काँगड़ा जिला में इस वर्ष अत्यधिक बरसात हुई है I पिछले चंद दिनों में वरिश को विराम लगा है I परन्तु इस भारी बरसात ने जैम कर नुक्सान भी किया है जिसका आंकलन सरकारी एजंसियां कर रहीं है I कई रास्ते आज भी बंद है यंहा तक की अंग्रेजों के जमाने से बनी कान्ग्र घाटी रेल भी इसका शिकार होने से नहीं बाख सकी है I इस वर्ष छह अगस्त को कांगड़ा पास भारी बरसात के कारण पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेलमार्ग के मध्य दो सौ मीटर जमीन का टुकड़ा बारिश की भेंट चढ़ गया था तथा पटरी हवा में झूल गई। इस खाई से यह मार्ग दो हिस्सों में बंट गया है। इस रुकावट को ठीक कर यहां फिर से रेल ट्रैफिक शुरू करने का कार्य तो जारी है परन्तु अभी तक दो सौ मीटर के एक जमीन के टुकड़े को भरा नहीं जा सका है । नतीजतन मौजूदा दौर में केवल जोगेंद्रनगर व पपरोला से कांगड़ा तथा दूसरी ओर से पठानकोट से ज्वालामुखी रोड तक ही रेल यातायात चलाया जा रहा है। सस्ते यातायात वाले इस परिवहन साधन के थमने से रोजाना सफर करने वाले लोगों का बजट गड़बड़ा गया है। अंग्रेजी हकूमत के समय एक पावर हाउस के निर्माण के लिए महज तीन वर्ष में 950 पुलों व दो सुरंगों सहित कुल 165 किलोमीटर लंबा रेल मार्ग बनाया गया था। लेकिन रेल विभाग इस धरोहर को संभालने में भी असमर्थ लग रहा है।
हालांकि रेलवे विभाग ने लोगों की सुविधा को देखते हुए जोगेंद्रनगर व पपरोला के बीच पहले की तरह ही दो ट्रेनें चलाई हैं। लेकिनए पपरोला से कांगड़ा की ओर सामान्य रूप से चलने वाली छह ट्रेनों के स्थान पर अब महज दो ट्रेनों से ही लोगों को गुजारा करना पड़ रहा है। दूसरी ओर पठानकोट से ज्वालामुखी रोड तक एक ट्रेन को छोड़कर अन्य ट्रेनें चलाई जा रही हैए मगर पपरोला से कांगड़ा के बीच केवल दो ट्रेनें यात्रियों की संख्या के हिसाब से कम है। इस हिस्से में पपरोला से कांगड़ा तक पहली ट्रेन सुबह 7 बजकर 20 मिनट तथा दूसरी ट्रेन 10 बजकर 45 मिनट पर रवाना हो रही है। इसके बाद कांगड़ा की ओर कोई ट्रेन नहीं है। वहीं कांगड़ा की ओर से पपरोला के लिए पहली ट्रेन सुबह 11 बजे व दूसरी ट्रेन दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर चलाई जा रही है। इसमें रेल विभाग को ट्रेन के डिब्बों व इंजन की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है।