उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को यहां कहा कि दुर्लभ साहित्य एवं पुस्तकें भावी पीढ़ी के लिए अनमोल धरोहर होती हैं। किसी भी समाज की प्रगति में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान होता है। उन्होंने कहा, "आधुनिक दौर में भी पुस्तकालयों का बेहद महत्व है। विकसित राष्ट्रों की कैटेगरी में पहुंचने वाले सभी देशों ने अपनी शिक्षा व्यवस्था को लगातार अपडेट करते हुए रिसर्च ओरिएंटेड बनाने का प्रयास किया।" मुख्यमंत्री शनिवार को यहां योजना भवन में राज्य योजना आयोग के नवीनीकृत केंद्रीय पुस्तकालय 'अध्ययन' के लोकार्पण अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि नियोजन संबंधी सभी जरूरी पुस्तकों एवं दस्तावेजों की उपलब्धता से यह पुस्तकालय सरकारी विभागों, संस्थाओं व रिसर्च स्कॉलर्स के लिए एक रिफरेंस सेंटर के तौर पर उपयोगी साबित होगा।
राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष नवीन चंद्र बाजपेयी ने कहा कि इस पुस्तकालय में लगभग 50 विषयों की लगभग 20 हजार पुस्तकों एवं प्रकाशनों का कलेक्शन उपलब्ध है। पुस्तकालय में वर्ष 1931 से अब तक की भारतीय जनगणना के आंकड़ों का संग्रह भी उपलब्ध है। इसके साथ ही, पहली पंचवर्षीय योजना से 12वीं पंचवर्षीय योजना तक के प्रकाशनों का संग्रह भी उपलब्ध है। इन तमाम जानकारियों से लैस यह पुस्तकालय निश्चित रूप से प्रदेश की नीतियों को बनाने व शोधार्थियों के लिए लाभकारी होगा। इस केंद्रीय पुस्तकालय को आने वाले समय में ई-नेटवर्किं ग के माध्यम से विभिन्न शोध संस्थानों, विश्वविद्यालयों से भी जोड़ा जाएगा।इस अवसर पर राजनैतिक पेंशन मंत्री राजेंद्र चौधरी, प्रमुख सचिव नियोजन मुकुल सिंघल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।