1984 के सिक्ख हकत्लेआम पीडितों के लिए इन्साफ मांगने के मुद्दे पर साहिबजादा अजीत सिंह नगर मोहाली में 1 दिवसीय भूख हड़ताल पर बैठे आम आदमी पार्टी के नेताओं ने पंजाब कांग्रेस प्रमुख कैप्टन अमरिन्दर सिंह से 15 दिनों के अंदर माफी मांगने की मांग की है। ऐसा न होने की सूरत में पार्टी अमरिन्दर के खिलाफ सूबे भर के में रोष प्रदर्शन करेगी। आप के सीनियर नेता जिनमें सूबा कनवीनर गुरप्रीत सिंह वड़ैच, एचएस फूलका, पंजाब के को-इंचार्ज जरनैल सिंह, संगरूर से एमपी भगवंत मान, मैनीफैस्टो समिति के प्रमुख कंवर संधू, आरटीआई सैल के प्रमुख सुखपाल खहरा, लीगल सेल के मुखी हिम्मत सिंह शेरगिल, ट्रेड विंग के प्रमुख अमन अरोड़ा, पार्टी के महासचिव गुलशन छाबड़ा, यूथ विंग प्रमुख हरजोत सिंह बैंस, स्त्री विंग प्रमुख प्रो. बलजिन्दर कौर, 1984 कत्लेआम के पीडित एचएस कोहली और निरप्रीत कौर ने मोहाली के गुरुद्वारा श्री अम्ब साहिब के सामने भूख हड़ताल पर बैठे। इक्कट्ठ को संबोधन करते हुए फूलका ने कहा कि यह दुर्भाग्यापूर्ण बात है कि कत्लेआम के 32 वर्ष बीत जाने के बाद भी कातिलों को सजा नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि वाहेगुरू ने उनकी ड्युूटी सच की आवाज बुलंद करने पर लगाई है और वह अपने जीवन के अंत तक ऐसा करते रहेंगे। फूलका ने कहा कि विरोधी पार्टियां अकाली दल, बीजेपी और कांग्रेस लोगों में यह भ्रम पैदा कर रहे हैं कि आम आदमी पार्टी वोटों की खातिर 1984 का मुद्दा उठा रही है परंतु सच यह है कि आम आदमी पार्टी के नेता जिनमें खुद और जरनैल सिंह शामिल हैं यह लड़ाई राजनीति में आने से पहले ही लड़ते आए हैं। कांग्रेस प्रमुख कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अलोचना करते उन्होंने कहा कि जगदीश टायटलर, कमल नाथ और सज्जण कुमार जैसे हत्यारों का साथ दे कर अमरिन्दर सिंह ने सिक्खों की पीठ में छुरा मारा है और उन्हें सिक्खों के गद्दार के तौर पर याद रखा जायेगा।
फूलका ने कहा कि अब तक बिठाए गए लगभग सभी कमीशनों ने सिक्ख कत्लेआम के लिए कांग्रेस नेता जगदीश टायटलर, कमल नाथ और सज्जण कुमार के नामों की पुष्टि की है। उन्होंने पूछा कि अमरिन्दर सिंह इन नेताओं को क्लीन चिटें बांटने वाला कौन होता है। फूलका ने कहा कि अमरिन्दर सिंह का यह कहना कि वह कत्लेआम के समय दिल्ली में सिक्ख परिवारों को मिल रहा था एक झूठ का पुलंदा है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय पर जब जनरल गुरबख्श सिंह अरोड़ा जैसे लोग दिल्ली में नहीं घूम सकते थे ऐसे हालतों में या तो अमरिन्दर सिंह झूठ बोल रहे थे या फिर वह सिक्ख के कातिल कांग्रेसी नेताओं की कारों में घूम रहे थे। अब तक किसी भी एक गवाह ने अमरिन्दर सिंह के उस समय दौरान दिल्ली में होने की पुष्टि नहीं की है। फूलका ने कहा कि 5 नवंबर 1984 के लगभग सभी अखबारों में जगदीश टायटलर द्वारा कातिलों के झुण्ड का नेतृत्व करने की खबरें लगी थी। सो अमरिन्दर सिंह का यह कहना कि टायटलर का नाम मदन लाल खुराना के चुनाव दौरान सामने आया यह सरासर झूठ है। जरनैल सिंह ने कहा कि 1984 के मुद्दे पर अकाली-बीजेपी और कांग्रेस मिलकर आरोपियों को बचा रहे