अदन में भारतीय 'मदर सुपीरियर' वृद्धाश्रम में चार ननों की हत्या और एक भारतीय पादरी के अपहरण के बाद भारत सरकार आश्रय गृह को वहां से हटाएगी। दरअसल अज्ञात बंदूकधारियों ने शुक्रवार को आश्रम पर हमला कर इस वारदात को अंजाम दिया था। यह बात केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कही। चांडी ने आईएएनएस से कहा कि शनिवार की रात विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से इस संदर्भ में उनकी बातचीत के बाद जिबूती से भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने वृद्धाश्रम की मदर सुपीरियर सिस्टर सैली से संपर्क साधा और सोमवार को अपने साथ उन्हें ले जाने की बात कही। याद रहे कि यमन में भारतीय दूतावास नहीं है और न ही कोई भारतीय अधिकारी वहां रहता है।
उन्होंेने कहा कि यह आश्रय गृह मदर टेरेसा मिशनरिज ऑफ चैरिटी के तत्वावधान में सिस्टर सैली चला रही हैं जो केरल की रहने वाली हैं। चांडी ने कहा कि सिस्टर के मुताबिक वहां हालात अच्छे नहीं हैं और अपहृत पादरी कुझुवेन्नाल के बारे में भी कोई सूचना नहीं है जिनका अपहरण अज्ञात बंदूकधारियों ने किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिस्टर भाग्यशाली हैं जो इस हमले में बाल-बाल बच गईं। जब बंदूकधारी तांडव कर रहे थे तो वह कुछ स्थानीय लोगों के साथ छिप गई थीं। लेकिन पादरी को वे लोग हाथ पांव बांध कर अपने साथ ले गए। पादरी आश्रम में यमन के किसी असुरक्षित स्थान से वहां आए थे।
उल्लेखनीय है कि हमले में मारी गईं चार नन में से एक भरतीय नन सिस्टर एम अनसेलेमे (57)भी थीं जो झारखंड की रहने वाली थीं। शेष तीन में दो रवांडा और एक केन्या की थीं। इस वृद्धाश्रम को मदरटेरेसा ने 1992 में 61 बेसहारा बुजुर्गो के साथ शुरू किया था।चांडी ने आईएएनएस से कहा कि वहां अशांति है इसलिए उनके कार्यालय का एक अधिकारी अदन और आसपास के इलाके में रहने वाले केरल के लोगों से लगातार संपर्क बनाए हुए है।
अभी तक यह साबित नहीं हुआ है कि सभी अज्ञात बंदूकधारी यमन स्थित इस्लामिक स्टेट (आईएस) से जुड़े हैं।