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शिक्षा व आय में कमजोर युवाओं का बढ़ सकता है मोटापा

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5 Dariya News

न्यूयार्क , 27 Aug 2016

कम पढ़े-लिखे या कम आय वाले पड़ोसियों के बीच रहने वाले सामान्य वजन वाले किशोरों या नवयुवाओं में अधिक वजन या मोटापे का शिकार हो जाने का खतरा अधिक रहता है। एक शोध में पाया गया है कि 25 प्रतिशत नौजवान अधिक वजन वाले या मोटापा का शिकार हो गए। कैसर परमानेंट साउदर्न कैलिफोर्निया के शोध एवं निरूपण विभाग के शोधकर्ता देबोराह रोह्म यंग ने यह निष्कर्ष दिया है। उनका कहना है कि युवावस्था की ओर बढ़ने के दौरान अधिक वजन बढ़ने के लिए कई कारणों से संकटपूर्ण समय है। इनमें बहुत सारे किशोर घर से कॉलेज जाने के लिए निकलते हैं और खाने के लिए उन्हें और आजादी मिल जाती है। 

सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारण के कारक वे परिस्थितियां हैं, जिनमें व्यक्ति ने जन्म लिया, रहा, सीखा, काम किया, खेला और पूजा की। साथ ही उम्र भी एक कारक है। ये सभी लोगों के स्वास्थ्य, उसकी कार्य पद्धति और जीवन की गुणवत्ता परिणाम एवं जोखिमों को प्रभावित करते हैं। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने सामान्य वजन वाले 18 साल की उम्र के विभिन्न जातीय आधार वाले 22 हजार 823 लोगों के स्वास्थ्य की जांच की और उन पर लगातार चार साल तक नजर रखा। इस अध्ययन के दौरान मोटापे के लैंगिक आधार पर बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को आधार बनाकर इन पर नजर रखी गई। 

चार साल बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि 23 फीसदी सामान्य वजन वाले उन किशोरों का वजन ज्यादा बढ़ गया जो कम पढ़े-लिखे पड़ोसियों के साथ रहते थे और जो कम आय वाले पड़ोसियों के साथ रहते थे, उनमें से दो प्रतिशत मोटापे के शिकार हो गए। इसके अलावा महिलाओं एवं अश्वेतों को पुरुषों एवं श्वेतों के मुकाबले 1.7 एवं 1.3 प्रतिशत मोटे होने का अधिक खतरा था। यंग ने पेड्रियाट्रिक ओबेसिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित अपने लेख में कहा है, "हमारे अध्ययन में पाया गया है कि सुविधाहीन जगहों में रहने वाले किशोरों का वजन बढ़ जाने या मोटापा के शिकार होने का खतरा अधिक होता है। इसके बढ़ने के संभावित कारण कौन से हैं, इसका पता हम नहीं लगा पाए। इसके कारकों में सांस्कृतिक मानदंड के साथ-साथ सार्वजनिक पार्क और किराना दुकान तक नहीं जा पाना शामिल हो सकता है।" 

 

Tags: HEALTH , STUDY

 

 

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