तेल मूल्य घटने से खाड़ी देशों से रेमीटेंस में गिरावट आ सकती है, लेकिन एशिया-प्रशांत क्षेत्र के विपरीत भारत पर इसका बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह बात क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने कही। 'फॉलिंग रेमीटेंस फ्रॉम द गल्फ डैंपेन बेनेफिट्स ऑफ लोअर ऑयल प्राइसेज' रिपोर्ट में मूडीज ने कहा कि तेल की कम कीमत और विभिन्न तेल निर्यातक देशों में खर्च घटाने की कवायदों के कारण प्रवासी कामगारों की आय और उनके रेमीटेंस में गिरावट आ सकती है।
रिपोर्ट में बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, फीलीपींस, श्रीलंका और वियतनाम की साख पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण किया गया है, जहां रेमीटेंस का विदेशी पूंजी भंडार में महत्वपूर्ण योगदान होता है।रिपोर्ट के मुताबिक, "भारत, फीलीपींस, वियतनाम के कामगार कई देशों और कई क्षेत्रों में काम करते हैं, जिससे (खाड़ी देशों से) घटते रेमीटेंस से निपटने में मदद मिल सकती है।"मूडीज के मुताबिक, भारत में 15.9 फीसदी रेमीटेंस अमेरिका से आता है और यदि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी, तो रेमीटेंस भी बढ़ेगा।मूडीज ने कहा कि चूंकि भारत तेल का बड़े पैमाने पर आयात करता है, इसलिए तेल मूल्य में गिरावट से भी घटते रेमीटेंस से निपटने में मदद मिलेगी।