5 Dariya News

Amarnath Yatra: बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए 30 जून से यात्रा शुरू, 2 साल बाद दर्शन देंगे भगवान

5 Dariya News

पहलगाम 27-Jun-2022

Amarnath Yatra 2022 :30 जून 2022 से बाबा अमरनाथ की यात्रा प्रारंभ हो जाएगी जो 11 अगस्त 2022 यानी कि रक्षाबंधन तक रहेगी भारतीय संस्कृति में तीर्थस्थलों में सबसे महतत्वपूर्ण है ये स्थल. 

Amarnath Yatra 2022 :  अमरनाथ यात्रा  (Amarnath Yatra) को भारत में शिव के दर्शन करने के लिए जाना जाता है यह हमारी भारतीय संस्कृति में सभी तीर्थस्थलों में सबसे महतत्वपूर्ण है. माना जाता है इसके पीछे मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव (Lord Shiva) ने माता पर्वती (Maa Parvati) को अपने अमर होने की कथा के बारे में बताया था. जिसके बाद से धार्मिक मान्यता के अनुसार अब ये कहा जाता की यदि भगवान शिव का कोई सच्चा भगत इस यात्रा को कर अमरनाथ गुफा (Amarnath cave) में बने शिवलिंग (Shivling) का दर्शन करता है तो वह जन्म-मरण के इस बंधन से मुक्ति पा लेता है. इसलिए इसे अमरनाथ गुफा कहा जाता है. इस गुफा से जुडी एक खास बात ये भी है की इसमें बर्फ से बना शिवलिंग का निर्माण अपने आप ही होता है. 

 ये भी पढ़ें: अमरनाथ यात्रा 2022: चलो बुलावा आया है.. 3 साल बाद बाबा बर्फानी के दर्शन को बेताब भक्त

दो साल बाद होगी शिव भक्तों की ये यात्रा  

हर साल अमरनाथ यात्रा शुरू की जाती है लेकिन इस बार ये कोरोना माहमारी के चलते 2 साल बाद शुरू होकर 30 जून से लेकर 11 अगस्त 2022 तक यानी कि रक्षाबंधन तक रहेगी. इस यात्रा को करने के लिए पहले इसमें रेजिस्ट्रेशन करवाना पढ़ता है इस साल ये यात्रा कड़ी सुरक्षा के साथ शुरू हो रही है इस साल इस यात्रा में कम से कम 3 लाख लोगों की रेजिस्ट्रेशन हो चुकी है.  

 ये भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर एलजी ने अमरनाथ यात्रा मार्गों पर सुविधाओं का निरीक्षण किया

30 जून से रवाना होगा पहला जत्था 

अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू से रवाना होगा पहला जत्था इसमें यात्रीयों की कड़ी सुरक्षा पर पूरी निगरानी राखी जाएगी इसके अलावा सुरक्षा एजेंसियों द्वारा “त्रिनेत्र सुरक्षा कवच” बनाया गया है, जो हर खतरे को नाकाम करने में सक्षम है। अमरनाथ यात्रा के दौरान चप्पे-चप्पे पर ड्रोन और CCTV से निगरानी की जाएगी और कंट्रोल रूम भी बनाया गया है और अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले के खतरे पर मद्देनजर रखते हुए पूरी व्यवस्था की गई है।

मुस्लिम परिवार ने खोजी थी ये गुफ़ा 

कहा जाता है की इस अमरनाथ गुफा की खोज जम्मू-कश्मीर के पहलगाम गांव में एक मुस्लिम परिवार ने 1850 में की थी लेकिन मान्यता ये भी है की अमरनाथ गुफा की खोज सबसे पहले भृगु ऋषि ने की थी. कहा जाता है कि किसी समय कश्मीर घाटी पानी में डूब गई थी तो ऋषि कश्यप ने नदियों और नालों के जरिए पानी बाहर निकाला. उस वक्त ऋषि भृगु तपस्या के लिए उचित स्थान की तलाश कर रहे थे. तभी उन्हें बाबा अमरनाथ के पवित्र गुफा के दर्शन हुए. 

क्या कहती है पुराणिंक कथा 

पुराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा,कि आप अजर-अमर हैं और मुझे हर जन्म के बाद नए स्वरूप में आकर फिर से वर्षों की कठोर तपस्या के बाद आपको प्राप्त करना होता है और आपके कंठ में पड़ी यह नरमुण्ड माला तथा आपके अमर होने का रहस्य क्या है? भगवान शिव ने माता पार्वती से एकांत और गुप्त स्थान पर अमर कथा सुनने को कहा जिससे कि अमर कथा कोई अन्य जीव ना सुन पाए क्योंकि जो कोई भी इस अमर कथा को सुन लेता है वह अमर हो जाता। इसलिए पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अमरनाथ एक ऐसा स्थान है जहाँ जहां भोलेनाथ ने पार्वती को अमर होने के गुप्त रहस्य के बारे में बताया था. 

अमर है कबूतरों का जोड़ा 

कहा जाता है की अमरनाथ में कबूतरों का जोड़ा भी अमर हो गया था दरसअल जब भगवान शिव माता पार्वती को गहरे रहस्य के बारे में बता रहे थे तो कथा को सुनते सुनते देवी पार्वती को नींद आ गई जब भोलेनाथ ने कथा ख़त्म कर पार्वती को देखा तो वे सो चुकी थी। लेकिन वहाँ उस कथा को दो कबूतरों ने सुन लिया था  भगवान शिव ने उन्हें क्रोध से देखा तो शिव ने सोचा की अब में इन्हें मार दूंगा तो मेरी ये कथा झूठी साबित हो जाएगी ऐसे में भगवान शिव ने उन कबूतरों को वरदान दे दिया कि वो सदैव उस स्थान पर शिव और पार्वती के प्रतीक के रूप में रहेंगे। बाबा बर्फानी के दर्शन करने वाले भक्तों को आज भी उन कबूतरों के दर्शन हो जाते हैं।