हरियाणा के राज्यपाल प्रोफेसर कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि विश्व का सास्वत ज्ञान गीता में निहित है। गीता के अमर संदेश से ही भारत की पहचान है। आज भले ही हम गीता की 5151 जयंती मना रहे हो लेकिन यह ग्रंथ आज भी पूरी तरह प्रासांगिक है। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए गीता संदेशों का अनुसरण करना होगा।राज्यपाल आज कुरूक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर श्री कृष्ण कृपा गोशाला समिति एवं श्रीकृष्ण कृपा सेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित पांच दिवसीय दिव्य गीता सत्संग के शुभारंभ कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि के रूप में बोल रहे थे। इससे पहले राज्यपाल, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद व जयराम विद्या पीठ संस्था के संचालक स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने दीप प्रज्वलित कर दिव्य गीता सत्संग का शुभारंभ किया।
उन्होंने कहा कि गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद के गीता ज्ञान से भरे प्रवचनों को सुनकर मंच पर आते-आते अपने आप में परिवर्तन नजर आया और अपने आप को तनाव मुक्त पाया। उन्होंने कहा कि महान ग्रंथ गीता से ही भारत की पहचान है। उन्होंने कहा कि बेशक आज हम गीता की 5151 जयंती मना रहे हों। यह गं्रथ आज भी पूरी तरह प्रसांगिक है। विश्व में आज चर्चा की जा रही है कि आतंकवाद, भ्रष्टाचार, मानव शोषण व अन्याय आदि समस्याओं से कैसे निजात पाई जाए। कानून से ही इन तमाम बुराइयों पर काबू नहीं पाया जा सकता है, इसके लिए मानव की मानसिकता को बदलने की जरूरत है। मानव की मानसिकता तभी बदलेगी जब मानव को गीता का ज्ञान होगा। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, स्वामी विवेकानंद और सभी क्रांतिकारियों के हाथ में पवित्र ग्रंथ गीता ही था। स्वामी विवेकानंद ने 1903 में भविष्यवाणी की थी कि भारत 21वीं शताब्दी में दुनिया पर राज करेगा। दुनिया पर राज करने के लिए जहां विज्ञान अपना काम कर रही है वहीं सभी को गीता का ज्ञान भी लेना होगा।
राज्यपाल ने कहा कि हरियाणा प्रदेश में संस्कृति विश्वविद्यालय खोलने के लिए राज्य के शिक्षामंत्री रामबिलास शर्मा ने हिसार में चर्चा की थी, अगर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी जी कुरुक्षेत्र में संस्कृति विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव लेकर जाएंगे तो निश्चित ही जिलावासियों की यह मांग पूरी होगी।
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने भगवान श्रीकृष्ण के भजनों का गुणगान करते हुए गीता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व में सद्भावन और शांति का विश्वव्यापी ग्रंथ है गीता, सभी समस्याओं का समाधान, मानवता की मुस्कान और जीवन का आधार तथा देश की पहचान भी गीता है। आज धीरे-धीरे पूरा समाज गीतामय बनता जा रहा है। समाज में तनाव, दबाव, अशांति, अराजकता, आतंकवाद आदि समस्याओं से बचने के लिए गीता के ज्ञान का अनुसरण करना चाहिए। ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा से ही संस्कृति और संस्कार का संदेश दिया गया। आज समाज को फिर से संस्कारों की जरूरत है। ये संस्कार तभी मिल पाएंगे, जब सभी को संस्कृत का ज्ञान होगा। इसलिए उन्होंने कहा कि संस्कृत को 12वीं तक अनिवार्य करने और संस्कृत विश्वविद्यालय खोलने की निहायत जरूरत है।