Tuesday, 21 May 2024

 

 

खास खबरें अनिल कुमार चूना ने अमृतसर में भाजपा उम्मीदवार तरनजीत सिंह संधू के समर्थन में युवा बैठक का आयोजन किया राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने डॉ. भरत बरोवालिया की पुस्तक का विमोचन किया हमारी वोट काम के लिए होती है, हमने काम करके दिखाएं है और जिसने काम नहीं किए उसे वोट मांगने का अधिकार नहीं है : पूर्व गृह मंत्री अनिल विज लुधियाना नगर निगम का क्लर्क जन्म प्रमाण पत्र में सुधार के लिए 11500 रुपए की रिश्वत लेने के दोष अधीन विजीलैंस ब्यूरो द्वारा गिरफ़्तार माईक्रो आब्जर्वर करेंगे नाजुक व संवेदनशील बूथों की निगरानी अमृतसर लोकसभा चुनाव में भाजपा राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुग ने विशाल जनसभा को संबोधित किया- तरुण चुग बिजली मीटर लगाने के बदले 12000 रुपए की रिश्वत लेने के दोष अधीन विजीलैंस ब्यूरो द्वारा पी.एस.पी.सी.एल का लाईनमैन और पूर्व सरपंच गिरफ़्तार भाजपा ने आपदा में पैसा नहीं दिया, विधायक खरीदने पर लगाया : मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लुधियाना से आप उम्मीदवार अशोक पराशर पप्पी के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किया चुनाव प्रचार मुख्यमंत्री भगवंत मान ने फतेहगढ़ साहिब से उम्मीदवार गुरप्रीत सिंह जीपी के लिए किया प्रचार मुख्यमंत्री भगवंत मान प्रसिद्ध पंजाबी कवि सुरजीत पातर जी के भोग रस्म में हुए शामिल रवनीत सिंह बिट्टू के बेबुनियाद आरोपों पर वड़िंग ने किया पलटवार पंजाब में बेहतर कानून व्यवस्था बहाल करना पहली प्राथमिकता : विजय इंदर सिंगला पंजाब में लगातार मजबूत हो रही आम आदमी पार्टी, विपक्षी पार्टियों के कई बड़े नेता आप में हुए शामिल महिलाओँ के सम्मान से कोई समझौता नहीं करती भाजपा : जय इंद्र कौर आम आदमी पार्टी ढाई सालों में एक भी वायदे को नहीं कर सकी पूरा : परनीत कौर यूटी के लिए कांग्रेस-आप के घोषणा पत्र ने दोनों पार्टियों के पंजाब विरोधी चेहरे को बेनकाब कर दिया: सुखबीर सिंह बादल शिरोमणी अकाली दल की अगली सरकार नदियों के किनारे की जमीन पर खेती करने वाले सभी बार्डर वाले किसानों को जमीन का अधिकार देगी: सरदार सुखबीर सिंह बादल किसानों को धान उगाने के लिए नहीं जलाना पड़ेगा डीजल: मीत हेयर कांग्रेस सरकार आने पर पुरानी पेंशन स्कीम होगी बहाल : गुरजीत सिंह औजला राजा वड़िंग को गिल और आत्म नगर में मिला जोरदार समर्थन; कांग्रेस की उपलब्धियों को गिनाया

 

प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में 5 वर्ष बाद हल्का सुधार

Listen to this article

Web Admin

Web Admin

5 Dariya News

19 Jan 2017

देश में प्राथमिक शिक्षा में सीखने की क्षमता में पिछले पांच वर्षो से लगातार आई गिरावट के बाद आए नए सर्वेक्षण में प्राथमिक स्कूलों में पठन क्षमता और सामान्य गणित को हल करने की क्षमता के स्तर में सुधार देखने को मिला है। हालांकि माध्यमिक स्कूलों में सीखने की क्षमता में गिरावट जारी है।तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले 25 फीसदी विद्यार्थी ही दूसरी कक्षा की सामग्री पढ़ने में सक्षम पाए गए, जो 2014 में 23.6 फीसदी की अपेक्षा बेहतर है।शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठन प्रथम की वार्षिक रिपोर्ट-2016 'एनुएल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट' में यह बातें सामने आई हैं।प्रथम की रिपोर्ट के अनुसार, 2014 में जहां तीसरी कक्षा के सिर्फ 25.4 फीसदी विद्यार्थी घटाना जानते हैं, वहीं 2016 में यह बढ़कर 27.7 फीसदी हो गया।इस सर्वेक्षण में 350,232 घरों के 562,305 स्कूली बच्चों को शामिल किया गया। इनमें ऐसे बच्चे भी शामिल किए गए जिनका या तो स्कूलों में दाखिला ही नहीं था या वे स्कूल छोड़ चुके थे।

सर्वेक्षण में ग्रामीण इलाकों का खास ध्यान रखा गया और 589 जिलों के 17,473 गांवों को शामिल किया गया।हालांकि अभी भी देश के 25.95 करोड़ प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की स्कूलों के अंदर सीखने की क्षमता में गिरावट ही आई है। उदाहरण के लिए पांचवीं कक्षा के सिर्फ 49 फीसदी विद्यार्थी और सातवीं कक्षा के सिर्फ 43 फीसदी विद्यार्थी भाग देना जानते हैं।सीखने की क्षमता में आया सुधार जहां सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूलों में देखा गया, वहीं सरकारी स्कूलों में सुधार अधिक रहा। 2016 में देश के सरकारी स्कूलों में तीसरी कक्षा के 19.3 फीसदी विद्यार्थी ही दूसरी कक्षा की किताबें पढ़ सके, जबकि 2014 में यह स्तर (17.2 फीसदी) और नीचे थे। 

