मध्य प्रदेश के व्यावायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले की पहली कड़ी पीएमटी टेस्ट में होने वाली गड़बड़ी का खुलासा करने वाली इंदौर की अपराध शाखा ने कंप्यूटर की कुल छह हार्ड डिस्क जब्त की थी। इस मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दो वर्ष बाद भी न्यायालय में कोई आरोप-पत्र पेश नहीं किया गया है। विधानसभा में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी द्वारा पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में गृहमंत्री बाबूलाल गौर ने बुधवार को बताया कि पीएमटी घोटाले में इंदौर की अपराध शाखा ने प्रकरण दर्ज कर पहली हार्ड डिस्क 18 जुलाई 2013 को अजय सेन के भोपाल के शिवाजी नगर के आवास से बरामद की गई थी।
गौर ने बताया, ककपुलिस ने व्यापमं के नितिन महेंद्रा के कार्यालय व आवास से चार हार्ड डिस्क, इसी तरह व्यापमं कर्मचारी अशोक देवनानी के कार्यालय से एक हार्ड डिस्क जब्त की गई थी। यह सभी हार्ड डिस्क तमाम कानूनी प्रक्रिया को पूरी कर जब्त की गई थी।" गौर ने कहा, "यह हार्ड डिस्क आरोपियों की निशानदेही पर जब्त की गई थी, हार्ड डिस्क का नंबर व पहचान पंचनामे में दर्ज है। एसआईटी की ओर से अब तक कोई आरोप-पत्र न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया है।"ज्ञात हो कि जुलाई 2013 में इंदौर की पुलिस अपराध शाखा ने पीएमटी में चयन कराने वाले एक गिरोह को पकड़ा था। इसी के बाद से व्यापमं घोटाले का परत दरत परत खुलासा होता गया और व्यापमं द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में हो रहे गोरखधंधे पर से पर्दा हटा। इस मामले की जांच का जिम्मा अगस्त 2013 में एसटीएफ को सौंपा गया था। फिर इस मामले को उच्च न्यायालय ने संज्ञान में लेते हुए पूर्व न्यायाधीश चंद्रेश भूषण की अध्यक्षता में अप्रैल 2014 में एसआईटी बनाई, जिसकी देखरेख में एसटीएफ जांच कर रही थी अब मामला सीबीआई के पास है।