सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को भारतीय वायुसेना बल (आईएएफ) के उन दो जवानों की याचिका ठुकरा दी, जिन्होंने धर्म के आधार पर दाढ़ी बढ़ाने की अनुमति मांगी थी। न्यायालय ने फैसले में कहा कि व्यक्तिगत भेष के लिए आईएफ की नीतियां धार्मिक मान्यताओं में भेदभाव नहीं करतीं। न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर और न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ और एल.नागेश्वर राव की खंडपीठ ने मोहम्मद जुबेर और अंसारी आफताब अहमद की याचिका ठुकराते हुए कहा, "निजी भेष के संदर्भ में नियमन और नीतियां धार्मिक मान्यताओं में भेदभाव नहीं करती हैं। और न ही ऐसा करना उचित है।"फैसले के मुताबिक, "इसका उद्देश्य एकता, सामंजस्य, अनुशासन और व्यवस्था को बनाए रखना है जो वायुसेना के लिए अपरिहार्य है।"जुबेर ने मुसलमान होने के नाते दाढ़ी बढ़ाने की अनुमति वायुसेना से मांगी थी, जिसे ठुकरा दिया गया था। इसे जुबेर ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। जुबेर ने 10 जनवरी, 2015 को आईएएफ से दाढ़ी बढ़ाने की अनुमति मांगी थी, जिसे कमांडिंग अधिकारी ने ठुकरा दिया था।