अपने फर्ज का पूर्ण निर्वहन ही धर्म है। अच्छे गुणों का समावेश और अज्ञान को अपने चित्त से हटाना यही मनुष्य का प्रमुख ध्येय होना चाहिए क्योंकि इस ध्येय के बिना भक्ति रूपी बीज अंतस में उगेगा ही नहीं। यह सत्संग वाणी परमसंत सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने गोहाना के पानीपत रोड स्थित राधास्वामी आश्रम में हजारों की संख्या में पहुंची साध संगत को प्रकट की।गुरु महाराज ने फरमाया कि झूठे जगत के रिश्ते नाते भी झूठे हैं। मनुष्य अपने कर्मों का फल भोगता है। अच्छे कर्मों के फल के रूप में इंसानी चोला मिला, धन संपत्ति, रूप बल मिला पर यदि इन मिथ्या भावों को रसीला जानकर इसमें फंस गए तो यह अवसर गंवा दिया परंतु अपनी ताकत को, रूप को, धन को परमात्मा के मार्ग को खोजने के लिए परमार्थ व परोपकार के लिए लगा दिया तो आपका यह जन्म सार्थक है।
गुरु महाराज ने फरमाया कि कर्मों की मार उस जीव पर पड़ती है, जिसने संतों के वचन को नहीं परखा। जिस प्रकार अंधेरी गुफा पर एक दिया जलाने से वह प्रकाशमान हो उठती है, उसी प्रकार संत की शरण जीव के अंतस पर छाए अंधकार को एक पल में हर लेती है। उन्होंने पां कोष का वर्ण करते हुए फरमाया कि जैसा अन्न खाओगे, वैसा ही मन हो जाएगा। अन्मय कोष से मनमय कोष संवरता है। मनमय का प्रभाव प्राणमय कोष पर पड़ता है। प्राणमय कोष का विज्ञामय और विज्ञानमय का आनंदमय कोष पर प्रभाव पड़ता है। हुजूर महाराज ने जगत संवारने का मंत्र देते हुए कहा कि पुत्र या पुत्री को मां-बाप के सामने, रोगी को डॉक्टर के सामने और शिष्य को गुरु के सामने कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। जिसके मन में झूठ, चोरी, छल, प्रपंच के शत्रु छिपे होते हैं, वो उसका कभी भला नहीं होने देते।गुरु महाराज ने मौत को निश्चित बताते हुए कहा कि इससे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। मौत रू को नहीं देह को आती है। जिसने पूर्ण संत सतगुरु को खोज लिया उसके लिए कबीर साहब की ये वाणी काम करती है-हम ना मरे, मरे संसारा, हमको मिला जिलावन हारा।
उन्होंने फटकार लगाते हुए फरमाया कि जिसने मर्यादा त्याग दी उसको काल से कोई नहीं बचा सकता। जिस प्रकार दूध में खट्टे का एक भी अंश उसकी तासीर बिगाड़ देता है। फकीरी के आनंद को सर्वोत्तम बताते हुए गुरु महाराज ने फरमाया कि कितने ही राजा महाराजा अपने भोग विलास को ठोकर मारकर संन्यासी हो गए। बुराई बिना प्रयास के फैलती है जबकि अच्छाई लाख कोशिश से भी नहीं पनपती। अच्छार्ई लाख कोशिश से भी नहीं पनपती। अच्छार्इ के लिए हर पल प्रयासरत रहो। घर में प्रेम सदभाव का वातावरण बनाओ, बच्चों को संस्कार दो, उन्हें विरासत में धन दौलत या भोग विलास मत दो लेकिन अच्छे संस्कार दो, बुढ़े बुजुर्गों की मदद करो। पर्यावरण व जल का संरक्षण करो। बेटी बचाओ का संदेश देते हुए उन्होंने भू्रण हत्या को ब्रह्म्म हत्या बताते हुए कहा कि पापी व्यक्ति भक्ति नहीं कर सकता।