प्रदेश के जाने - माने साहित्यकार व हिमाचल साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कवि गुरमीत बेदी द्वारा रोचक शैली में लिखे गए यात्रा संस्मरण अब स्कूली पाठयक्रम का हिस्सा बनने जा रहे हैं। स्कूली विद्यार्थी इन यात्रा संस्मरणों के जरिए हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थलों की भौगोलिक स्थिति , वहां के नैसर्गिक सौंदर्य , इतिहास , संस्कृति, खानपान व जीवन शैली की जानकारी पा सकेंगे।एनसीआरटी के लिए पहली से दसवीं कक्षा तक पाठयक्रम की पुस्तकें तैयार करने वाले जाने-माने शिक्षाविद डॉ. प्रदीप कुमार जैन ने गुरमीत बेदी से उनके यात्रा संस्मरण स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की अनुमति मांगी थी और इसके बाद उन्होंने आधिकारिक पत्र के जरिए इस आशय की सूचना देते हुए बताया कि " भंगाल घाटी का तिलस्मी संसार" शीर्षक से गुरमीत बेदी द्वारा लिखे गए यात्रा संस्मरण को आठवीं क्लास के पाठ्यक्रम में एक चैप्टर के रूप में शामिल किया जा रहा है । डॉ. प्रदीप कुमार जैन ने यह भी बताया कि उनके द्वारा प्रकाशित पुस्तकें देश के अहिंदी भाषी राज्यों सहित विदेशों में हिंदी विद्यार्थियों को पढ़ाई जाने वाले सिलेबस में भी शामिल होती हैं और भविष्य में इस सिलेबस का हिस्सा गुरमीत बेदी के यात्रा संस्मरण व अन्य लेख भी बनेंगे। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला स्थित भंगाल घाटी पर लिखा गया गुरमीत बेदी का यह यात्रा संस्मरण देश की एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित हुआ था और फिर इसे एक इंटरनेट पत्रिका ने भी बड़े विस्तार से प्रकाशित किया था।
वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में उप निदेशक गुरमीत बेदी वर्ष 1989 से 1996 तक पालमपुर में सहायक लोक संपर्क अधिकारी व भारत- जर्मन प्रोजेक्ट में लोक संपर्क अधिकारी के पद पर रहे थे और इस दौरान उन्होंने कांगड़ा जिला की इस अति दुर्गम व नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण घाटी का भ्रमण करके कई दिन वहां के लोगों के बीच गुजारे थे और यहां के जनजीवन ,संस्कृति व धार्मिक मान्यताओं का गहन अध्ययन किया था। कविता, कहानी, उपन्यास व व्यंग्य सहित साहित्य की विभिन्न विधाओं में करीब एक दर्जन पुस्तकें लिख चुके गुरमीत बेदी के यात्रा संस्मरण देश - विदेश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं और इन संस्मरणों को पढ़ते हुए पाठक स्वयं को यात्रा में शामिल पाता है।गुरमीत बेदी को हिमाचल साहित्य अकादमी पुरस्कार , हिमाचल प्रदेश राजभाषा सम्मान ,पंजाब कला साहित्य अकादमी अवार्ड व कनाडा का विरसा अवार्ड कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। जर्मनी व मॉरिशस में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सम्मेलनों में गुरमीत बेदी भाग ले चुके हैं। उनके उपन्यास "खिला रहेगा इंद्रधनुष" पर एक टेली फिल्म भी बन रही है । इसके अलावा गुरमीत बेदी के कविता संग्रह "मेरी ही कोई आकृति " का जर्मनी भाषा में भी प्रकाशन हो रहा है। गुरमीत बेदी इन दिनों चंडीगढ़ स्थित हिमाचल प्रदेश प्रेस संपर्क कार्यालय में उपनिदेशक के पद पर सेवारत हैं। देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी अब तक दस हजार से अधिक रचनाएं प्रकाशित व चर्चित हुई हैं। गुरमीत बेदी 1981 से लेखन में सक्रिय हैं।