लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में कला और संस्कृति विभाग ने पंजाब राज्य के प्रसिद्ध बैसाखी महोत्सव को मनाने के लिए एक दिवसीय 'कवि सम्मेलन'- कविता के रंग, बैसाखी के संग का आयोजन किया। छंदों ने मुख्य रूप से सार्वभौमिक भाईचारे, शांति, मानवता, मित्रता और आपसी समझ की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय के शांति देवी मित्तल सभागार में देश के विभिन्न हिस्सों के पांच प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी अनूठी प्रतिभा के साथ काव्य-मंच साझा किया। काव्य मंच पर विश्व प्रसिद्ध कवियों- डॉ श्याम वशिष्ठ (लेखक और कवि), विभोर चौधरी (स्टैंडअप कॉमेडियन और टीवी कलाकार), सुदीप भोला (अंतर्राष्ट्रीय कवि), वरुण आनंद (अंतर्राष्ट्रीय गजलिस्ट) और धीरेंद्र सिंह (राष्ट्रीय कवि और डिबेटर) ने शोभा बढ़ाई।
भिवानी (हरियाणा) के रहने वाले प्रोफेसर डॉ वशिष्ठ ने मौजूदा समाज में आपसी प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उनकी मुख्य पंक्ति “तेरी नफ़रत नहीं रुकती; मैं अपना प्यार क्यूं रोकूं ”, यही भावना बताती है। इस पूर्व संध्या पर, उनकी चौथी पुस्तक "समय की ताल पर (ऑन द ट्यून्स ऑफ टाइम्स) का भी विमोचन किया गया।" एलपीयू की प्रो चांसलर श्रीमती रश्मि मित्तल और महानिदेशक इंजी एच आर सिंगला ने लॉन्चिंग समारोह के दौरान पुस्तक के कवर का अनावरण किया। प्रोफेसर डॉ वशिष्ठ ने पुस्तक की चार प्रमुख पंक्तियों को इस प्रकार प्रस्तुत किया: “किस लिए हंसते हो मेरे हाल पर, नाचते हैं सब समय की ताल पर; आप ने तो वो पेड भी छोडे नहीं, पंछी कितने ही बैठे थे जिसकी डाल पर।"
उन्होंने किसानों की व्यथा कथा पर काव्य गीत भी गाया | एलपीयू के धीरेंद्र सिंह ने देशभक्ति के जोश के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की और वीर जवानों और शहीदों को अपनी भावपूर्ण पंक्तियों से नमन किया । उत्तर प्रदेश के विभोर चौधरी ने युवाओं और इससे संबंधित प्रसंगों के पक्ष में अपने सरल भाषणों के माध्यम से विद्यार्थियों कोबहुत हंसाया। वह आज की पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ स्टैंड-अप कॉमेडियन में से एक हैं। जबलपुर (मध्य प्रदेश) के सुदीप भोला ने भारत की महिमा का गीत गाया और इसकी संस्कृति को कायम रखा। इसी तरह, लुधियाना (पंजाब) के युवा उर्दू कवि वरुण आनंद ने अपने देशभक्ति के दोहों से दर्शकों को आकर्षित किया।