सौर ऊर्जा का दोहन
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नई दिल्ली , 07 Jul 2014
देश में 30-50 मेगावाट/ प्रतिवर्ग किलोमीटर छायारहित खुला क्षेत्र होने के बावजूद उपलब्ध क्षमता की तुलना में देश में सौर ऊर्जा का दोहन काफी कम है (जो 31-5-2014 की स्थिति के अनुसार 2647 मेगावाट है)। राज्यसभा में आज एक प्रश्न के लिखित उत्तर में पीयूष गोयल (बिजली, कोयला और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री-स्वतंत्र प्रभार ) ने यह बात कही। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन की शुरूआत से केवल चार वर्ष पहले ही सौर ऊर्जा का दोहन किया जा रहा है, अत: इस उपलब्धि को कम सफलता के रूप में नहीं आंका जा सकता। सौर ऊर्जा निरंतर खर्चीली है और इस पर भारी निवेश की जरूरत पड़ती है। सौर ऊर्जा का स्वरूप अस्थिर है जिससे इसे ग्रिड में समायोजित करना मुश्किल होता है।पीयूष गोयल ने आगे बताया कि लोगों की जागरुकता का अभाव, उच्च उत्पादन लागत तथा वर्तमान ऊर्जा को छोड़ने की सीमाएं एवं पारेषण(ट्रांसमशिन) नेटवर्क को देशभर में सौर ऊर्जा क्षमता के भरपूर दोहन की दिशा में मुख्य बाधा के रूप में माना गया है।