मौसम तेजी से बदल रहा है। मानसून आने वाला है। बारिश गर्मी से राहत तो देगी लेकिन डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी को भी अपने साथ लेकर आएगी। साफ शब्दों में कहूं तो डेंगू(Dengue) कोई हव्वा नहीं है... एक साधारण की बीमारी है। लेकिन लापरवाही इस बीमारी को जानलेवा बना देती है। हर साल भारत में लाखों लोग डेंगू से बीमार होते हैं और लाखों आसानी से ठीक भी हो जाते हैं। लेकिन जो लोग लापरवाही करते हैं वो अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी चला देते हैं और अपनी जान को जोखिम में डाल देते हैं। आज राष्ट्रीय डेंगू दिवस(National Dengue Day) है। यूं तो आपको डेंगू के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी होगी, आपने पढ़ा भी होगा। लेकिन फिर भी कुछ ऐसी चीजें है जहां अक्सर लोग लापरवाही बरत लेते हैं। आज हम उसी पर कुछ बात करेंगे ताकी आप लोग सचेत हो सकें।डूेंगू मच्छर के काटने से होता है। इसे हड्डीतोड़ बुखार (Breakbone fever) भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें रोगी हड्डी टूटने जैसा दर्द होता है।
पिछले वर्ष कोरोना के अलावा यदि किसी बीमारी ने लोगों को सबसे ज्यादा डराया तो वह डेंगू का डंक था। शहर से लेकर देहात तक डेंगू की दहशत फैल गई। प्लेटलेट्स के लिए खूब मारामारी मची। काफी संख्या में लोगों की मृत्यु हो गई।अगर अचानक बुखार के साथ आंखों के पीछे तेज दर्द हो तो मरीज को डेंगू की जांच अवश्य करानी चाहिए। डेंगू से बचाव के लिए बुखार की स्थिति में चिकित्सक की सलाह पर ही दवा लेनी चाहिए। खून पतला करने वाली दवा का सेवन सिरदर्द होने पर बिल्कुल नहीं करना है, क्योंकि यह उल्टा असर करती हैं और जानलेवा साबित होती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक डेंगू में प्लेटलेट घटने को लेकर लोगों के बीच कई तरह भ्रांतियां हैं। डेंगू के हर मरीज को प्लेटलेट की आवश्यकता नहीं होती है। आवश्यक नहीं है कि प्लेटलेट घट रहा हो तो डेंगू ही हो, क्योंकि यह कई बार वायरल और संक्रमण में भी यह घटता है। इसलिए जब तक एलाइजा जांच न हो जाए तब तक सिर्फ घटते प्लेटलेट के आधार पर डेंगू नहीं माना जा सकता।
लाखों लोगों पर डेंगू का डंक-
आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 में 40571 लोग इसका शिकार हुए और अगले ही साल यह आंकड़ा दोगुना हो गया। वहीं साल 2015 में 99913 लोगों में डेंगू के मामले सामने आए। उसके बाद साल 2016 में 129166 और 2017 में 150482 लोग डेंगू से प्रभावित हुए। वहीं साल 2018 में भी इन आंकड़ो में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसलिए डेंगू को हल्के में लेना किसी बेवकूफी से कम नहीं है। बचाव में ही सुरक्षा है, डेंगू अगर हो भी जाए तो डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी दवाई का सेवन ना करें।
डेंगू के लक्षण
तेज बुखार, गंभीर सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, मतली, उल्टी, सूजी हुई ग्रंथियां या दाने। यह लक्षण आमतौर पर 2 से 7 दिनों तक रहते हैं। संक्रमित मच्छर के काटने के 4 से 10 दिनों बाद ये बीमारी अपने लक्षण दिखाती है। डेंगू में प्लाज्मा के रिसाव, पानी की कमी, सांस लेने में दिक्कत जैसे गंभीर लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। इसके अलावा गंभीर पेट दर्द, लगातार उल्टी, तेजी से सांस लेना, मसूड़ों से खून आना, थकान, बेचैनी और खून उलटी करना भी डेंगू के लक्षण हैं। अगर मरीज का समय से इलाज न किया गया तो बीमारी घातक रूप ले लेती है।
साफ पानी में पनपता है डेंगू का लार्वा
कुछ लोगों में ये गलत धारणा है कि डेंगू का मच्छर गंदे पानी में पैदा होता है। सच्चाई ये है कि डेंगू का मच्छर साफ पानी में पनपता है। डेंगू का लार्वा छोटे जलस्रोतों जैसे कूलर, गमला, फ्रिज ट्रे, आदि में साफ पानी के ठहराव से बनता है। ऐसे जगहों की हर हफ्ते सफाई करनी चाहिए। डेंगू तेजी से फैलता है इसलिए यह ज्यादा खतरनाक है।
घरेलू नुस्खे भी कारगर-
डेंगू बुखार में ताजा अमरूद का रस भी राहत दिला सकता है। अमरूद का रस विटामिन सी से भरपूर होता है, जो इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है। इसके साथ ही यह कई पोषक तत्वों से भरा होता है। डेंगू बुखार के दौरान राहत पाने के लिए आप अपनी डाइट में ताजे अमरूद के रस को शामिल कर सकते हैं। डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट काउंट कम होने लगते हैं। ऐसे में पपीते के पत्ते का रस काफी मददगार हो सकता है। माना जाता है कि यह प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मदद करता है। इतना ही नहीं यह इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है। वहीं प्लेटलेट बढ़ाने के लिए बकरी के दूध का इस्तेमाल भी किया जाता है। गिलोय का रस भी डेंगू मरीजों के लिए कारगर है। यह मेटाबॉलिज्म में सुधार करता है और इम्यूनिटी बनाता है।
नीम हकीमों से बचें-
अगर किसी को डेंगू हो जाता है तो आपको डॉक्टरों की मदद लेनी चाहिए। नीम हकीमों के पास भूल कर भी ना जाएं। आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी- नीम हकीम खतराए जान.. नीम हकीमों से इलाज कराने से दिक्कत बढ़ जाती है। ये लापरवाही आपको मौत के मुंह तक धकेल सकती है। बचना है तो डॉक्टरी इलाज जरूरी है, झोला छाप डॉक्टरों से बचें।
डेंगू का इलाज-
डेंगू का सबसे बड़ा इलाज है शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता। डेंगू के लिए अभी तक कोई भी दवाई नहीं बनी है और ना ही कोई वैक्सिनेशन है। बुखार आने पर आप पैरासेटामॉल खा सकते हैं। जितना आराम हो सके अपने शरीर को उतना आराम दें। पानी पीते रहें और अपने शरीर को हाइड्रेट रखें।