Thursday, 12 September 2024

 

 

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Droupadi Murmu Inaugurates Divine Retreat Centre Of Brahma Kumaris At Haridamada Village Near Bhubaneswar

Launches National Campaign ‘Lifestyle For Sustainability’

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5 Dariya News

Bhubaneswar, Odisha , 08 Jul 2024

The President of India, Droupadi Murmu inaugurated the Divine Retreat Centre of Brahma Kumaris at Haridamada village near Bhubaneswar, Odisha today (July 8, 2024). She also launched a national campaign ‘Lifestyle for Sustainability’ of Brahma Kumaris.

Speaking on the occasion, the President said that Mother Nature is full of bounties. Forests, mountains, rivers, lakes, seas, rain, air - all are essential for the survival of living beings. But humans should remember that abundance in nature is for their needs, not for their greed. Human beings are exploiting nature for their indulgence and by doing this, are becoming victims of nature's wrath. 

She stated that establishing harmony with nature and living nature-friendly life is the need of the hour.The President said that Indian culture has always emphasized a lifestyle compatible with nature. In our philosophy, the earth has been called mother and the sky has been called father. 

The river has also been given the title of mother. Water has been called life. We worship rain as Lord Indra and the ocean as Lord Varuna. In our stories, mountains and trees move and animals even talk to each other. This means that nature is not inert, it also has the power of consciousness within it. All these are beautiful thoughts of Indian philosophers for the protection of nature.

The President said that climate change, global warming, and uncertainty of weather are big challenges that the world facing today. Natural disasters like floods, landslides, avalanches, earthquakes, forest fires, and tsunamis are no longer occasional. Now these have become frequent incidents.

The President said that small changes in our daily lives pave the way for big changes in society. We have to change our habits to ensure minimum use of natural resources. Often, drinking water gets wasted due to the taps being left open. Lights remain on even during the day. 

Similarly, be it at home or office, we do not pay attention to switching off the fans or lights. We have not been able to free ourselves from the habit of leaving some food on plates. She emphasised that it is not enough to just discuss nature-friendly lifestyle, we have to make it a part of our daily life. She urged everyone to make a habit of saving natural resources to conserve it.

The President appreciated all associated with the national campaign ‘Lifestyle for Sustainability. She said that it is a praiseworthy step in the direction of connecting people with nature. She stated that this campaign should not be limited to meetings, committees, or conferences.She urged all associated with the campaign to go to different parts of the country and make people aware, especially, the rural people about the environment.

राष्ट्रपति ने भुवनेश्वर के निकट हरिदमदा गांव में ब्रह्माकुमारी के दिव्य रिट्रीट सेंटर का उद्घाटन किया

राष्ट्रीय अभियान ‘स्थायित्व के लिए जीवनशैली’ का शुभारंभ किया

भुवनेश्वर 

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (8 जुलाई, 2024) ओडिशा के भुवनेश्वर के निकट हरिदमदा गांव में ब्रह्माकुमारी के दिव्य रिट्रीट सेंटर का उद्घाटन किया। उन्होंने ब्रह्माकुमारी के राष्ट्रीय अभियान ‘स्थायित्व के लिए जीवनशैली’ का भी शुभारंभ किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि प्रकृति मां के पास भरपूर संपदा है। जंगल, पहाड़, नदियां, झीलें, समुद्र, बारिश, हवा- ये सभी जीवों के जीवित रहने के लिए अनिवार्य हैं।

श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि मनुष्य को यह याद रखना चाहिए कि प्रकृति में प्रचुरता उसकी जरूरतों के लिए है, उसके लालच के लिए नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि मनुष्य अपने भोग-विलास के लिए प्रकृति का दोहन कर रहा है और ऐसा करके प्रकृति के प्रकोप का शिकार हो रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करना और प्रकृति के अनुकूल जीवन जीना समय की मांग है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति ने हमेशा प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे दर्शन में धरती को माता और आकाश को पिता कहा गया है। श्रीमती मुर्मु ने यह भी बताया कि नदी को भी माता की उपाधि दी गई है। उन्होंने कहा कि जल को जीवन कहा गया है और हम वर्षा को भगवान इंद्र और समुद्र को भगवान वरुण के रूप में पूजते हैं। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, हमारी कहानियों में पहाड़ और पेड़ हिलते हैं और जानवर भी आपस में बातें करते हैं। 

