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कंज्यूमर वॉयस और अन्य कंज्यूमर संगठनों ने , वित्त मंत्री अरूण जेटली से जीएसटी व्यवस्था के तहत सभी तंबाकू उत्पादों पर 28 प्रतिशत कर लागू करने की अपील की

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मोहाली , 17 Feb 2017

कंज्यूमर वॉयस और अन्य कंज्यूमर संगठनों ने, वित्त मंत्री अरूण जेटली से जीएसटी व्यवस्था के तहत तंबाकू उत्पादों पर 28 प्रतिशत कर लागू करने की अपील की है। 18 फरवरी को आयोजित होने वाली एक महत्वपूर्ण जीएसटी परिषद की बैठक से पहले, राष्ट्रीय स्तर की संस्था, कंज्यूमर वॉयस ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और उनके मुख्य सलाहकारों से तंबाकू पर उच्च लागू करने की अपील की, जहां उन्होंने आग्रह किया कि सभी तंबाकू उत्पाद,खासतौर से बीढ़ी को नुकसानदेह उत्पादों की श्रेणी में 28 प्रतिशत जीएसटी अतिरिक्त लेवी के साथ संभव उच्चतम दर पर रखा जाए।पंजाब से ’’सिटीजन अवेयरनेस ग्रुप’’ कंज्यूमर वॉयस की सहयोगी संस्था भी अपने राज्य से तंबाकू उपयोग को नियंत्रित करने की मुहिम में लगी हुई है।डॉ. रिजोजॉन, आईआईटी, असिस्टेंट प्रोफेसर, आईआईटी जोधपुर ने कहा “तंबाकू उद्योग जानता है कि उपभोक्ताओं से फायदा कैसे उठाना है। इसलिए यह हर साल टैक्स में जिस वृद्धि  का प्रस्ताव करती है उससे बहुत ज्यादा वृद्धि कीमतों में कर लेता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार इस से सीख नहीं लेती है और बाद में इसी अनुपात में वृद्धि नहीं करती है। तंबाकू उत्पादों पर टैक्स में सामान्य तौर पर 10 प्रतिशत- 15 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद की जाती है पर इस बार बजट में सिर्फ 6 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की गई है और यह तंबाकू उद्योग के लिए वरदान है। सरकार को चाहिए कि सभी तंबाकू उत्पादों पर 28 प्रतिशत की सर्वोच्च डीमेरिट रेट तथा इस पर सर्वोच्च संभव से लागू कर दे। नई लागू होने वाली जीएसटी व्यवस्था में सुधार के उपाय नहीं किए गए तो यह भारत में जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर झटका होगा।”

तंबाकू उपयोगकर्ताओं की संख्या के लिहाज से भारत दुनियाभर में दूसरे नंबर पर है,( 275 मिलियन या सभी वयस्कों में 35 प्रतिशत) इनमें से कम से कम 10 लाख लोग हर साल तंबाकू से संबंधित बीमारी से मर जाते हैं। तंबाकू उपयोग के कारण होने वाली बीमारी की कुल प्रत्यक्ष और परोक्ष लागत 2011 में 1.04 लाख करोड़ ($17 बिलियन) या भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 1.16 प्रतिशत है।इस मामले पर आशिम सनयाल, मुख्य संचालन अधिकारी, कंज्यूमर वॉयस ने कहा कि तंबाकू का उपभोग अब अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया है, जिस ओर कानून निर्धारित करने वालों को जल्द ही ध्यान देने की जरूरत है। बढ़ता हुआ उपभोग, तंबाकू उपभोक्ताओं को गरीब व मुंह, फेफड़े कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का मरीज बना रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि  जब कीमत बढ़ती है, तो डिमांड घटती है। लिहाजा, इस वकत हमें जरूरत है कि तंबाकू पर कर की दर को अधिक लागू किया जाए (खासतौर से बीढ़ी), जिसासे तंबाकू के सेवन को नियंत्रित किया जा सके और हजारों लोगों की जिंदगी बचाई जा सके।

इस समय सिगरेट, बीड़ी और बगैर धुंए वाले तंबाकू पर कुल कर भार क्रम से 53 प्रतिशत, 19.5 प्रतिशत और 56 प्रतिशत है। भारत में तंबाकू पर कराधान विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों की तुलना में बहुत कम है। इसके मुताबिक, इन उत्पादों पर टैक्स भार खुदरा मूल्य का कम से कम 75 प्रतिशत होना चाहिए। 2017-18 के केंद्रीय बजट में भी इस गड़बड़ी को दूर नहीं किया गया है और टैक्स में प्रभावी वृद्धि 6 प्रतिशत है और यह पिछले बजट में देखी गई कम से कम 10 प्रतिशत की तुलना में कम है।सिटीजन अवेयरनेस ग्रुप के चेयरमैन सुरेंद्र वर्मा का कहना है ’’पंजाब की भारी जनसंख्या तंबाकू का सेवन करती है, जो तंबाकू पर उच्च कर लगाने के लिए महत्वपूर्ण कारण है। वर्तमान में निर्धारित न्यूनमत कर, तंबाकू की खरीद को बढ़ावा दे रहा है। ’’ पंजाब में 11.7 प्रतिशत युवा, जिनमें से 21.6 प्रतिशत पुरुष व 0.5 प्रतिशत महिलाओं की संख्या तंबाकू का सेवन करती  है।तंबाकू के कारण हर साल 10 लाख मौत होने का अनुमान है। इसके मद्देनजर जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वालों का मानना है कि तंबाकू क्षेत्र में सरकार की कराधान नीतियों ने जन स्वास्थ्य की चिन्ता को दूर नहीं किया है। तंबाकू उत्पादों को जीएसटी की निम्न दरों के तहत रखना गलत होगा, जनता के हितों में गलत संदेश देगा। बेहतर कर नीति के माध्यम से ही तंबाकू के सेवन पर विश्व भर में लगाम लगाई जा सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि प्रस्तावित जीएसटी संरचना और दर में बीड़ी को अन्य तंबाकू उत्पादों के बराबर रखा गया है। बीड़ी को डीमेरिट गुड्स श्रेणी में रखना माननीय वित्त मंत्री द्वारा लिया जा सकने वाला सबसे महत्वपूर्ण जन स्वास्थ्य और राजस्व निर्णय हो सकता है। जो भारतीयों के स्वास्थ्य और उनके स्वस्थ्य रहने पर प्रभाव डालेगा।

 

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