वहीं निजी स्कूलों में 2014 की 37.8 फीसदी की अपेक्षा बढ़कर 2016 में 38 फीसदी हो गया।इंडियास्पेंड की रिपोर्ट में एसर के निदेशक विलिमा वाधवा के हवाले से कहा गया है कि पठन क्षमता में आए सुधार या गिरावट का सही-सही कारण जानना कठिन है, तथा इसमें अलग-अलग राज्यों में विविधता भी है।अध्यापक-विद्यार्थी अनुपात और मध्यान्ह भोजन में बढ़ोतरी भी इस सुधार के पीछे अहम कारण हो सकते हैं।स्कूल स्तर के आंकड़ों के लिए एसर के सर्वेक्षणकर्ताओं ने हर गांव में एक स्कूल का दौरा किया।शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून के अनुसार, शिक्षक-विद्यार्थी का आदर्श अनुपात प्राथमिक स्कूलों के लिए प्रति 30 विद्यार्थियों पर एक अध्यापक का होना चाहिए, जबकि माध्यमिक स्तर के लिए यह अनुपात प्रति 35 विद्यार्थी पर एक अध्यापक होना चाहिए।

एसर के सर्वे के अनुसार, 2016 में 53 फीसदी सरकारी प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों ने इसका पालन किया। इससे पहले 2014 में यह प्रतिशत 49.3 और 2010 में 38.9 फीसदी था।रिपोर्ट के अनुसार, एसर के सर्वेक्षणकर्ता जिस दिन स्कूलों के दौरे पर पहुंचे, उसी दिन मध्यान्ह भोजन मुहैया कराने वाले स्कूलों का प्रतिशत 87.1 रहा, जबकि इससे पहले 2014 में यह 85.1 फीसदी था।एसर सर्वेक्षणकर्ता जिन स्कूलों में सर्वे करने पहुंचे, उनमें से 68.7 फीसदी स्कूलों में उपयोग के लायक शौचालय मिले। इससे पहले 2014 में 65.2 फीसदी स्कूलों में और 2010 में 47.2 फीसदी स्कूलों में सही अवस्था में शौचालय पाए गए थे।

2016 में 61.9 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था पाई गई, जबकि 2014 में सिर्फ 55.7 फीसदी स्कूलों में ऐसी व्यवस्था थी।पुस्तकालय की सुविधा के मामले में हालांकि गिरावट दर्ज की गई। 2014 में जहां 78.1 फीसदी स्कूलों में पुस्तकालय थे, वहीं 2016 में 75.5 फीसदी स्कूलों में पुस्तकालय की सुविधा मिली।रिपोर्ट के अनुसार, 63.7 फीसदी स्कूलों में दूसरी कक्षा के और 58 फीसदी स्कूलों में तीसरी कक्षा के विद्यार्थी अन्य कक्षाओं के विद्यार्थियों के साथ बैठकर पढ़ते पाए गए। उल्लेखनीय है कि आरटीई के तहत एक ही कमरे में कई कक्षाएं चलाने को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिया गया है।

वहीं देश में शिक्षकों की कमी अभी भी बनी हुई है। लोकसभा में दिए गए जवाब के अनुसार, पूरे देश के सरकारी स्कूलों में जहां 60 लाख अध्यापकों के पद हैं, उनमें नौ लाख पद अभी भी रिक्त पड़े हुए हैं।इसके असर के रूप में देश में माध्यमिक स्तर पर पंजीकरण में कमी को देखा जा सकता है। 2015-16 में देश के सरकारी और निजी प्राथमिक स्कूलों में जहां 87.3 फीसदी बच्चे पंजीकृत हैं, वहीं माध्यमिक स्कूलों में सिर्फ 51.26 फीसदी बच्चे ही पंजीकृत पाए गए।सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के अनुसार, राजनीति के लिहाज से शिक्षा अभी भी मतदाताओं को लुभाने वाला मुद्दा नहीं बन पाया है।2015-16 में स्कूल स्तर पर और उच्च शिक्षा पर खर्च के मामले में भारत ब्रिक्स देशों के अन्य सदस्यों की अपेक्षा सबसे कम खर्च करता है।सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के 2016 के आंकड़ों के अनुसार, भारत जहां अपने सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करता है, वहीं रूस 3.8 प्रतिशत, चीन 4.2 प्रतिशत, ब्राजील 5.2 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका 6.9 प्रतिशत खर्च करते हैं।

(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत।)

(ये इंडियास्पेंड के निजी विचार हैं)

 

Tags: KHAS KHABAR

 

 

related news

 

 

 

Photo Gallery

 

 

Video Gallery

 

 

5 Dariya News RNI Code: PUNMUL/2011/49000
© 2011-2024 | 5 Dariya News | All Rights Reserved
Powered by: CDS PVT LTD