जो गुरू अपने जिज्ञासु को कोई मन्त्र देने या किसी भ्रम आदि में डालने की बजाए छिन में परमात्मा की जानकारी करवा दे केवल वही वास्तविक सत्गुरू होता है ये शब्द देहली से आए सन्त निरंकारी मण्डल के केन्द्रीय योजना व सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष श्री गोबिन्द सिंह जी ने आज यहां सैक्टर 3०-ए स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन में हुए विशाल निरंकारी सत्संग में हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्घालुआं को सम्बोधित करते हुए कहे ।
सिंह ने कहा कि जैसे किसी डाक्टर को गले में stethoscope के कारण डाक्टर या किसी वकील को काला कोट पहनने के कारण वकील नहीं कहा जाता बल्कि उनके पास डाक्टर या वकील की डिग्री होने के कारण ही उसे डाक्टर या वकील कहा जाता है । इसी प्रकार सत्गुरू भी किसी वेशभूषा, पहरावे या जाति का नाम नहीं बल्कि उनके ब्रहमज्ञान के कारण ही उसे सत्गुरू कहा जाता है । गुरू का पहरावा जाति चाहे कोई भी हो यदि उसके पास छिन में कण कण में व्यापत परमपिता परमात्मा से जोडऩे की योग्यता है तो उसे सत्गुरू ही कहा जाता है ।
सिंह ने आगे कहा कि इस धरती पर समय समय पर आए गुरू पीर पैगम्बरों ने दुनियां के लोगों को किसी भ्रम भुलेखों में डालने की बजाए इस कण कण में व्याप्त परमपिता परमात्मा से ही जोड़ा जिसकी गवाही हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थ भी देते हैं और यही कार्य वर्तमान सत्गुरू निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज द्वारा न केवल भारत में बल्कि दूर देशों में भी जा कर किया जा रहा है । सिंह ने आगे कहा कि यदि परमात्मा का ज्ञान (ब्रहमज्ञान) हासिल करने के बाद इसे कर्म में नहीं अपनाया जाता तो भक्ति भी अधूरी रह जाती है चाहे ब्रहमज्ञान लिए कितना भी समय क्यों न हो गया हो और हम अपने जीवन में वह आनन्द हासिल नहीं कर सकते जो एक ब्रहमज्ञानी भक्त अपने जीवन में कर सकता है । इससे पूर्व मोहिन्द्र सिंह जी, सयोंजक सन्त निरंकारी मण्डल चण्डीगढ ब्रान्च ने यहां की साधसंगत की आेर से श्री सिंह का उनके गले में दुपट्टा डाल कर स्वागत किया ।