तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने शनिवार को केंद्र सरकार से केरल में सिरुवनी नदी पर बांध बनाने का पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (इआईए) की संस्तुति वापस लेने का आग्रह किया है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में जयललिता ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की नदी घाटी एवं पनबिजली परियोजनाओं के लिए विशेषज्ञ मूल्यांकन कमेटी की संस्तुतियां वापस लेने को उनसे हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।11 एवं 12 अगस्त को हुई बैठक में कमेटी ने अट्टापाडी में सिरुवनी नदी पर बांध बनाने को केरल को पर्यावरणीय प्रभाव के आकलन के लिए संदर्भ के मानक नियमों के पालन की संस्तुति की है।
जयललिता ने लिखा है, "कमेटी ने ऐसा तमिलनाडु सरकार से अनिवार्य टिप्पणियों को लिए बगैर संस्तुति करने का निर्णय लिया है। यह उसकी 28 एवं 29 मार्च, 2016 को हुई बैठकों में लिए गए उसके फैसले का उल्लंघन है।"मुख्यमंत्री ने कहा कि सिरुवनी कावेरी की एक उप सहायक अंतर प्रांतीय नदी है और तमिलनाडु सरकार ने केंद्र और केरल सरकार को इस परियोजना पर आपत्ति करते हुए पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार ने तमिलनाडु सरकार को इस प्रस्ताव के बारे में या इसके बारे में कि वह एक विशेषज्ञ आकलन समिति की बैठक पर विचार करेगी, सूचना नहीं दी। जयललिता ने कहा है, "यह खेदजनक है कि यह बिना किसी कारण के जल्दबाजी में किया गया, जो बैठक के लिए नियमित एजेंडे में शामिल नहीं था और इसके पहले पत्र व्यवहार होने के बावजूद इसकी सूचना तमिलनाडु सरकार को नहीं थी।"
मुख्यमंत्री ने कहा है, "बैठक के एजेंडे में जो यह दर्ज है कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तमिलनाडु सरकार को कई बार लिखा है, तथ्यात्मक रूप से गलत है।"जयललिता ने प्रधानमंत्री मोदी से यह भी आग्रह किया है कि वह पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय एवं उसकी एजेंसियों एवं जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनर्जीवन को यह सलाह दें कि वह केरल और कर्नाटक की कावेरी बेसिन की किसी भी परियोजना को तब तक मंजूरी नहीं दे, जब तक कि कावेरी प्रबंधन बोर्ड और कावेरी जल नियामक कमेटी इसे लागू नहीं करे और न्यायिक मामले पूरी तरह से निपट नहीं जाएं।