हैं। उन्होंने दिल्ली के अकाली नेताओं पर कत्लेआम के गवाहों को टायटलर के खिलाफ ब्यान देने से मुकराने का भी आरोप लगाया। जरनैल सिंह ने कहा कि पंजाब की अकाली-बीजेपी सरकार इतनी गिर चुकी है कि उन्होंने कत्लेआम के पीडित सिक्खों के लिए जारी किए फंड में भी घपलेबाजी की है। उन्होंने इस सम्बन्धित सीबीआई जांच की मांग की है। जरनैल सिंह ने कांग्रेस प्रमुख कैप्टन अमरिन्दर सिंह को चुनौती दी कि वह 1984 के मुद्दे पर उनके साथ किसी भी समय बहस करने को तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि अमरिन्दर सिंह निश्चित तौर पर ऐसी चुनौती को कबूल नहीं करेंगे क्योंकि वह जानते हैं कि वह इस मसले पर झूठ बोल रहे हैं। कैप्टन अमरिन्दर सिंह से 15 दिनों में लोक सभा में माफी मांगने की चेतावनी देती गुरप्रीत सिंह वड़ैच ने कहा कि ऐसा न होने की सूरत में आम आदमी पार्टी पीडित परिवारों के साथ मिल कर अमरिन्दर सिंह का पंजाब भर में घेराव करेगी। वड़ैच ने कहा कि दिल्ली की आप सरकार ने भले ही पीडित परिवारों को आर्थिक सहायता दी है परंतु यह लड़ाई आरोपियों को सजा दिलाने तक जारी रहेगी। अकाली दल की अलोचना करते उन्होंने कहा कि नरिन्दर मोदी सरकार द्वारा आप की दिल्ली सरकार की तरफ से बनाई एसआईटी भांग करने का अकाली दल ने कभी भी विरोध नहीं किया। भगवंत मान ने कहा कि यदि सही समय पर 1984 के कातिलों को सजा मिल जाती तो गोधरा और अन्य फर्जी मुकाबलों जैसी घटनों नहीं होनी थी। उन्होंने कहा कि अकाली-भाजपा और कांग्रेस ने हमेशा नफरत की राजनीति करते लोगों को धर्म के नाम पर बांटा है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा 1984 की घटना को भूल जाने संबंधी कहने पर मान ने उसको ‘मानसिक तौर पर दिवालिया नेता’ करार दिया। कंवर संधू ने कहा कि 1984 का समय सिर्फ सिक्खों के लिए ही नहीं बल्कि सभी पंजाबियों के लिए काला दौर था क्यों जो 1947 के बाद यह पहली ऐसी घटना थी जिस दौरान मिनटों में दोस्त दुश्मन बन गए थे। उन्होंने कहा कि राजनैतिक नेताओं ने हमेशा इस घटना से राजनैतिक लाभ लेने की कोशिश की है। आप पीडित परिवारों के साथ खड़ी है और आगामी रणनीति वह परिवारों से बातचीत करने के उपरांत ही इख्तियार करेंगे। सुखपाल खहरा ने 1984 को मानवीय इतिहास पर काला धब्बा करार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी ने मिलकर श्री हरमिन्दर साहिब पर हमला करने की रणनीति तैयार की थी। सीनियार बीजेपी आगू लाल कृष्ण अडवानी की किताब का हवाला देते खहरा ने कहा कि अपनी किताब में अडवानी ने खुद लिखा है कि बीजेपी और आरएसएस ने प्रधान मंत्री इंद्रा गांधी पर दबाव डाल कर पंजाब में फौजें भिजवाई थी। उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह सिक्खों का गद्दार है और उसको कांग्रेसी नेताओं को क्लीन चिटें बांटने की बजाए कत्लेआम के पीडितों की आवाज बुलंद करनी चाहिए थी। आप नेता यामिनी गौमर, बूटा सिंह अशांत, डा. बलवीर सिंह, सज्जण सिंह चीमा, दलवीर ढिल्लों, ब्रिगेडियर राज कुमार, नाजर सिंह मानशाहिया, जस्सी सेखों, गुरदित्त सेखों, अणु रंधावा, देव मान, सुखदीप अपरा, दर्शन सिंह ढिल्लों और अन्य उपस्थित थे।