कैथल से मात्र दस किलोमीटर की दूरी पर बसा सोंगल गांव को विकास के बावजूद भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गांव की आबादी 10 हजार के लगभग तथा मतदाता 4 हजार के लगभग है। इस प्लान में गांव की कमान महिला सरपंच के हाथ में थी। ग्रामीण दयानंद, सतबीर, रोशन, कृष्ण, नफा राम, गजा, महेंद्र आदि ने बताया कि गांव में दर्जनों ऐसी समस्याएं है जो दूर होने का नाम ही नही ले रही। गांव में बिजली की जर्जर हालत की तारे गलियों में झुकी रहती है। ये अकसर टूट कर नीचे गिरती रहती है। गांव में कई गलियां खराब है। जिनसे निकलना दुर्भर है। स्कूल में अध्यापकों की कमी है और अब अतिथि अध्यापकों के जाने के बाद समस्या गहरा गई है। जिससे बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ रहा है। प्राइमरी स्कूल की पुरानी बिल्डिंग गिरने के कगार पर है, जिसके चलते वह बंद करके बच्चों को नई बिल्डिंग में बैठाना पड़ रहा है।
इससे बच्चों को बैठने के लिये जगह कम पड़ गई है। पशु अस्पताल की चार दिवारी नही है और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को भी इसी बिल्डिंग से काम चलाना पड़ रहा है। गांव में सार्वजनिक शौचालय की संख्या भी काफी कम है। एक तरफ तो सरकार खुले में शौच जाने से रोकती है, दूसरी ओर शौचालयों का निर्माण नही करवा जा रहा है। जिससे महिलाओं को परेशानी उठानी पड़ रही है। शमशान वाले तालाब का गन्दा पानी ओवर फलो हो जाता है, जिसके चलते कई बार खास कर वर्षा के समय मुर्दे जलाना दुर्भर हो जाते है। तालाबों में गन्दा पानी सडऩे गांव में बीमारी फैलती रहती है। यहां पर कोई भी स्वास्थ्य विभाग का कर्मी दवाई का छिड़काव करने नही आता। गांव की बंदरों वाली गली में पाइप लाईन न होने के चलते पेय जल की भी कमी है। जिसके चलते महिलाओं को दूर से पेय जल लाना पड़ता है।
विकास के कई करवाये कार्य - सरपंच
इस बारे में गांव की महिला सरपंच सुशीला देवी ने बताया कि उन्होंने गांव कई चौपालें, गलियों, शौचालयों का निर्माण करवाया। फिरनी ठीक करवाई। इसके अलावा दर्जनों कार्य ऐसे करवाये जिनकी गिनती नही की जा सकती।