पंजाब विधान सभा के माननीय स्पीकर डा. चरणजीत सिंह अटवाल को उत्तराखण्ड राज्य के माननीय गवर्नर के निवास स्थान देहरादून में उत्तराखण्ड के पहले मुख्यमंत्री स्वर्गीय नित्यानंद स्वामी की याद में उनकी जयन्ती समारोह पर नित्यानंद स्वामी जनसेवा समिति द्वारा स्वच्छ राजनीतिज्ञ सम्मान से सम्मानित किया गया। इस समारोह की अध्यक्षता उत्तराखण्ड राज्य के माननीय मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत द्वारा की गई। यह सम्मान लेते हुए डा. अटवाल ने कहा कि स्वच्छ आचरण प्रत्येक इन्सान का गहना है जिसके बिना उसका सामाजिक मंच पर पेश होने से पहले किया गया श्रंृगार अधूरा होता है और इस श्रंृगार की सबसे बड़ी जरूरत एक नेता को होती है क्योंकि वह अपने समुदाय के साथ साथ पूरे समाज का प्रतिनिधि होता है। परन्तु दु:ख की बात है कि मौजूदा स्थिति ऐसे बन गई है कि इन्सान न चाहते हुए भी बेईमानी और भ्रष्टाचार के दलदल में गिरता जा रहा है। लेकिन नित्यनंद स्वामी जी ने ऐसे समय की मार का मुकाबला करके ईमानदारी और नेक दिल्ली की वह मिसाल कायम की जिसके कारण आज देश के कौने-कौने से आकर हम उनके जयन्ती समारोह पर एकत्रित होकर उनको याद कर रहे हैं और श्रद्धाजंलि दे रहे हैं जिस प्रकार स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालय की पढ़ाई पूरी करने के बाद विद्यार्थी का चरित्र प्रमाण पत्र जारी किया जाता है
जिसको हम क्रेकटर सर्टिफिकेट कहते हैं इस प्रमाण पत्र में इंसान के किये कार्यों की बदौलत उसके चरित्र का लेखा जोखा दर्ज किया जाता है, उसी प्रकाश विधान सभा और पार्लियामैंट भी राजनीति के स्कूल और विश्वविद्यालय हैं और स्वच्छ राजनीतिज्ञ पुरस्कार मेरे लिए उस प्रमाण पत्र के समान है जिससे मेरी शख्शियत को एक उभरती पहचान प्राप्त हुई है।डा. अटवाल ने कहा कि समय बहुत बलवान होता है और मजबूरी के आगे अच्छे-अच्छे इंसान डोल जाते है लेकिन भारत मे कुछ ऐसे फरिश्ते भी हुए हैं जिन्होंने अपना जीवन न्यौछाबर कर दिया परन्तु बड़ी से बड़ी मजबूरी के आगे भी अपना ईमान नहीं डोलने दिया। ऐसे ही मसीहा बाबा साहिब अम्बेडकर भी थे। भारत रत्न डा. भीव राव अम्बेडकर ने स्वयं चाहे लाख मजबूरियां झेली, सैंकड़ो मुश्किलें और कठिनाईयां सह कर अपना जीवन निर्वाह किया लेकिन क भी किसी से कोई उपकार नहीं लिया। उन्होंने अपना पारिवारिक दु:ख अपने काम से हमेशा अलग रखा और निस्वार्थ सेवा करते हुए देश को संविधान की महान भेंट दी। लेकिन यह कोई नहीं जानता था कि पैसे की कमी के कारण बीमारी का ईलाज न मिलने के कारण घर में उनके बच्चों की एक के बाद एक मौत हो रही थी। उनको कईयों ने पेैसे की मदद देनी चाही परन्तु बाबा साहिब अपने सिद्धान्तों से बेडोल रहे। ऐसी परिस्थितियों के बाद उन्होंने राजनीति को ऐसी नेक नीति से सजाया था जिसके कारण आज सारा भारत विश्व में सिर उठा कर विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहलाता है।
बाबा साहिब अम्बेडकर और नित्यनंद स्वामी जी राजनीति की ऐसी मिसालें हैं जिनके साथ हमारा अतीत और वर्तमान श्रंगारित है। आओ मिलकर कुछ ऐसे यत्न करें जिससे हमारा वर्तमान बेदाग और भविष्य उज्जवल बना सकें। डा. अटवाल ने पं्रशसा करते हुए कहा कि स्वामी जी के स्वच्छ राजनीति के महान उद्धेश्य का सपना पूरा करने के लिए श्री नित्यनंद स्वामी जनसेवा समिति जिस निश्चय से कार्य कर रही है उस के लिए प्रंशसा के पात्र हें।इस अवसर पर वरिष्ठ शख्शियतों में संसद सदस्य डा. रमेश गोखडिय़ाल नशंख, भूतपूर्व मंत्री गांऊवासी मोहन सिंह, पदमश्री आर. के. जैन भूतपूर्व विधायक इन्द्र इकबाल सिंह अटवाल प्रसिद्ध उद्योगपति फराक, डा. दलजीत कौर, मेयर विनोद चबोरी, जगेश अग्रवाल, चन्द्र गुप्त विक्रम, डा. अरूण मित्तल, इंजीनियर गोपाल कृष्ण मित्तल, गोपाल सूरी, एस पी कोछड़, राकेश ओवराय, डा.पंकज अरोड़ा, रमेश वेरी और अमरजीत सिंह उपस्थित थे।