लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के युवा नेता और पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष चिराग पासवान ने दावा किया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) इस चुनाव में 185 सीटों के अपने लक्ष्य पूरा करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह भाषण के लिए तैयारी नहीं करते, बल्कि मंच से ईमानदारी से दिल की बात बोलते हैं। फिल्मी दुनिया में किस्मत आजमाने के बाद करीब दो साल पहले ही राजनीति में सक्रिय हुए बिहार के जमुई क्षेत्र से सांसद चिराग ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में राजग की जीत का दावा करते हुए कहा कि लागों के बीच रहने और समझने का जितना मौका मिला उसके अनुसार युवा और खासकर महिलाएं वोट देने निकल रही हैं, जो बदलाव के संकेत हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं यूं ही नहीं निकलती हैं, लेकिन इस चुनाव में निकल रही हैं, जो राजग के लिए शुभ संकेत हैं।
दाल महंगी होने का चुनाव पर असर होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बेबाक तरीके से कहा कि बिहार के लोग राजनीतिक तौर पर काफी जागरूक हैं। ऐसे में वे भी जानते हैं कि केंद्र सरकार के पास अधिकार है, मगर राज्य सरकार को भी बहुत कुछ करना पड़ता है। ऐसे में जमाखोरी करके रखी गई दाल के लिए छापेमारी जरूरी है। यही कारण है कि इस चुनाव में दाल बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रतिदिन चार-पांच चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे चिराग जाति की राजनीति के विषय में कहते हैं, "मैं व्यक्तिगत रूप से जाति आधारित राजनीति पर भरोसा नहीं करता परंतु देश में जाति का बोलबाला है। बिहार में जाति पर विकास हावी है जबकि अन्य राज्यों में विकास ज्यादा हावी है।"हालांकि चिराग यह भी कहते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में जातीय समीकरण टूटा भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजग के वरिष्ठ नेताओं की तरह चिराग ने भी बिहार के पिछड़ेपन के लिए शासन करने वाली पार्टियों को दोषी बताते हुए कहा कि बिहार में कांग्रेस का शासन सबसे ज्यादा समय तक रहा जबकि 15 साल लालू प्रसाद और राबड़ी ने गद्दी संभाली। 10 वर्ष तक नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री रहे फिर भी अन्य कई राज्यों से बिहार पिछड़ा है। आखिर इसके लिए हम और आप तो दोषी नहीं हो सकते? उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा कि यही लोग एक बार फिर विकास की बात भी कर रहे हैं।चिराग ने सवालिया लहजे में कहा कि जब इतने दिन बिहार की सत्ता संभाली तब ये लोग विकास क्यों नहीं कर पाए? राजनीति सीखने के विषय में चिराग साफगोई से कहते हैं, "मेरे घर में ही राजनीति का एक प्रकार से इंस्टीट्यूट है। और यह फर्क है कि उन्हीं का अंश हूं और उन्हीं का संस्कार है।" उनका इशारा अपने पिता और लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान की तरफ था।
चिराग इसे स्वीकार करते हुए कहते हैं, "कई मामले पर मैं खुद उनसे सलाह मांगता हूं और कई मामले पर अपने विचार भी देता हूं। मुझे यह स्वीकार करने में थोड़ी भी झिझक नहीं है कि मैं घर से ही राजनीति का पाठ पढ़ा हूं।" राजनीति में परिवारवाद पर चिराग कहते हैं, "आपकी पूछ केवल इसलिए नहीं होनी चाहिए कि आप किसी राजनीतिक परिवार से आते हैं। आपमें उसके लिए प्रतिभा होनी चाहिए।" उन्होंने कहा, "किसी राजनीतिक परिवार से आना आपके लिए किस्मत की बात हो सकती है परंतु यह काबिलियत नहीं है। सौभाग्य से आपको चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है, लेकिन चुनाव जीतने के लिए आपके अंदर प्रतिभा होनी ही चाहिए।"राजग के घटक दल में हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के शामिल होने के विषय में उन्होंने कहा कि हम के प्रमुख जीतन राम मांझी के राजग में आने से राजग मजबूत हुआ है।