इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पूर्व प्रमुख ललित मोदी के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के संबंधों और मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले को लेकर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण शुक्रवार को भी दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई। इस प्रकार मानसून सत्र का पहला सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ गया। संसद की बाधित होती कार्यवाही 15वीं लोकसभा की याद दिला रही है, जिस दौरान वह सर्वाधिक बाधित रही थी। दोनों सदनों की कार्यवाही का चौथा दिन भी सरकार व विपक्ष के आरोपों-प्रत्यारोपों की भेंट चढ़ गया। सत्तारूढ़ गठबंधन दल के नेता दोनों सदनों को सुचारू रूप से चलने देने की मांग को लेकर संसद परिसर में धरने पर बैठे।
कांग्रेस ने ललित मोदी विवाद तथा संसद में गतिरोध पर षडयंत्रकारी चुप्पी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा।लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के कुछ देर बाद सुबह 11 बजे दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई, जबकि राज्यसभा की कार्यवाही कई बार बाधित हुई और अपराह्न 2.30 बजे यह पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।इसी बीच, सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस्तीफा नहीं दिया जाएगा और राज्य के मुद्दे को संसद में नहीं उठाया जाएगा। सत्ता पक्ष ने दोनों सदनों में सुषमा स्वराज से संबंधित विवाद के लिए चर्चा पर जोर दिया।लोकसभा की कार्यवाही शुक्रवार को जैसे ही शुरू हुई, सदन की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि विपक्षी दलों ने ललित प्रकरण और व्यापमं घोटाले को लेकर स्थगन प्रस्ताव दिया है।
उन्होंने हालांकि इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाने की कोशिश की। इस पर कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों के सदस्य अध्यक्ष की आसंदी के पास पहुंच गए और नारेबाजी शुरू कर दी।हंगामे को देखते हुए सदन की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसकी कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी। अब लोकसभा की कार्यवाही सोमवार को शुरू होगी।ऊपरी सदन में सत्ता पक्ष तथा विपक्ष के बीच गरमागर्म बहस देखने को मिली। दोनों पक्षों की बहस के कारण सदन की कार्यवाही बाधित हुई।विपक्ष के हंगामे के कारण कोई सांसद अपने विषय नहीं उठा पाया।सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि नोटिस दिया गया है।
ललित से भाजपा के दो नेताओं के संबंधों को लेकर उन्होंने सवाल किया, "ललित की मदद करने को किसने कहा था? सरकार सुषमा और वसुंधरा को पद से हटा रही है या नहीं?"कांग्रेस सदस्य इसके बाद नारेबाजी करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के इस्तीफे की मांग करने लगे, वहीं सत्ता पक्ष के सदस्यों ने सदन में चर्चा कराने पर जोर दिया।विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने सदन की कार्यवाही बाधित करने का आरोप सत्तापक्ष पर लगाया और कहा कि उनके अड़ियल रवैये के कारण ऐसा हो रहा है।इस हंगामे के बीच उपसभापति पी.जे.कुरियन ने सदन की कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी।कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भी यही स्थिति रही।
सभापति एम.हामिद अंसारी ने विपक्षी सदस्यों से लगातार अनुरोध किया कि प्रश्नकाल चलने दिया जाए। इसके बावजूद हंगामा जारी रहा, जिसे देखते हुए उन्होंने सदन की कार्यवाही पहले अपराह्न 2.30 बजे और फिर दिनभर के लिए स्थगित कर दी।सत्र शुरू होने से पहले सदन में विपक्ष पर पलटवार करने का फैसला लेने वाली सरकार ने संसद परिसर में एक अनूठा प्रदर्शन किया। उसने कांग्रेस से संसद के मानसून सत्र को सुचारू रूप से चलने देने का आग्रह किया।वहीं विपक्ष ने धरने पर बैठने के लिए भाजपा नेताओं की आलोचना की।गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं से कहा, "विरोध करना, धरने पर बैठना और सरकार से कार्रवाई की मांग करने का अधिकार विपक्ष का है। लेकिन आज (शुक्रवार) सत्तारूढ़ पार्टी धरने पर बैठी है।"