सांस्कृतिक राष्ट्रवाद भारत की प्राचीन धरोहर है। देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी अब इसे माना जाने लगा है। यहीं कारण है कि प्राचीन परपंरा योग को पूरे विश्व ने मानते हुए उसे आज के दिन मनाया जा रहा है। भाजपा के वरिष्ठ सांसद व पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने यह उदगार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के सभागार में विवेकानंद मेडिकल रिसर्च ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता कहे। उन्होंने कहा कि जब सांस्कृतिक राष्ट्रवाद होगा तो भाषा का प्रयोग बढ़ेगा और सही संदेश जनता तक जाएगा। आडवाणी ने कहा कि पालमपुर से उनका विशेष लगाव रहा है। 1989 में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक यहां पर हुई। उस दौरान उनके पास अध्यक्ष का कार्यभार था। चुनावों में भाजपा को देश में मात्र दो सीटें मिली। उसके बाद जो बदलाव आया तो पार्टी को देश में 86 सीटें मिली और फिर देश में पूर्ण बहुमत के साथ अटल सरकार का गठन हुआ। आडवाणी ने भाजपा नेता शांता कुमार की सराहना करते हुए कहा कि जिस प्रकार उन्होंने यहां पर योग और ध्यान के साथ स्वास्थ्य का उत्कृष्ट संस्थान बनवाया है।
उस तरह से देश के अन्य स्थानों पर भी केंद्र का निर्माण करवाया जाना चाहिए। कार्यक्रम में चिन्मय ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी सुबोधानंद ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को अपनाने की बात कही। साथ ही यह कहा कि राष्ट्रीय इतिहास से प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण एक कदम सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की तरफ बढ़ा है। इसे पूरे विश्व ने माना है और उसी की परिणति है कि योग को एक साथ 183 देशों में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह शुरूआत है कि 365 दिनों में से एक दिन को स्वीकारा गया है और महर्षि पंतजलि के माध्यम से ऋषि संस्कृति की तरफ जुड़ाव हुआ है। स्वामी ने कहा कि जैसा हम सोचते हैं वैसा करते हैं। यह पहला कदम और आशा है कि अब आगे भी इस तरह से कदम बढ़ेगें। भाजपा नेता शांत कुमार ने कहा कि आज उन्हें आनंद का अनुभव महसूस हो रहा है। योग शिविर में पालमपुर ही नहीं अपितु कांगड़ा और बैजनाथ से भी लोगों ने आकर योगाभ्यास किया। उन्होंने कहा कि तीस साल पहले जो संकल्प लिया था आज वह पूरा होते हुए देख रहें है। कार्यक्रम में कायाकल्प के निदेशक सुदर्शन कुमार शर्मा और प्रदेश भाजपा महामंत्री विपिन सिंह परमार ने भी अपने विचार रखें।