भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि इस देश ने स्वामी विवेकानन्द का पूरी तरह मूल्यांकन नहीं किया। स्वामी विवेकानन्द ने इस देश की आजादी के लिए भले ही कोई प्रत्यक्ष रूप से आन्दोलन न चलाया हो परंतु भारत सबसे आगे रहे, भारत शक्तिशाली एवं समृद्ध हो इसके लिए उन्होंने युवाओं के मन में जोश भरा। दिल्ली के झंडेवालान स्थित दीनदयाल शोध संस्थान में मंगलवार को युवा पत्रकार एवं लेखक राजीव गुप्ता की पुस्तक 'सबसे पहले भारत' के लोकार्पण समारोह में आडवाणी ने कहा कि जरूरी है कि यह नई सरकार स्वामी विवेकानन्द के पूरे व्यक्तित्व को सामने लाए। इसके साथ आडवाणी ने वर्तमान भाजपा सरकार के पूर्ण बहुमत में आने को लेकर भी अपने मन की बात कही। उन्होंने कहा कि आज भाजपा जिस रूप में दिखाई दे रही है, उसके पीछे पंडित दीनदयाल उपाध्याय, डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी, कुशाभाऊ ठाकरे, नाना जी देशमुख, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे अनेक लोगों का समर्पण और शक्ति लगी है। इस अवसर पर नए बने केन्द्र सरकार के आयुष मंत्रालय के केन्द्रीय मंत्री श्रीपद यस्सो नाईक ने भी स्वामी विवेकानन्द के व्यक्तित्व और कृतित्व को समाज में स्थापित करने पर बल दिया।
स्वामी विवेकानन्द पर तोडो करा तोडो नामक उपन्यास लिखने वाले नरेन्द्र कोहली ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द की नजर में हमेशा भारत सबसे पहले रहा। उन्होंने विदेश में जाकर भारतीय संस्कृति, सभ्यता और मेधा का जो परिचय दिया उसमें उन्होंने अपना परिचय न देकर भारत का परिचय दिया। उस गुलामी के कालखंड में भी भारत को उन्होने बौद्धिक दृष्टि से सबसे समृद्ध देश बताया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने अपने विचार रखते हुए कहा कि सरकार को स्वामी विवेकानन्द पर गहन शोध कर तथ्यों को ठीक ढंग से समाज के सामने लाने की जरूरत है।