहत रखा है। इसका अर्थ है कि राष्ट्रीय औषधि कीमत प्राधिकार (एनपीपीए) अब विभिन्न प्रकार के स्टेंट की कीमत तय करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।
अधिवक्ता बीरेंद्र सांगवान द्वारा स्टेंट की कीमत तय करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर न्यायालय द्वारा कार्रवाई की मांग के बाद इस साल 19 जुलाई को स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्टेंट को जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) में शामिल किया है।याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि सरकार तथा एनपीपीए लोगों के प्रति असंवेदनशील हो गई है, क्योंकि वह देश में काफी अधिक कीमत पर बेची जा रही स्टेंट की कीमत तय करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है।याचिका में यह भी दावा किया गया है कि देश में हर आयुवर्ग के लोग हृदय रोग के शिकार हैं, जिसके इलाज में स्टेंट की जरूरत होती है और इस पर होने वाला खर्च सभी वहन नहीं कर सकते।