क्षेत्र मे लगभग दो दर्जन स्कूलों के पास मान्यता न होने के बाद भी धडल्ले से प्रशासन की नाक तले चल रहें हैँ। हैरानी है कि प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी चुप क्यूं है जिससे प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठना लाजमी है गलियां, मोहल्लों मे चल रहे ये स्कूल फ ीस,किताब,टाई, बैल्ट के नाम पर छात्रों का शोषण कर रहे हैं। सरकार के कडे आदेशों के बाद भी इन स्कूलों पर कोई असर नजर नही आता ओर न ही स्थानिय प्रशासन इस मामले को गम्भीरता से लेता नजर नही आ रहा । साथ ही आरटीई कर धारा १३४-ए का भी इन स्कूलो ने मजाक बना कर रख दिया है जिसके तहत दाखिले तक नही किये जा रहे। ओर न ही प्रशासन कडी कारवाई कर रहा है २०१२-१३ मे मात्र एक या दो स्कूलों ने नामचारे के कुछ दाखिले ३३ मान्यताप्राप्त स्कूलो मे से किए थे जो हैरानी का विषय है ऐसी जानकारी खण्ड शिक्षा अधिकारी घरौण्डा ने आरटीआई के तहत एक आरटीआई कार्यकर्ता को उपलब्ध कराई है मगर स्कूलो पर कोई कार्रवाई आज तक नही की गई। जब तक संबधित अधिकारीयों पर सरकार के आदेशो की पालना न होने पर कार्रवाई नही की जाएगी तब तक १३४-ए लागू नही हो सकती ओर न ही गरीब छात्रों को उनका हक मिल सकता है ऐसा मानना है यहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं का ।
चर्चा है कि प्रशासन के कुछ कथित अधिकारीयों की ऐसे स्कूलो से सांठगांठ हो सकती है तभी प्रशासन इस ओर से मौन धारण किये है। और सरकार के आदेशों की धज्जियां उडाने के साथ साथ सरकार को चूना लगााया जा रहा है। चर्चा है कि कई स्कूलो मे छात्रों को पूरी सुविधाएं तक मुहैया नही है । यहां तक कि कई मान्यता प्राप्त स्कूल भी सरकार की शर्तें भी पूरी नही करते ओर आज भी गलियों मे चल रहें है। खण्ड शिक्षा अधिकारी घरौण्डा ने एक आरटीआई के माध्यम से जानकारी दी है कि क्षेत्र मे मात्र ०६ स्कूल गैर मान्यता प्राप्त है जिनमे ०४ ग्रामीण क्षेत्र मे व ०२ शहर घरौण्डा मे ह जो सरासर गलत नजर आ रही है तथ्यों की जांच की जाए तो पता चलेगा की शहर की हर दूसरी या तीसरी गली मे स्कूल चल रहे है जो गैरमान्यता प्राप्त है। अधिकारी ने पूरी जानकारी क्यूं नही दी इस पर उनकी भूमिका पर सन्देह उत्पन्न हो रहा है। इन गैरमान्यता प्राप्त स्कूलो के ठेकेदारों का ठेका चौरा व बडसत के एक मान्यता प्राप्त स्कूल के ठेकेदारों ने ले रखा है जो ऐसे गैरमान्यता प्राप्त स्कूल के छात्रों के पेपर अपने स्कूलो के नाम पर दिलवाते हैं। ये ठेकेदार गैरमान्यता प्राप्त स्कूलो से छात्रों के हर महीने की फ ीस बिना क्लास लगाए लेते हैं इनका बोझा छात्रों पर पडता है ये गैरमान्यता प्राप्त स्कूल अभिभावकों को मान्यता होने का सब्जबाग दिखा कर छात्रों को दाखिला देकर बाद मे उनका भरपुर शोषण करते हैं। स्थानिय व जिला शिक्षा अधिकारीयों द्वारा ऐसे स्कूलो से भाईचारा बरतना कई सवाल खडे करता है। इन गैरमान्यता प्राप्त स्कूलो पर सख्ती से कार्यवाही होनी आवश्यक है क्योकि इनके वाहन भी धड्उले से सडको पर चलते है हादसे की स्थिति मे कौन जिम्मेवार होगा। यह चर्चा का विषय है क्योंकी अधिकारीयों की नींद किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर ही खुलती है और कई घरों के चिराग तब तक बुझ जाते हैं।
प्ले स्कूल-ऐसा ही खेल क्षेत्र मे प्ले चाईल्ड होम के नाम पर खेला जा रहा है जहां किसी भी प्रकार की दुर्घटना से निपटने के लिए कोई इन्तजामात नही होते। घरौण्डाा क्षेत्र मे ऐसी दुकाने गांव के साथ साथ घरौण्डा की हर गली मोहल्ले मे चल रही है। जहां प्रशासन का ध्यान आज तक नही गया। अगर कोई भंयकर हादसा हो गया तो क्या तभी प्रशासन की नीद खुलेगी। समय रहते अगर इस ओर ध्यान दिया जाए तो किसी भी हादसे से बचा जा सकता है। प्रशासन को ऐसे कथित स्कूलो पर अपना अकुंश रखना चाहिए ताकी किसी अप्रिय घटना के कारणलोगो के धरों के चिराग न बुझ सके। ये सिर्फ कमाई करने की दुकाने मात्र है जो भारत के भविष्यों से खतरनाक खेल खेल रह हैं । ओर प्रशासन के अधिकारी किसी भंयकर दुर्र्घटना का इन्तजार करते नजर आ रहे हैं जो इनकी कथित चुप्पी के कारण हो सकती ह इस सम्बंध मे एक सामाजिक संस्था मुख्यमंत्री के साथ साथ मानव अधिकार आयोग को सारी स्थिति से अवगत कराने जा रही हैं।