राजनैतिक व्यक्तियों को बिजली विवाद निवारण समितियों के चेयरपर्सन नियुक्त किए जाने के फैसले का तीखा विरोध करते आम आदमी पार्टी (आप) ने आज आरोप लगाया है कि सत्ताधारी अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी गठजोड; पंजाब राज बिजली निगम लिमटिड में अपने पार्टी कारकुन्नों की घुसपैठ करवा कर अपनीशक्तियों का दुरुपयोग कर रहा है और पंजाब राज बिजली निगम लिमटिड (पी.एस.पी.सी.ऐल.) के अंदरूनी कामकाज में दखल दे रहा है।आज मीडिया को संबोधन करते सीनियर नेता चंद्र सुता डोगरा ने कहा कि पंजाब राज बिजली रेगुलैटरी कमीशन (पी.एस.ई.आर.सी.) का फैसला गैर -कानूनी है और साल 2003 के बिजली कानून और पी.एस.ई.आर.सी. (फोरम और ओमबडजमैन) विनियम-2005 की सिस्टम के उलट है। बहुत सोची -समझी योजना अनुसार काम करते सत्ताधारी पार्टी विधान सभा चुनाव से पहले इन 125 नियुक्तियों को राजनैतिक मकसद के लिए इस्तेमाल करेगी, क्योंकि वह विवादों के हल जन-हित को ध्यान में रख कर नहीं, बल्कि खपतकार विशेष के हित अनुसार करेंगे। चंद्र सुता डोगरा ने कहा कि यह समितियां अब विधान सभा चुनाव से पहले अकाली दल-भाजपा गठजोड के हितों का ही ख्याल रखेगी।सितम्बर 2015 में पहले लिए अपने फैसले को रद्द करते, जब सरकार की ऐसी तजवीज को रद्द कर दिया गया था, पी.एस.ई.आर.सी. ने सर्कल और डिवीजनल निबेड़ा कमेटियों के लिए जनता के दो सदस्यों की नियुक्ति मंजूर की थी। पी.एस.पी.सी.ऐल. के इंजीनियरों की जगह, अब इन समितियों के चेयरपर्सन आम जनता के दो सदस्यों में से होंगे, जो डिप्टी कमीशनरों की तरफ से नियुक्त किए जाएंगे। पी.एस.ई.आर.सी. ने अथार्टी का दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद या इन व्यक्तियों की नियुक्ति में पक्षपात या बाहरी विचार-विमर्श के लिए उनकी कारगुजारी पर नजर रखने या सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की है।
डी.एस.सी. के कामकाज की नई प्रणाली तो खप्तकारों की समस्याएं ओर भी बडा देगी और विवादों के हल लोगों के घरों में ही होने की बजाए उनको अपने विवाद हल करवाने के लिए लम्बी यात्रा कर पटियाला पहुंचना पड़ेगा। बहु -संख्या की तरफ से फैसले लेने की जगह, अब कोई भी मैंबर समिति के सर्वसम्मित फैसले को रद्द (वीटो) कर सकेगा, फिर उस संबंधी फैसला पटियाला में फोरम की तरफ से किया जाएगा। दूसरे शब्दों में दूसरे राजनैतिक पार्टियों के साथ सम्बन्धित लोगों को परेशान किया जाएगा और उनके विवादों के हल जन-हित के नाम नीचे नहीं किए जाया करेंगे।चंद्र सुता डोगरा ने पी.एस.पी.सी.एल. में राजनैतिक व्यक्तियों की नियुक्तियां करने के सरकार के यत्नों का संक्षिप्त जानकारी देते बताया कि पिछले वर्ष भी सरकार ने बिल्कुल ऐसी तजवीज रखी थी, परन्तु पी.एस.ई.आर.सी. के तत्कालीन चेयरपर्सन रोमिला दुबे ने कहा था कि यह बिजली कानून और पी.एस.ई.आर.सी. विनियमों की व्यवस्थाएं के अनुकूल /अनुसार नहीं है। पी.एस.ई.आर.सी. ने मौजूदा चेयरपर्सन अधीन सरकार की तजवीज को मामूली तबदीलियों के साथ स्वीकृत कर लिया है और आम आदमी पार्टी मांग करती है कि विवाद हल करने की पुरानी प्रणाली तुरंत बहाल की जाए, जिस में पी.एस.पी.सी.एल. के इंजीनियर चेयरपर्सन होते थे।आम आदमी पार्टी के नेता ने सरकारी विभागों की तरफ खडे बिजली बकाया के ताजा आंकड़े भी जारी किए ; जिनके अनुसार सरकारी विभागों ने पी.एस.पी.सी.ऐल. के 588 करोड़ रुपए देने हैं।