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इसका मतलब यह है कि प्रकृति जड़ नहीं है, उसके भीतर भी चेतना की शक्ति है और ये सभी प्रकृति के संरक्षण के लिए भारतीय दार्शनिकों के सुंदर विचार हैं।राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और मौसम की अनिश्चितता आज दुनिया के सामने बड़ी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि बाढ़, भूस्खलन, हिमस्खलन, भूकंप, जंगल की आग और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएं अब कभी-कभार होने वाली घटनाएं नहीं रह गई हैं। अब ये लगातार होने वाली घटनाएं बन गई हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव समाज में बड़े बदलाव का मार्ग प्रशस्त करते हैं। श्रीमती मुर्मु ने कहा कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का न्यूनतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए अपनी आदतों को बदलना होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि अक्सर नल खुले रहने से पीने का पानी बर्बाद हो जाता है। उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि दिन में भी लाइट जलती रहती है और इसी तरह घर हो या ऑफिस, हम पंखे या लाइट बंद करने पर ध्यान नहीं देते। 

राष्ट्रपति ने कहा कि प्लेट में कुछ खाना छोड़ देने की आदत से हम अभी तक मुक्त नहीं हो पाए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली पर सिर्फ चर्चा करना ही काफी नहीं है, हमें इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा। उन्होंने सभी से प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने की आदत डालने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय अभियान ‘स्थायित्व के लिए जीवनशैली’ से जुड़े सभी लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह लोगों को प्रकृति से जोड़ने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि यह अभियान सिर्फ बैठकों, समितियों या सम्मेलनों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्होंने अभियान से जुड़े सभी लोगों से देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर लोगों, खासकर ग्रामीण लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरूक करने का आग्रह किया।

ਭਾਰਤ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਨੇ ਭੁਵਨੇਸ਼ਵਰ ਦੇ ਨੇੜੇ ਹਰਿਦਮਦਾ ਪਿੰਡ ਵਿੱਚ ਬ੍ਰਹਮਾਕੁਮਾਰੀਜ਼ ਦੇ ਦਿਵਯ ਰਿਟ੍ਰੀਟ ਸੈਂਟਰ ਦਾ ਉਦਘਾਟਨ ਕੀਤਾ 

ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਮੁਹਿੰਮ ‘ਲਾਇਫ ਸਟਾਇਲ ਫਾਰ ਸਸਟੇਨੇਬਿਲਿਟੀ’ ਦਾ ਸ਼ੁਭਆਰੰਭ ਕੀਤਾ

ਭੁਵਨੇਸ਼ਵਰ

ਭਾਰਤ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ, ਸ਼੍ਰੀਮਤੀ ਦ੍ਰੌਪਦੀ ਮੁਰਮੂ ਨੇ ਅੱਜ (8 ਜੁਲਾਈ, 2024) ਓਡੀਸ਼ਾ ਦੇ ਭੁਵਨੇਸ਼ਵਰ ਦੇ ਨੇੜੇ ਹਰਿਦਮਦਾ ਪਿੰਡ ਵਿੱਚ ਬ੍ਰਹਮਾਕੁਮਾਰੀਜ਼ ਦੇ ਦਿਵਯ ਰਿਟ੍ਰੀਟ ਸੈਂਟਰ ਦਾ ਉਦਘਾਟਨ ਕੀਤਾ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਬ੍ਰਹਮਾਕੁਮਾਰੀਜ਼ ਦੀ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਮੁਹਿੰਮ ‘ਲਾਇਫ ਸਟਾਇਲ ਫਾਰ ਸਸਟੇਨੇਬਿਲਿਟੀ’ ਦਾ ਵੀ ਸ਼ੁਭਆਰੰਭ ਕੀਤਾ। ਇਸ ਮੌਕੇ ‘ਤੇ ਆਪਣੇ  ਸੰਬੋਧਨ ਵਿੱਚ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਪ੍ਰਕ੍ਰਿਤੀ ਮਾਂ ਦੇ ਕੋਲ ਭਰਪੂਰ ਸੰਪਦਾ ਹੈ। ਜੰਗਲ, ਪਹਾੜ, ਨਦੀਆਂ, ਝੀਲਾਂ, ਸਮੁੰਦਰ, ਬਾਰਿਸ਼, ਹਵਾ –ਇਹ ਸਾਰੇ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਜੀਵਤ ਰਹਿਣ ਦੇ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ। 

