सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के बैठने के लिए कमरे नहीं, कहीं विद्यार्थी पांच दशक पुरानी जर्जर छत के नीचे बैठते हैं तो कहीं खुले आसमान में बैठने को मजबूर हैं, उन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं और कम्प्यूटर चलाने के लिए बिजली नहीं है। हरियाणा के सरकारी स्कूलों की यह चिंतनीय तस्वीर लोकसभा में पेश करते हुए दुष्यंत चौटाला सवाल उठाया कि भला ऐसे में सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों का कैसे भला होगा और कैसे शिक्षा का स्तर उठेगा। ग्रामीण आंचल में करीब 1970 में बने सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग की हालत जर्जर हो चुकी है। केंद्र सरकार को सरकारी स्कूलों की इस वास्तविक स्थिति को गंभीरता के साथ समझते हुए आगे बढऩा चाहिए। इनेलो सांसद लोकसभा में पेश नेशनल काऊंसिल टीचर्स एजुकेशन बिल 2017 पर बोल रहे थे।युवा सांसद ने कहा कि लोकसभा में बवानीखेड़ा हलके के गांव आदर्श गांव घुसकानी के सरकारी स्कूल का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने स्कूल की बिल्डिंग को बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के छह माह पहले तोड़ दिया। घुसकानी गांव को सांसद दुष्यंत चौटाला ने आदर्श गांव योजना के तहत गोद लिया हुआ है। दुष्यंत ने कहा कि जब सरकार से स्कूल की नई बिल्डिंग बनाने की मांग की गई तो प्रदेश सरकार स्पष्ट कर दिया कि उनके पास बिल्डिंग बनाने के लिए पैसे नहीं हैं। उन्होंने सर्वशिक्षा अभियान पर सवालिया निशान लगा दिया कि सरकार बिल्डिंग ही नहीं बना सकती तो, इस अभियान का क्या औचित्य।
इनेलो सांसद ने केंद्र सरकार से केंद्र सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालय, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के साथ साथ प्रदेश सरकार द्वारा संचालित सरकारी स्कूलों के आधारभूत ढांचे के लिए वित्तीय सहायता देने की मांग की।हिसार से इनेलो सांसद ने सरकारी स्कलों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए पीएचडी डिग्री धारकों को प्रशिक्षण देकर उनकी सेवाएं सरकारी स्कूलों में लेने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विभिन्न विषयों में हजारों की संख्या में युवाओं ने पीएचडी कर रखी है और उनके अनुसंधान का लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा। उन्होंने लोकसभा में चर्चा के दौरान एक बार फिर गेस्ट टीसर्च का मुद्दा उठाया कि केंद्र सरकार इस बिल में संशोधन करते हुए गेस्ट टीचर्स और तदर्थ टीचर्स को नियमित करने का भी प्रावधान करे ताकि गुरु को गेस्ट न मानकर उनकी नियमित सेवाएं ली जाएं। उन्होंने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि हरियाणा में आज भी 30 हजार शिक्षकों की कमी है और 800 से अधिक सरकारी स्कूल बिना प्रिंंसीपल के चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आइटी का जमाना है और इसे आम लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकारी स्कूलों में नियमित तौर पर शिक्षकों की नियुक्ति करे। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्कूलों में कम्प्यूटर तो पहुंचा दिए परन्तु अधिकांश सरकारी स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं है और कम्प्यूटर धूल फांक रहे हैं।