पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा ने घुद्दा परिसर में 5 जनवरी (मंगलवार) को अपना छठा दीक्षांत समारोह आयोजित किया। विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति पद्म भूषण प्रो. एस.एस. जोहल ने समारोह की अध्यक्षता की। पद्म विभूषण डॉ. के. कस्तूरीरंगन, प्रतिष्ठित प्रोफेसर, राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थान परिसर, बंगलुरु इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए दीक्षांत समारोह आभासी पटल पर आयोजित किया गया और छात्रों ने एक ऑनलाइन मंच के माध्यम से इस कार्यक्रम में भाग लिया। इस दीक्षांत समारोह के दौरान आभासी पटल पर कुल 555 स्नातकोत्तर / पीएच.डी. उपाधियां प्रदान की गई, जिसमें 2018 सत्र के छात्रों को 535 स्नातकोत्तर उपाधियां और 20 पीएच.डी. उपाधियां शामिल हैं। विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 31 छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। 555 उपाधि प्राप्तकर्ताओं में से चार विदेशी छात्र (अफगानिस्तानी नागरिक) थे, जिन्हें पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा स्नातकोत्तर उपाधि प्रदान की गई। इन अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों ने इस विश्वविद्यालय से एम.बी.ए. कृषि-व्यवसाय, एम.ए. राजनीति विज्ञान, एम.टेक. कंप्यूटर विज्ञान और प्रौद्योगिकी और एम.एससी. भौतिकी कार्यक्रम पूर्ण किए थे।कार्यक्रम के प्रारंभ में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने स्वागत संबोधन दिया। अपने संबोधन के दौरान प्रो. तिवारी ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अपने 42 स्नातकोत्तर और 35 पीएच.डी. कार्यक्रमों के अंतर्गत एकीकृत और अंतरविषयी अध्ययन के माध्यम से शिक्षण और अनुसंधान कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला संचालित कर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य नवाचार के माध्यम से शिक्षण और अनुसंधान मानकों का उत्थान करते हुए नवीन ज्ञान का सृजन करना है। प्रो. तिवारी ने बताया कि हमारे अत्यधिक योग्य संकाय और शोधार्थियों के निरंतर प्रत्यनों से इस विश्वविद्यालय ने नवीन स्थापित केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सर्वाधिक अनुसंधान उत्पादन दर्ज किया है और इस क्षेत्र में स्थापित अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में सर्वश्रेष्ठ प्रति संकाय-परियोजना अनुपात प्राप्त किया है।
उन्होंने कहा कि हमारे छात्र भाग्यशाली हैं क्योंकि उन्हें बठिंडा की पवित्र भूमि पर अपनी शिक्षा प्राप्त की जिसे 'गुरु की काशी' के रूप में जाना जाता है, जहां मानवता की भलाई के लिए गुरुओं द्वारा ज्ञान के महासागर की रचना की गई थी। उन्होंने जोर दिया कि विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की सभी अनिवार्यताओं के कार्यान्वयन और भारत को विश्व की ज्ञान राजधानी के रूप में पुनर्स्थापित करने के ध्येय को पूर्ण करने के लिए प्रतिबद्ध है।मुख्य अतिथि डॉ. के. कस्तूरीरंगन ने स्वर्ण पदक प्राप्तकर्ता विद्यार्थियों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में एक मानक स्थापित किया है, और कुलाधिपति प्रो. एस.एस. जोहल के मार्गदर्शन तथा कुलपति प्रो. आर.पी. तिवारी के नेतृत्व में यह विश्वविद्यालय आने वाले वर्षों में नई ऊँचाइयाँ प्राप्त करेगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय विविध कार्यक्रमों के साथ और अपनी दूरदर्शिता एवं ध्येय के अनुरूप बहु-विषयक समग्र शिक्षा प्रदान कर रहा है और साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप समन्वयित अनुसंधान की ओर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने आशा जताई कि बठिंडा शीघ्र ही प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों का घर होगा, क्योंकि विश्वविद्यालय अपना प्रसार करता रहेगा।उन्होंने युवाओं को नवोन्मेषी विचारों पर काम करने और अपनी रुचि का व्यवसाय चुनने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने शोधार्थियों को समाज कल्याण हेतु शोध संचालित करने के लिए प्रेरित किया। अपने अध्यक्षीय संबोधन में माननीय कुलाधिपति प्रो. एस.एस. जोहल ने निवर्तमान विद्यार्थियों को उनकी डिग्री पूरी करने पर बधाई दी। उन्होंने उल्लेख किया कि अपनी स्थापना के मात्र 11 साल की एक लघु अवधि में हमारा विश्वविद्यालय एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में भारत के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में स्थान पाने वाला सबसे युवा केंद्रीय विश्वविद्यालय है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में बहुत अधिक संभावनाएं हैं और विश्वविद्यालय अब अपने स्थायी परिसर में स्थानांतरित हो गया है, इसलिए निश्चित रूप से इसकी रैंकिंग में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि युवाओं को जीवन भर सीखने का दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। प्रो. जोहल ने कहा कि शिक्षकों को समाज के प्रति अपने अद्वितीय उत्तरदायित्व का पालन करना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि शिक्षकों को स्वयं नैतिक मूल्य विकसित करते हुए विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए।इस कार्यक्रम के दौरान कुलसचिव श्री कंवल पाल सिंह मुंदरा ने स्वर्ण पदक विजेताओं की घोषणा की और विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान करने के लिए मंच का समन्वय किया। कार्यक्रम के अंत में डीन विद्यार्थी कल्याण प्रो. वी.के. गर्ग ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी का धन्यवाद किया।