5 Dariya News

Kargil का हीरो: दायां पैर नहीं, शरीर में आज भी बम के 40 छर्रे मौजूद, बोले- यही छर्रे मेरी पहचान

Kargil Vijay Diwas के मौके पर जांबाज Major D.P. Singh की कहानी.. जिन्होंने सबकुछ खो दिया लेकिन हौसला आज भी जिंदा है

5 Dariya News

नई दिल्ली 26-Jul-2022

आज पूरे देश में कारगिल विजय दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस मौके पर आज हम आपके सामने ऐसे हीरो की कहानी लेकर आए हैं जिन्होंने देश के लिए अपना सबकुछ दाव पर लगा दिया। बात हो रही है कारगिल युद्ध में हुई जबर्दस्त गोलाबारी झेल चुके रिटायर्ड मेजर देवेन्दर पाल सिंह (Major D.P. Singh) की। भले ही डीपी सिंह इस हादसे में अपना दायां पैर खो चुके हों लेकिन इससे उनके हौसले में कोई कमी नहीं आई।

उन्हें आर्टिफिशियल लेग ब्लेड लगाई गई। इसके बाद वे भारत के अलग-अलग जगहों में होने वाली रेस प्रतियोगिताओं में भाग लेकर लोगों को प्रेरित करने लगे। हालांकि आर्टिफिशियल लेग ब्लेड से दौड़ना आसान नहीं होता। कारगिल युद्ध के दौरान भयंकर बमबारी हो रही थी। एक बम मेजर के बिलकुल पास में फट गया। बम के धमाके के बाद मेजर डीपी सिंह को मरा हुआ घोषित कर लिया गया था। समझना भी निश्चित था क्योंकि धमाका ही इतना बड़ा था कि सब कुछ तितर-बितर हो गया था।  

Also read:- अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में परिवारवाद की राजनीती का हुआ अंत : तरुण चुग

उसके साथी ने समझा कि उनकी मौत हो गई है। उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया। डॉक्टर ने चेकअप किया तो उनकी धड़कन चल रही थी। गोले के ज्यातातर छर्रे तो उनकी शरीर से निकाले गए लेकिन 40 छर्रे आज भी उनके शरीर में मौजूद हैं।  हादसे में दायां पैर खोने के बाद मेजर डीपी सिंह काफी उदास हो गए। हादसे के बाद कई लोगों ने कहा कि पैर खोने के बाद भला अब वे क्या कर पाएंगे। 

Also read:- पत्रकार ने पूछा- 'हर घर तिरंगा' अभियान कैसा है? फारूक अब्दुल्ला बोले- उसको अपने घर में रखना

उस वक्त उन्होंने सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे लोगों को पता चले कि शारीरिक रूप से अक्षम या हादसे में अपने अंग गंवा देने वाले भी बहुत कुछ कर सकते हैं। यही वजह है कि वे जगह-जगह होने वाली मैराथन रेस में भाग लेते हैं। इसके लिए हिम्मत और स्टैमिना दोनों चाहिए होता है। रही छर्रों की बात यदि वे शरीर से छर्रो को निकलवाते हैं तो उन्हें ऑपरेशन कराकर अपने शरीर को 40 जगहों से कटवाना पड़ेगा। इसलिए वे इसके लिए कभी तैयार नहीं हुए। वे अपने शरीर का ऐसा ही रखना चाहते हैं। 

Also read:-भारतीय सैनिकों के लिए हाइब्रिड आतंकवाद बना चुनौती,पाक ने बनाया सोशल मीडिया को भी हथियार

मेजर सिंह ने एक बार कहा था कि जब भी वो मरेंगे और उन्हें जलाया जाएगा तो अंत में शरीर से गोली और छर्रे टन की आवाज करके नीचे गिरेंगे। मेरे लिए यहीं गौरव की बात है। आपको बता दें कि आज मेजर डीपी सिंह ऐसे ही लोगों के लिए एक संस्था चला रहे हैं .. ‘दि चैलेन्जिंग वन्स’ और किसी वजह से पैर गंवा देने वाले लोगों को कृत्रिम अंगों के जरिए धावक बनने की प्रेरणा दे रहे हैं। वह जीवन की कठिन से कठिन परिस्थिति से जूझने को तैयार हैं और उसे चुनौती के रूप में लेते हैं।