संत निरंकारी मिशन द्वारा शिमला पुरी में सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ों की तादात में साध संगत ने अपनी हाजिरी लगवाई। जिसमें निरंकारी मिशन लुधियाना जोनल के इंचार्ज संत एच.एस. चावला जी ने प्रवचन करते हुए कहा कि सत्संग में आने से विवेक जागृत होता है। साधक जितने अंश में उस विवेक को महत्व देता है उतने ही अंश में काम,क्रोध्र लोभ आदि अनेक विकार कम हो जाते है। विवेक को अधिक महत्व देने से विवेकतत्व ज्ञान में परिणात हो जाता है और फिर दूसरी सत्ता का अभाव होने से विकार रहने का प्रश्न ही नहीं पैदा होता है। कहने का भाव है कि तत्व ज्ञान की प्राप्ति के बाद विकारों का अत्यंत अभाव हो जाता है। चावला जी ने कहा कि सत्संग करने से वृतियों में बहुत फर्क पड़ता है। विकार एवं भय, स्वत: समाप्त हो जाते है। ऐसा तभी संभव होगा जब हम सत्संग में संतों द्वारा कहे गए वचनों को अमल में लाएगें। संत चावला जी ने कहा कि जीवन में चाहे जितनी भी व्यवस्ता हो मगर सत्संग में आने से हमारे जीवन में कुछ अच्छे अनुभव प्राप्त होते है। उन्होंने कहा कि सत्संग में आने से वाणी बदल जाती है और वाणी में कठोरता के स्थान पर प्यार झलकता नजर आता है। उन्होंने कहा कि सतगुरू ही एक ऐसा मार्ग है जो परमात्मा से मिलाप करवा सकता है इस लिए हमें अपने गुरूजनों का आदर सम्मान करना चाहिए ।