ਸ਼੍ਰੀਮਤੀ ਦ੍ਰੌਪਦੀ ਮੁਰਮੂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਇਹ ਯਾਦ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕੁਦਰਤ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਚੁਰਤਾ ਉਸ ਦੀਆਂ ਜ਼ਰੂਰਤਾਂ ਦੇ ਲਈ ਹੈ, ਉਸ ਦੇ ਲਾਲਚ ਦੇ ਲਈ ਨਹੀਂ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਹ ਵੀ ਕਿਹਾ ਕਿ ਮਨੁੱਖ ਆਪਣੇ ਭੋਗ-ਵਿਲਾਸ ਦੇ ਲਈ ਕੁਦਰਤ ਦਾ ਦੋਹਨ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ ਅਤੇ ਅਜਿਹਾ ਕਰਕੇ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਪ੍ਰਕੋਪ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਜ਼ੋਰ ਦੇ ਕੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਨਾਲ ਤਾਲਮੇਲ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨਾ ਅਤੇ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਅਨੁਕੂਲ ਜੀਵਨ ਜਿਉਣਾ ਸਮੇਂ ਦੀ ਮੰਗ ਹੈ।

ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਭਾਰਤੀ ਸੱਭਿਆਚਾਰ ਨੇ ਸਦਾ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਅਨੁਕੂਲ ਜੀਵਨ ਸ਼ੈਲੀ ‘ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸਾਡੀ ਫਿਲਾਸਫੀ ਵਿੱਚ ਧਰਤੀ ਨੂੰ ਮਾਤਾ ਅਤੇ ਅਸਮਾਨ ਨੂੰ ਪਿਤਾ ਕਿਹਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਸ਼੍ਰੀਮਤੀ ਮੁਰਮੂ ਨੇ ਇਹ ਵੀ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਨਦੀ ਨੂੰ ਵੀ ਮਾਤਾ ਦਾ ਦਰਜਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਜਲ ਨੂੰ ਜੀਵਨ ਕਿਹਾ ਗਿਆ ਹੈ ਅਤੇ ਅਸੀਂ ਵਰਖਾ ਨੂੰ ਭਗਵਾਨ ਇੰਦਰ ਅਤੇ ਸਮੁੰਦਰ ਨੂੰ ਭਗਵਾਨ ਵਰੂਣ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਪੁਜਦੇ ਹਾਂ। 

ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇੰਨਾ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਸਾਡੀਆਂ ਕਹਾਣੀਆਂ ਵਿੱਚ ਪਹਾੜ ਅਤੇ ਪੇੜ ਹਿਲਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਜਾਨਵਰ ਵੀ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਗੱਲਾਂ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਜ਼ੋਰ ਦਿੰਦੇ ਹੋਏ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਸ ਦਾ ਮਤਲਬ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਕੁਦਰਤ ਜੜ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਉਸ ਦੇ ਅੰਦਰ ਵੀ ਚੇਤਨਾ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਸਾਰੇ ਕੁਦਰਤ ਦੀ ਸੰਭਾਲ਼ ਲਈ ਭਾਰਤੀ ਦਾਰਸ਼ਨਿਕਾਂ ਦੇ ਸੁੰਦਰ ਵਿਚਾਰ ਹਨ। ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਜਲਵਾਯੂ ਪਰਿਵਰਤਨ, ਗਲੋਬਲ ਵਾਰਮਿੰਗ ਅਤੇ ਮੌਸਮ ਦੀ ਅਨਿਸ਼ਚਿਤਤਾ ਅੱਜ ਦੁਨੀਆ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਵੱਡੀਆਂ ਚੁਣੌਤੀਆਂ ਹਨ।

ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਹੜ੍ਹਾਂ, ਜ਼ਮੀਨ ਖਿਸਕਣ, ਲੈਂਡ ਸਲਾਈਡ, ਭੂਚਾਲ, ਜੰਗਲ ਦੀ ਅੱਗ ਅਤੇ ਸੁਨਾਮੀ ਜਿਹੀਆਂ ਕੁਦਰਤੀ ਆਫਤਾਂ ਹੁਣ ਕਦੇ –ਕਦਾਈਂ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਗਈਆਂ ਹਨ। ਹੁਣ ਇਹ ਲਗਾਤਾਰ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਬਣ ਗਈਆਂ ਹਨ। ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸਾਡੇ ਦੈਨਿਕ ਜੀਵਨ ਵਿੱਚ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਬਦਲਾਅ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਵੱਡੇ ਬਦਲਾਅ ਦਾ ਰਾਹ ਪੱਧਰਾ ਕਰਦੇ ਹਨ।

ਸ਼੍ਰੀਮਤੀ ਮੁਰਮੂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਸਾਨੂੰ ਕੁਦਰਤੀ ਸੰਸਾਧਨਾਂ ਦੀ ਨਿਊਨਤਮ ਵਰਤੋਂ ਸੁਨਿਸ਼ਚਿਤ ਕਰਨ ਦੇ ਲਈ ਆਪਣੀਆਂ ਆਦਤਾਂ ਨੂੰ ਬਦਲਣਾ ਹੋਵੇਗਾ। ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਅਕਸਰ ਨਲ ਖੁੱਲੇ ਰਹਿਣ ਨਾਲ ਪੀਣ ਦਾ ਪਾਣੀ ਬਰਬਾਦ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਧਿਆਨ ਦਿਲਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਕਿਹਾ ਕਿ ਦਿਨ ਵਿੱਚ ਵੀ ਲਾਈਟ ਜਲਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਘਰ ਹੋਵੇ ਜਾਂ ਦਫਤਰ, ਅਸੀਂ ਪੱਖੇ ਜਾਂ ਲਾਈਟ ਬੰਦ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਧਿਆਨ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦੇ। ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਪਲੇਟ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਖਾਣਾ ਛੱਡ ਦੇਣ ਦੀ ਆਦਤ ਤੋਂ ਵੀ ਅਸੀਂ ਹੁਣ ਤੱਕ ਆਜ਼ਾਦ ਨਹੀਂ ਹੋ ਪਾਏ ਹਾਂ।

ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਸ ਗੱਲ ‘ਤੇ ਜ਼ੋਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਕੁਦਰਤ ਦੇ ਅਨੁਕੂਲ ਜੀਵਨਸ਼ੈਲੀ ‘ਤੇ ਸਿਰਫ਼ ਚਰਚਾ ਕਰਨਾ ਹੀ ਕਾਫੀ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਸਾਨੂੰ ਇਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਦੈਨਿਕ ਜੀਵਨ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਬਣਾਉਣਾ ਹੋਵੇਗਾ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਕੁਦਰਤੀ ਸੰਸਾਧਨਾਂ ਨੂੰ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਕਰਨ ਦੀ ਆਦਤ ਪਾਉਣ ਦੀ ਤਾਕੀਦ ਕੀਤੀ।ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਨੇ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਮੁਹਿੰਮ ‘ਲਾਇਫ ਸਟਾਇਲ ਫਾਰ ਸਸਟੇਨੇਬਿਲਿਟੀ’ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਸਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਸ਼ਲਾਘਾ ਕੀਤੀ।

ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਹ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਕੁਦਰਤ ਨਾਲ ਜੋੜਨ ਦੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਸ਼ਲਾਘਾਯੋਗ ਕਦਮ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇਹ ਵੀ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਹ ਮੁਹਿੰਮ ਸਿਰਫ ਬੈਠਕਾਂ, ਕਮੇਟੀਆਂ, ਜਾਂ ਸੰਮੇਲਨਾਂ ਤੱਕ ਸੀਮਤ ਨਹੀਂ ਰਹਿਣੀ ਚਾਹੀਦੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਮੁਹਿੰਮ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਸਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿੱਚ ਜਾ ਕੇ ਲੋਕਾਂ, ਖਾਸ ਕਰਕੇ ਗ੍ਰਾਮੀਣ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਵਾਤਾਵਰਣ ਬਾਰੇ ਜਾਗਰੂਕ ਕਰਨ ਦੀ ਤਾਕੀਦ ਕੀਤੀ।

 

Tags: Droupadi Murmu , President of India , President , Indian President , Rashtrapati , Bhubaneswar , Odisha , Brahma Kumaris , Haridamada

 

 

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