देश के सरकारी बैंकों द्वारा 2015-16 में दर्ज किए गए भारी घाटा को देखते हुए उनमें 2020 तक 1.2 लाख करोड़ रुपये निवेश की जरूरत होगी। यह बात वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कही। यह सरकार द्वारा 2018-19 तक के लिए योजनाबद्ध अतिरिक्त 45 हजार करोड़ रुपये निवेश से काफी अधिक है।'वीक फाइनेंशियल परफॉर्मेस हाईलाइट्स बैंक्स हाई एक्सटर्नल कैपिटल नीड्स' रिपोर्ट में कहा गया है, "वित्त वर्ष 2015-16 के लिए उनके परिणाम जारी किए जाने के बाद हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि 11 निर्धारित बैंकों के लिए करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये पूंजी की जरूरत है। यह सरकारी बजट में 2020 तक बैंकों में पूंजी निवेश के लिए शामिल किए गए शेष 45 हजार करोड़ रुपये से काफी अधिक है।"सरकार 2018-19 तक सरकारी बैंकों में कुल 70 हजार करोड़ रुपये पूंजी निवेश करना चाहती है। इसमें से मार्च 2016 तक 25 हजार करोड़ रुपये निवेश किए जा चुके हैं। वर्तमान वित्त वर्ष के लिए भी सरकार ने इस मद में 25 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसके अलावा 2017-18 और 2018-19 में सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये (प्रत्येक वर्ष) निवेश करने की योजना रखी है।मूडीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्पात और बिजली क्षेत्र के बुरे ऋण के कारण अगले 12 महीने तक बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता दबाव में रह सकती है।बुरे ऋण के कारण सरकारी बैंकों ने 2015-16 में 18 हजार करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है।