जीवन की सार्थकता किसी दुनियावी उपलब्धि या प्राप्ति में नहीं बल्कि सत्य-ईश्वर से नाता जोडऩे में ही निहित है क्योंकि प्रभु अनुभूति होने और इससे नाता जोडऩे पर इन्सानों के मनों में संकीर्णताओं के कारण उत्पन्न हुए भेदभाव स्वत: ही समाप्त हो जाते है और फिर इन्सान में प्यार, करूणा, दया, प्रेम, नम्रता और सहनशीलता व निस्वार्थ सेवा का भाव उत्पन्न होता है, ये उद्गार आज यहां सैक्टर 15 में स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन मे श्री राजेश गौड़ एडवोकेट की शादी की साल गिरह के उपल्क्ष में हुए सत्संग समारोह में मुंबई से आये श्री संजय सिधु जी ने सैकड़ों श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
सिधु ने आगे कहा कि जैसा कि सभी पीर पैगम्बरों का मानव समाज को एक ही संदेश रहा है और निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज का भी यही फरमान है कि मानव जीवन में ही ईश्वर का बोध होना परम आवश्यक है और इसी से ही जो मानव समाज में एकता स्थापित होती है वही सही अर्थों में एकता होती है।परमात्मा के नाम पर चर्चा करते हुए श्री सिधु ने कहा कि संसार में परमात्मा के नाम पर हो रहे दंगा फसाद का कारण अज्ञानता ही है यदि दुनियां के लोग परमात्मा की जानकारी हासिल कर लें तो ये सभी दंगा फसाद समाप्त हो सकते हैं । जैसे जल को चाहे किसी नाम से भी यानि नीर, पानी, आब वाटर पुकारा जाए जल एक ही है उसके नाम अनेक हैं इसीप्रकार परमात्मा एक है लेकिन भाषा अलग अलग होने के कारण इसके नाम भी अनेक हैं लेकिन इन्सान को यह तभी समझ आता है जब वो सदगुरू के द्वारा ईश्वर का बोध कर लेता है।अंहकार पर चर्चा करते हुए श्री सिधु जी ने कहा कि परमात्मा की जानकारी के बाद इन्सान को यह एहसास हो जाता है कि सारी सृष्टि को बनाने व चलाने वाले एक परमात्मा ही है और फिर वही इन्सान तन, मन, धन से सेवा करते हुये भी स्वयं को अकर्ता मानता है और वह अहंकार से बच जाता है । इससे पूर्व यहां के मुखी श्री एस0 एस0 बांगा जी ने श्री सिधु के गले में दुपट्टा डाल कर उनका स्वागत किया ।